इंसान रूपी भगवान-मुकेश कुमार

अभी हाल ही में मैं रेलवे का परीक्षा देने अहमदाबाद गया हुआ था परीक्षा 10:00 से 12:00 बजे के बीच था। उसके बाद मेरी वापसी की ट्रेन उसी दिन 4:00 बजे थी।  परीक्षा खत्म होते ही मैं जल्दी से स्टेशन की तरफ भागा सोचा पहले चला जाऊंगा तो टिकट जल्दी मिल जाएगा वरना स्टेशन पर बहुत ज्यादा भीड़ हो जाता है।

परीक्षा खत्म होते ही मैं ऑटो लिया और स्टेशन पर चला आया वहां आकर सीधे ही टिकट खिड़की पर पहुंचा और पटना के लिए एक टिकट देने के लिए टीसी से कहा फिर जैसे ही मैंने अपनी पॉकेट में हाथ डाला तो देखा मेरा पर्स तो है ही नहीं मेरा पास  मैं पूरी तरह से घबरा गया क्योंकि मैंने ₹2000 नगद रुपए रखे हुए थे और मेरा डेबिट कार्ड आधार कार्ड पैन कार्ड सब कुछ उसी पर्स मे था।

मेरी हालत खराब हो गई थी क्योंकि अब मेरे पास एक भी रुपये  नहीं थे । मैं बाहर आकर इधर-उधर देख रहा हूं लेकिन मेरा पर्स कहां मिलने वाला है तभी मुझे ध्यान आया कि मैं ऑटो से उतरा था उसी समय एक शख्स मुझसे टकराया था शायद उसी ने चुरा लिया होगा।   



अब समझ में नहीं आ रहा था कि पैसे पटना वापस कैसे जाऊंगा क्योंकि टिकट के लिए भी पैसे नहीं थे मैंने कई लोगों से इस बारे में बात की कोई मेरा टिकट कटवा दो मैं आपके पैसे आपके अकाउंट में जमा करा दूंगा।  लेकिन किसी को भी मेरी बात पर भरोसा नहीं हो रहा था सब यही कह रहे थे कि यह देखो पैसे मांगने के लिए कैसे कैसे तरीके अपना लेते हैं, देखने में तो इतना ठीक-ठाक अमीर घर का लग रहा है और पैसे मांग रहा है।

उस समय मेरी स्थिति क्या होगी आप सोच भी नहीं सकते हैं फिर मैं जाकर टिकट काउंटर पर टीसी से  टिकट के लिए बोला की कैसे भी करके टिकट अरेंज करवा दो उसने मुझे डांटा और बोला कि भाई तुम्हारे जैसे पूरे दिन में ना जाने कितने आते हैं।  अगर मैं सबको यही करने लग जाऊंगा तो मेरा तो हो गया। मैं पूरी तरह से परेशान हो गया था समझ में नहीं आ रहा था अब क्या करूं वहीं पास के सीट पर बैठकर सोच रहा था  कैसे पैसे का इंतजाम हो।

तभी वहां पर एक साधु बाबा आकर मेरे बगल में बैठ गए और मेरे से पूछने लगे बेटा तू इतना परेशान हो तब से मैं तुमको देख रहा हूं कभी यहां भाग रहे हो कभी वहां भाग रहे हो मैंने साधु बाबा से अपनी सारी बातें बताई।

उन्होंने बिना देर किए अपने जेब से 10 10 के 50 नोट मुझे दे दिए थे बोले बेटा यह लो इससे तुम्हारा टिकट भी कट जाएगा और कुछ पैसे अपने पास रख लेना रास्ते में खाने के लिए।  मैं पूरी तरह से आश्चर्यचकित हो गया था जहां इतने पैसे वाले लोग थे किसी ने भी मेरी मदद नहीं की और इस साधु बाबा ने बिना मांगे ही मेरी मदद कर दी .



उसी समय दौड़कर मैं टिकट काउंटर से पटना के लिए एक जनरल बोगी का टिकट खरीदा और वापस आ कर सीधे मैं साधु बाबा के गले लग गया और उनसे बोला बाबा भगवान ने चाहा तो हमारी मुलाकात जरुर होगी .

और मैं यह पैसे आपके वापस कर दूंगा और यह पैसे आपका मेरे पर उधार रहा।  साधु बाबा ने मुझसे बोला बेटा यह पैसे तुम मुझे वापस मत करना बल्कि उसे दे देना तुम्हारी जिंदगी में जब कोई लगे उसे पैसे की बिल्कुल ही जरूरत है।  यह पैसे उसे वापस कर देना तो समझ लेना कि तुमने मेरे कर्जे चुका दिए हैं .

अगले दिन मैं पटना पहुंच चुका था और उस दिन से मैंने निश्चित किया जितना भी हो सके मुझे स्टेशन पर भिखारी मिलेंगे उनको कुछ ना कुछ मदद जरूर करूंगा क्योंकि क्या पता मेरे दिये हुये  पैसे से किसी और जरूरतमंद की मदद हो जाए।

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