एक दाग ऐसा भी – रचना गुलाटी : Short Stories in Hindi

Short Stories in Hindi : “रीमा मुझे माफ़ कर दो। मैं जानता हूँ कि सीमा और माँ की बातों में आकर जो मैंने तुम्हारे चरित्र पर दाग लगाया, उसे भुलाया नहीं जा सकता, पर तुम उसे एक बुरा सपना समझकर भूल जाओ और अपने अतुल को माफ़ कर दो।

” अतुल ने हाथ जोड़कर रीमा से कहा, जिसकी आँखों में आँसू बह रहे थे और अतुल उसके सामने शर्मिंदा खड़ा था। उसने पति-पत्नी के बीच के विश्वास को तोड़ा था और अपनी पत्नी पर शक किया था।

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अतुल और रीमा की कहानी शुरु होती  है, एक मध्यमवर्गीय परिवार से। अतुल अपने माता-पिता व बहन के साथ रहता है। उसकी पत्नी रीमा बहुत ही सुंदर व सुशील है। वह अपनी सारी ज़िम्मेदारियों का निर्वाह बखूबी निभाती है।

अपनी सास को माँ समान समझती है और ननद को बहन मानती है। उसे सिर्फ़ इस बात का दुख है कि उसके पति के पास उसके एहसासों को जानने का समय नहीं होता। ऐसा नहीं कि अतुल उससे प्यार नहीं करता, या उसकी देखभाल नहीं करता पर वह रीमा के मनोभावों को जान ही नहीं पाता। 

रीमा उससे अपने दिल की बात करना  चाहती है, पर वह अपने काम से आकर टी.वी. लगाकर बैठ जाता या अपने लैपटॉप पर फिल्म देखना शुरु कर देता।

थोड़ी देर अपनी माँ के साथ बैठता, फिर रात को सैर करके सो जाता। यही नियम चलता। रीमा जब भी उससे बात करना चाहती तो वह उसे कहता कि सब कुछ तो है तुम्हारे पास, किस बात की कमी है तुम्हें, रविवार को घुमाने ले तो जाता हूँ, और  क्या चाहिए ?

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इस बात को सुनकर रीमा की आँखों में आँसू आ जाते हैं, पर वह उन्हें छिपाते हुए सोचती है कि क्या केवल पैसा ही सब कुछ है।

अकेलेपन को दूर करने के लिए भी तो साथी का साथ चाहिए। उससे दिल की बात करके जो सुकून मिलता है, वह शायद ही कोई समझ पाए। पर वह इन बातों को बढ़ा-चढ़ा कर कोई झगड़ा नहीं करना चाहती थी।

वह घर का माहौल खराब नहीं करना चाहती थी। अब हर कोई व्यक्ति सर्वगुण संपन्न तो होता नहीं है। अतुल बहुत अच्छे इन्सान हैं,  बस वे अपने में ही मस्त रहते हैं। 

ऐसे ही कई दिन बीत जाते हैं कि एक दिन उसे ख्याल आता है कि वह अपने शौक को पूरा करे जिससे उसका समय भी कट जाए और मन को सुकून भी मिल जाए। इसके लिए वह ऑनलाइन कविताएँ लिखना शुरु कर देती है।

उसकी लिखी कविताओं को लोग पसंद करते हैं और जब भी उसे घर के कामों से फुरसत मिलती, वह लोगों के कमेंट पढ़ती, उनके जवाब भी देती और नई कविता भी लिखकर पोस्ट कर देती। कई बार रात को अतुल के सो जाने के बाद भी वह कविता लिखती व अन्य कवियों की कविताएँ पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया  भी व्यक्त करती।

ऐसा कुछ दिनों से चल रहा था कि एक दिन उसकी ननद सीमा ने अपनी माँ के कान भरे और कहा,” माँ, भाभी पता नहीं, किस-किससे चैट करती रहती है, ऑनलाइन रहती है, कई बार देर रात को भी ऑनलाइन होती है,मुझे तो पूरा विश्वास है कि ज़रूर कोई लड़का है जिसके साथ बातें करती है।

हो सकता है कि छुप-छुप कर मिलती भी हो।” बेटी सीमा की बातें सुनकर रीमा की सास ने बिना उससे कुछ पूछे उसे खूब जली कटी सुनाई और अतुल के भी कान भरे। अतुल ने भी अपनी बहन और माँ की बातों में आकर रीमा के चरित्र पर संदेह किया और उसे खूब बुरा-भला कहा। जब अतुल ने सीमा के साथ ऐसा व्यवहार किया तो सीमा चुप न रह सकी।

वह अतुल से बोली,” क्या रात को ऑनलाइन होना गुनाह है तो फिर आपकी बहन भी गुनेहगार है। वह भी तो रात को ऑनलाइन थी, तभी उसे पता चला कि मैं ऑनलाइन हूँ। अगर मैं गलत हूँ तो वह भी गलत है। ” फिर उसने कहा,” हर औरत अपने मन के एहसासों को अपने पति के साथ बाँटना चाहती है, उससे अपने दिल की बात करना चाहती है।

आपके पास मेरे एहसासों को जानने का समय नहीं था तो मैं वे ज़ज्बात लिखने शुरू कर दिए। कहानी, कविताएँ  पढ़नी शुरू कर दीं।

अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए साहित्य को अपना माध्यम बनाया, इसमें क्या गलत किया? घर में झगड़ा करने की बजाए ऑनलाइन गाने सुनकर अपना मन बहलाने लगी। “

ज़रूरी नहीं कि हर इन्सान जो कई बार रात को ऑनलाइन हो, वह किसी लड़के या लड़की से चैट ही करता हो या उसका किसी के साथ प्रेम सम्बन्ध हो या उसके चरित्र में कोई दाग हो। ऐसा नहीं होता।

कई बार वह इन्सान अपने तनाव को दूर करने के लिए , कुछ नया सीखने के लिए या थोड़ी देर अपने मन की शान्ति के लिये भी ऑनलाइन हो सकता है पर आपने तो  बिना मुझसे कुछ पूछे, मेरे चरित्र पर ही दाग लगा दिया, मेरे विश्वास को तोड़ दिया, पति-पत्नी के रिश्ते को ही झूठा साबित कर दिया। 

रीमा की बातें सुनकर अतुल ने उससे माफ़ी माँगी । अपनी गृहस्थी बचाने के लिए चाहे रीमा ने अतुल को माफ़ कर दिया हो पर पूरी जिन्दगी इस घटना को भुलाना शायद उसके लिए बहुत मुश्किल होगा।

स्वरचित

रचना गुलाटी

#दाग

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