राजीव और जया दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में शिक्षक थे. संयोग से राजीव की मां भी उसी सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापक थी। जया की दोस्ती राजीव और उसकी मां से हो गई थी। धीरे-धीरे जया और राजीव में प्यार हो गया एक दिन राजीव ने अपनी मां से जया से शादी करने के बारे में बात की। राजीव की मां ने राजीव से कहा बेटा मुझे जया, पसंद है लेकिन एक बार तुम्हारे पापा से बात कर लेती हूं, उसके बाद जो फैसला होगा कर लेंगे।
राजीव के पापा एक बिजनेसमैन थे तो शाम को जैसे ही अपनी दुकान से घर आए, डिनर के समय राजीव की शादी की बात राजीव की मां ने छेड़ दी। राजीव के पापा ने कहा, “देखो भाई जब मां बेटे को लड़की पसंद है तो फिर मुझे कोई एतराज नहीं, फिर जया का तो हमेशा तुम नाम लेती रहती हो वह भी शिक्षक है इससे अच्छी बात क्या है।
अगले दिन ही राजीव की माँ नें जया के माता-पिता से जया का हाथ मांग लिया और कुछ महीनों बाद ही जया, बहू बनकर राजीव के घर में आ चुकी थी। समय के साथ परिवार मे सब कुछ सही तरीके से चल रहा था समय के राजीव और जया को एक बेटा और एक बेटी भी हो गए थे।
एक दिन संडे का दिन था,सुबह ही राजीव के मौसी का फोन, जया के मोबाइल पर आया कि बहू राजीव का फोन नहीं लग रहा है। 1:00 बजे तक स्टेशन भेज देना मुझे लेने के लिए । जय बोली ठीक है मौसी जी मैं भेज दूंगी।
दोपहर तक राजीव की मौसी घर आ चुकी थी। राजीव की मौसी घर आकर सीधे अपनी दीदी के कमरे में चली गई यानी कि जया के सास के कमरे में। जयाकी सास अपनी बहन को देखकर बहुत ही खुश हुई और अपनी बहू को आवाज दी बहु जल्दी से अपनी मौसी के लिए चाय पानी लाओ, प्यासी होगी, बाहर इतनी धूप है। जया अपने कमरे से ही बोली जी माँ जी लेकर आ रही हूं।
जय को पानी लाने में थोड़ा सा ही लेट हुआ था इतनी देर में राजीव की मौसी ने कहना शुरू किया। दीदी तुम्हारी बहू है या पैसेंजर ट्रेन इतनी देर हो गया अभी तक एक गिलास पानी नहीं ला पाई, अगर किसी को बहुत जोर से प्यास लगी होगी तो वह तो प्यासा मर जाएगा। उतने देर में जया चाय और पानी लेकर आ गई और मौसी जी के पैर छुए। मौसी जी ने आशीर्वाद दिया बस-बस ठीक है, चलो सदा सुहागन रहो।
जया की सास बोली, “बहू जाकर खाने का इंतजाम करो क्योंकि खाने का टाइम भी हो गया होगा और मेरी बहन भूखी होगी सुबह से ही चली हुई है।
जया ने खाना तो पहले से ही बना लिया था उसने सोचा जब खाने का समय होगा तो थोड़े से पकौड़े तल लूंगी। जया जैसे ही पकोड़े तलने को जा रही थी तब तक उसकी बेटी मिनी ने अपनी मां को आवाज लगाई मिनी अपने स्कूल का होम्वोर्क कर रही थी तो उसे कुछ चीज समझ नहीं आ रहा था तो अपनी मां को बुलाया। जया जाकर अपनी बेटी का होमवर्क कराने लगी, तभी जया की सास ने आवाज लगाई बहू खाना अभी बना नहीं है क्या। जया ने जवाब दिया माँ जी बस तैयार हो गया है आप लोग डाइनिंग टेबल पर बैठीये तब तक खाना लेकर आ रही हूं।
जया की सास और उसकी मौसी दोनों डायनिंग टेबल पर बैठ गए थे। राजीव की मौसी जया की सास से कह रही थी दीदी तुम्हारी बहु लग रहा है कि काम करने में थोड़ा ढीली है एक मेरी बहू है जो इतनी देर में तो 50 लोगों का खाना बनाकर खिला दे।
राजीव की मौसी ने कहा दीदी मैंने तो तुम्हें शुरू से ही कहा था कि नौकरी करने वाली बहू मत लाओ घर में और वह भी लव मैरिज तो बिल्कुल ही नहीं करना चाहिए। मैंने तुम्हें कितना अच्छा रिश्ता बताया था। लेकिन तुमने मेरी एक भी बात नहीं मानी। मेरी बहू तो इतनी तेज है कि मुझे तो अब अपने घर की बिल्कुल ही चिंता नहीं होती। मैं चाहे कहीं पर भी रहूं मुझे अपने घर की अब चिंता नहीं होती हर काम इतनी तेजी से फटाफट करती है कि दीदी मैं क्या बताऊं।
न जाने तुम्हें जया में क्या दिखाई दे दिया जो मेरे लाए हुए रिश्तो को मना कर दिया। जया की सास ने कहा बहन आज जमाना बदल रहा है, हम भी अगर औरतों को सपोर्ट नहीं करेंगे तो कौन करेगा आखिर बहू भी तो हमारी बेटी है और फिर हम बेटे की शादी इसलिए थोड़ी करते हैं कि घर में एक बहू के बदले नौकरानी ला रहे हैं, पूरे दिन तो बेचारी लगी रहती है स्कूल जाना बच्चों के होमवर्क कराना , फिर हमारी देखभाल करना। मेरी बहू को टाइम कहां मिलता है।
जया की तारीफ करना राजीव की मौसी को बर्दाश्त नहीं हो रहा था। तभी उन्होंने आवाज लगाया अरे वह बहू इधर भी आजा कुछ टाइम हमारे बीच में बैठ जा। पूरे दिन पढ़ाई पढ़ाई पढ़ाई अभी से क्या तुम्हारे बच्चे कलेक्टर बन जाएंगे पढ़ लिख कर। जया की सास ने कहा बहन तू कैसी बात कर रही है अगर बच्चे की अभी नहीं पढ़ाएंगे तो कब पढ़ाएंगे अगर उनका जड़ ही मजबूत नहीं होगा तो भविष्य में वह कुछ नहीं कर पाएंगे।
जया की सास ने तभी कहा अरे बहन मैंने तो तुझे एक बात कहना ही भूल गई चलो मैं तुझे अपना किचन दिखाती हूं बहू ने अभी कुछ दिन पहले ही मॉड्यूलर किचन बनवाया था।
राजीव की मौसी जब किचन में गई तो उनके मुंह से अपने आप वाह ! निकल गया उन्होंने बोला कि आज तक मैंने इतना सुंदर किचन कभी नहीं देखा था। सारा सामान कितने तरीके से रखा गया है कोई अंधा भी आए तो बता दें कि यह सामान यहां है। जया की सास ने कहा बहन मेरी बहू कोई काम धीरे-धीरे जरूर करती है लेकिन इतना फ्रेश करती है कि तुम किसी भी काम में गलती नहीं निकाल सकती हो। तुमने तो मेरे बहू के हाथ का रोटी खाया ही कितना मुलायम था। चावल भी खाया होगा तुम्हें भी एक भी उसमें कंकड़ पत्थर नहीं मिले होंगे। चावल चाहे कितना भी साफ क्यों ना हो लेकिन मेरी बहू एक बार उसे नजर जरूर मारती है कहीं गलती से भी चावल में कंकड़ पत्थर ना हो।
मैं कहना तो नहीं चाहती थी लेकिन जब तुम अब मेरी बहू के बारे में कह रही है तो मैं कहीं देती हूं। तुम कहती हो ना कि मेरी बहू बहुत फटाफट कोई भी काम करती है। तुझे याद है तुम्हारे घर गई थी तुम्हारे बहू ने जो रोटी खिलाया था वह ऐसा लग रहा था कि 2 दिन का बना हुआ रोटी हो इतना टाइट था और चावल तो बिल्कुल ही कच्चा था। इतनी जल्दबाजी का क्या फायदा जब खाना ही सही से ना मिले और तुम उसी की कब से तारीफ किए जा रही हो कि मेरी बहु बहुत तेज है। मेरी बहु धीमा ही सही लेकिन कम से कम हर काम सलीके से तो करती है।
राजीव की मौसी की गर्दन अपने आप झुक गई अब शर्म के मारे वह कुछ नहीं बोल पा रही थी।
दोस्तों जरूरत है हमें अपनी बहू को सपोर्ट करने का क्योंकि दूसरे थोड़ी सी चिंगारी डालेंगे अगर आप उनके हां में हां मिलाएंगे तो वह और चिंगारी लगाना शुरू करेंगे और आपस में आपके घर में विवाद होना शुरू हो जाएगा इसलिए अब जमाना बदल रहा है आपको बहू को भी बेटी समझना होगा उसकी गलतियों को भी नजरअंदाज करना होगा हर इंसान में थोड़ी सी खूबियां होती हैं तो थोड़ी कमियां भी होती हैं।
लेखक: मुकेश कुमार