ऐसे भी लड़के वाले होते हैं – मीनाक्षी सिंह

रंजना आज किंजल को देखने लड़के वाले आ रहे हैं ,सब तैयारी कर लेना ! लिस्ट बना दो जो जो सामान लाना हो ले आऊँ !

कितने लोग आ रहे हैँ ??

यहीं कोई आठ लोग !

कोई बात पक्की हो जायें तो इतने लोग आयें भी तो ठीक लगे ! उनकी आवभगत करो फिर किंजल से दस तरह के नाटक करवाते हैँ ,फिर चले ज़ायेंगे ,फ़ोन से कुछ ना कुछ बहाना करके मना कर देते हैँ ! मुझे ना अच्छा लगता ! अबकी बार ना तो हमारी किंजल कोई छुट्टी करेगी कोलेज की ! बस चाय नाश्ता ही कराना ,मुझसे ना होगा इतने लोगों का खाना पीना ! अगले दिन मैं और  किंजल दोनों बिमार पड़ ज़ाते हैँ ! समझे जी !

अरे भाग्यवान ,लड़की वाले हैँ ,इतना तो करना ही पड़ता हैँ ! तुम बख्त मत खराब करो ! काम पर लग जाओ! मैने भी दफतर में छुट्टी चढ़ा दी हैँ ! किंजल से कह देना ,बाहर जा जाकर उसका  रंग बहुत सांवला हो गया हैँ ,काजल (सहेली ) के साथ वो जो चेहरे पर कराते हैँ ,वो करा आयें ! मेरे सफारी सूट पर दाग लग गए हैँ ,उसे साफ कर इस्त्री कर देना ! मैं जा रहा हूँ मंडी सब्जी ले आऊँ !

फरमान जारी कर दिनेश जी निकल गए ! बेचारी रंजना जी ने घर के पूरे पर्दे बदले ,चद्दर ,सोफा कवर बदले ! पूरा घर सचीले से संवारा ! किंजल आयी ,फिर कोई आ रहा है क्या माँ मुझे देखने ! अब समझ आया कि क्यूँ लोग लड़की की चाह नहीं रखते ,इन्ही सब वजहों से ! मैं साड़ी वाड़ी नहीं पहनूँगी ! जैसी हूँ ,वैसे ही देखें ! पापा का हर बार 5-10 हजार रूपये इन्ही सब पर खर्च हो ज़ाता हैँ ! मन करता हैँ पापा से कह दूँ मुझे मत ब्याहो ! बोझ नहीं हूँ ! पूरे जीवन सेवा करूँगी !

बेटा ,समाज की कुछ रीत होती हैँ ! लड़की को घर पर रखना पाप समझते हैँ ! अच्छा तू अब जा पार्लर ! मैं कुछ नाश्ते में बना लूँ कल के लिए !

बेचारे दिनेश जी हांफते हुए पसीने से तरबतर आयें ! रंजना ,एक ग्लास् पानी दो !

काहे को परेशान होते हो ,बेटी की जहां किस्मत होगी ब्याह हो ही जायेगा ! किसी की लड़की कुंवारी नहीं रहती ! सब अपना भाग्य लिखाकर आती हैं !

ये सब तो करना ही पड़ता हैँ ,बस बंशी वाले से बोल ,अबकी रिश्ता हो जायें बस !

सुबह निर्धारित समय पर तीन गाड़ी में ड्राईवर सहित दस लोग आयें ! सब को दिनेश जी ने हाथ जोड़ बड़े प्रेम से बैठाया !

औपचारिक बातचीत हुई ! फिर वहीं लड़की को बुलाया गया ! किंजल हल्के आसमानी रंग का सूट पहने ,छोटी छोटी कानों में माँ के टॉप्स पहले ,एक हाथ में कड़ा ,एक हाथ में घड़ी ,खुले बालों में बनाना क्लीप लगाये ,ऊँचे सेंडिल पहने ,रंजना जी के साथ मुंह नीचे किये आयी !




लड़के के पिताजी बोले – चेहरा ऊपर करो बेटा ,हमसे संकोच की ज़रूरत नहीं ,बताओ क्या पूछना हैँ तुम्हे ,क्या आशायें हैँ तुम्हारी अपने ससुराल वालों से !

दिनेश जी जीवन में पहली बार लड़के वालों के मुंह से ऐसी बात सुन दंग रह गए !

फिर लड़के के ताऊजी ने कहा – बेटा ,हमारे घर में तीन पीढ़ी से कोई अलग नहीं रहा ! सन्युक्त परिवार हैँ हमारा ,बस हाथ जोड़कर  प्रार्थना हैँ ,घर को जोड़े रखना ,कोई समस्या हो अपनी सासु माँ से निहसंकोच बोल देना ! मन में कुछ गलतफहमी मत रखना ,ये मन का गुबार ,गलतफहमी ही परिवारों के टूटने का कारण हैँ ! जब मुट्ठी बंद होती हैँ तो कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता ,मुट्ठी खुलते ही सब फायदा उठाते हैँ ! अकेली लाठी कहीं भाड़ फोड़ती हैँ ! आप लोगों से क्षमा चाहते हैँ ,हम इतने लोग आयें पर हमारा परिवार घर के अहम फैसलों में साथ ही रहता हैँ !

तब तक नाश्ता पानी आ गया !

अरे दिनेश जी ,इन सबकी आवश्यकता नहीं ! हम रास्ते में नाश्ता करके आयें हैँ ! भाभी जी आप परेशान मत होईये ! दो परिवार मिल रहे  हैं ,इसमें कोई फोर्मैलिटी नहीं होनी  चाहिए! आप लोगों ने कुछ नहीं खाया होगा ,आईये बैठिये भाई साहब ,भाभी जी किंजल बेटा ,आप लोग भी कुछ खाईये हमारे सामने !

रवि तुम्हे किंजल पसंद तो हैँ ?? चाचा जी बोले !

रवि ने एक नजर किंजल की तरफ डाल पापा से अपनी आँखों के इशारें से मुस्कुराकर हामी भर दी !

बेटा किंजल आप भी बता दो ,पूरे जीवन का फैसला होता हैँ शादी !

किंजल कुछ ना बोल सकी ,बस उसकी आँखों से आंसू बह निकले !

अरे रो मत बेटा ,कोई जोर जबरदस्ती नहीं हैँ !

अंकल ,दुनिया में इतने अच्छे लोग भी होते हैँ अब जान पायी ! हाथ जोड़ किंजल अपनी माँ से लिपट गयी !

लड़के के ताऊजी ने   किंजल के सर पर हाथ फेरा !

तो भाई साहब रिश्ता पक्का समझे ??

दिनेश जी भावुक हो बस उनके गले लग गए !

रवि ने रंजना जी और दिनेश जी के पैर छुये !

अरे नहीं बेटा ,हमें पाप का भागी मत बनाओ ,आप हमारे मान्य है ! दिनेश जी रंजना जी पैर पीछे करते हुए बोले !

आप लोग मुझसे बड़े हैँ ,मैं आपका बेटा हूँ ,दामाद नहीं ! आज से आपके बेटे की कमी भी पूरी हुई !

दिनेश जी अपनी बेटी की किस्मत पर नाज़ कर रहे थे कि इसी दिन के लिये किंजल का रिश्ता रुका हुआ था शायद !

लड़के वालों ने पूरे विवाह में दिनेश जी को बिल्कुल परेशानी ना होने दी ! किंजल के  बच्चें बड़े हो गए हैँ ,अभी भी वो सन्युक्त परिवार में रह रही हैँ !

दिनेश जी ,रंजना जी बेटी की तरफ से निश्चिंत हो दुनिया से विदा हो गए हैँ !

आँखों देखी

स्वरचित

मौलिक अप्रकाशित

मीनाक्षी सिंह

आगरा

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