दाग- वीणा सिंह : Short Stories in Hindi

फल्गु नदी के तट पर मैंने क्यों बुलाया तुम्हे अपना फ्लैट होते हुए भी यही सवाल तुम मुझसे पूछना चाहते थे कुणाल!

                  तो सुनो ये वही जगह है जहां सीता माता ने झूठ बोलने पर श्राप दिया था.. ये नदी श्रापित है.. मान्यता है की यहां पिंडदान करने पर पूर्वज सीधे स्वर्ग जाते हैं…

           जानते हो कुणाल मैने भी तुम्हारे झूठ बोलने पर तुम्हे श्राप दिया है औरतुम्हारे और अपने रिश्ते का पिंडदान तर्पण कर दिया है बरसों पहले..  इसी फल्गु नदी के तट पर..तुम मेरी जिंदगी के दामन पर बदनुमा दाग बन के रह गए हो…भले हीं मैं एक साधारण नारी हूं.. अब तुम जा सकते हो तृषा ने जो नोटिस भेजा है उसका जवाब कोर्ट में देना..

              बोझिल कदमों से कुणाल को वहीं छोड़ वापस आ गई..

                               बैंक में क्रिसमस की छुट्टी होने के कारण आज घर में थी.. अचानक नए नंबर से फोन आया.. जैसे फोन उठाया कुणाल की आवाज सुनाई दी तनु मैं तुमसे कुछ जरूरी बात करने आ रहा हूं, आज छुट्टी है उम्मीद करता हूं घर पर होगी.. मैने तुरंत कहा नहीं घर मत आना.. एयरपोर्ट से सीधे फल्गु तट पर आओ वहीं जो बात करना हो कर लेना..

                   आज से तेईस साल पहले मैं कुणाल की दुल्हन बन इस शहर में आई थी.. दूधिया रंग भूरे सुनहरे बाल नीली आंखें कमनीय काया किसी को भी एक नजर में आकर्षित करने के लिए काफी था और चार चांद लगाता चेहरे की मासूमियत..

                  पापा मम्मी के साथ बड़ी बुआ जी के बेटे की शादी में मैं गई थी..सास ससुर ने मुझे वहीं देखा था और अपने आईआईटीयन  बेटे के लिए पसंद कर लिया..

              मैं सीए करना चाहती थी..

पर घर बैठे पापा को इतना सुदर्शन दामाद और घर परिवार मिल रहा था.. मेरे से दो और छोटी बहनें भी थी.. इसलिए हां कर दी..

                         ब्याह कर मैं अपने ससुराल गया आ गई क्योंकि मेरे ससुर वहीं प्रिंसिपल थे..

                      कुणाल बैंगलोर में पोस्टेड थे.. मैं मन हीं मन भगवान से प्रार्थना करती इस बार मुझे साथ ले जाते.. कितना जल्दी समय बीत जाता जब कुणाल तीन चार महीने में दो या तीन दिन के लिए गया आते.. चले जाते तो सब सुना और उदास लगता.. जाने से पहले वाली रात को कुणाल के सीने में सर छुपाए कभी  आंसू बहाती तो कभी कुणाल के जल्दी साथ ले जाने के वादे पर  दिल को तसल्ली देती..कहते कुछ दिन मां पापा के साथ भी रह लो इकलौते बेटे की इकलौती बहु हो.. उनका भी साथ रहने का शौक पूरा हो जाए.. फिर तो हमे साथ रहना हीं है..

                     दो तीन बार मायके गई पर कुणाल कभी साथ नही गए.. मुहल्ले और रिश्तेदारी में दबी जुबान लोग चर्चा करने लगे तनु हर बार अकेली या ससुर के साथ हीं क्यों आती है दामाद जी कभी नहीं आते..

                         मैं मां बनने वाली थी .. सासु मां ने कहा अब तुम कुणाल के पास  बच्चे के जन्म के कुछ महीने बाद हीं जा पाओगी.. मैने ये खुशखबरी कुणाल को सुनाई जल्दी आने का वादा कर फोन रख दिया इतनी ठंडी प्रतिक्रिया.. ओह इतनी बड़ी खुशी के मौके पर मुझसे दूर रहने के कारण शायद..

               देखते देखते तृषा दो साल की हो गई.. पापा और ससुर जी में एक साल से मनमुटाव चल रहा है.. मुझे बंगलोर भेजने की बात जब भी पापा करते ससुर जी हमारे घरेलू मसले पर ना बोलने की सलाह देते.. पापा के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने साफ साफ कहा बेटी की शादी आपके बेटे से की है आपकी सेवा टहल के लिए नही..

                         तृषा को लेकर दिन साधने पहली बार मायके आई हूं.. पापा इस बार पहले से तय किए थे की मुझे लेकर बिना किसी को बताए बंगलोर जायेंगे कुणाल के पास.. बनवास का अंत तो होना हीं चाहिए.. मेरी उदासी उन्हें सब कुछ बयां कर रही थी..

                बंगलौर एयर पोर्ट पर उतरते हीं मैं न जाने क्यों तृषा को जोर से भींच लिया और किसी अनजान  आशंका से भर उठी..

                  कुणाल को सरप्राईज देने के लिए हमने उसे फोन नही किया.

          मैने फ्लैट नंबर देखकर घंटी बजाई.. टॉप और कैप्री पहने छोटे बालों वाली एक औरत ने दरवाजा खोला.. कुणाल जी हैं मैने पूछा.. उसने वहीं से आवाज लगाई कुणाल…

                      कुणाल आया पीछे पीछे दस साल और बारह साल के दो लड़के.. कुणाल पल भर के लिए भौंचक्का रह गया जैसे भूत देख लिया हो.. उस औरत ने पूछा kunal who are these people  ?

                 कुणाल पहले से शादीशुदा था उसके दो बेटे थे.. मुझे आजतक अंधेरे में रखकर अपना उल्लू सीधा कर रहे थे बाप बेटे..सासु मां गठिया और दमे की मरीज थी.. मुझसे अच्छा फुलटाइम नर्स उन्हें कहां मिलती.. मेरे माथे पर लगा सुहाग की निशानी ये सिंदूर मुझे  बदनुमा दाग बन चुका था…

                    पापा ने केस करने के लिए वकील से सलाह ली.. मैने मना कर दिया.. दो बहनें थी शादी करने के लिए..

            ससुर जी ने भयवश या प्रायश्चित करने के लिए ये फ्लैट मेरे नाम कर दिया.. एचडीएफसी बैंक में मेरी नौकरी एक साल मेहनत करने और ससुर जी के सहयोग से लग गई.. कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया था मैने..

                       पापा भी हार्ट अटैक से चल बसे..सासु मां भी नही रही.. ससुर जी हरिद्वार चले गए.. मैने रोका भी नही..

                     तृषा बीपीएससी क्वालीफाई कर डीएसपी बन गई है.. ट्रेनिंग खत्म करने के बाद पहला काम उसने अपने तथाकथित पिता पर केस किया..

               जबसे कुणाल को पता चला तृषा बीपीएससी क्वालीफाई कर लिया है तबसे नजदीकियां बढ़ाने के लिए प्रेम प्यार दिखाना शुरू किया.. कभी गिफ्ट भेजता कभी बंगलौर मम्मी को लेकर आने की बातें करता.. हम सब साथ रहेंगे..तृषा ने भी मेरे साथ बहुत कुछ सहा है मसलन पेरेंट्स टीचर मीटिंग में मेरा अकेले जाना.. पिता का प्यार दुलार… और भी बहुत कुछ….

                   तृषा और मैं मां बेटी कम सहेलियां बन गई थी.. ये जरूरी था तृषा के उम्र के हर दौर की समस्याओं और उलझनों को कम करने और सुलझाने के लिए..

             आज मैं गर्व से कह सकती हूं मैं एक काबिल बेटी की मां हूं और तुम कुणाल अय्याश और नालायक बेटे के बाप बन के रह गए.. पत्नी भी तुम्हे बेटों के साथ मिलकर बेइज्जत करते रहती है.. मुझे जरा भी दुःख नहीं होता ये जानकर की तुम हृदय रोग से ग्रस्त हो शुगर लेवल भी हाई रहता है.. कितनों के दिल की बद्दुआ तुम्हे मिली है..

                     मैं उस दिन का इंतजार कर रही हूं जब तृषा तुम्हे सलाखों के अंदर पहुंचाएगी… मां पापा मैं और मेरी बेटी चारों की जिंदगी में तुमने जहर घोला है.. न्याय तो होना हीं है..

       इसी जनम का किया इसी जनम में तुम्हे भुगतना होगा कुणाल…

स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित

       Veena singh..

स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित

कहानी का शीर्षक #दाग #

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