एक बार की बात है भगवान शिव और पार्वती कैलाश पर्वत पर बैठे हुए थे तभी देवी पार्वती ने भगवान शिव से कहा कि स्वामी क्यों ना हम पृथ्वी लोक पर चलते हैं और वहां पर चल कर देखते हैं कि क्या अभी भी लोग भगवान में भक्ति पहले इतना ही रखते हैं क्योंकि सुना है कि कलयुग में लोग भगवान को छोड़ सिर्फ पैसों की ही पूजा करते हैं.
भगवान शिव पार्वती जी से बोले कि देवी ऐसा नहीं है जिस दिन भगवान की भक्ति होना बंद हो जाएगा उस दिन पृथ्वी का नाश हो जाएगा. आप कहते हो तो चलो एक परीक्षा करा ही जाए.
भगवान शिव ने एक वृद्ध का रूप लिया और माता पार्वती ने उनकी पत्नी के रूप में अपने आप को परिवर्तन किया। दोनों पृथ्वी लोक पर घूमने लगे। घूमते घूमते दोनों एक दुकानदार के पास गए जो बहुत किराने का सामान बेचता था। भगवान शिव जो कि एक वृद्ध के रूप में पृथ्वी पर आए थे उन्होंने दुकानदार से हाथों का इशारा करते हुए दुकानदार से पूछा कि सेठजी डब्बे में क्या है ? दुकानदार ने कहा- इसमें नमक है फिर वृद्ध ने इशारा करते हुए पूछा उस डब्बे में क्या है दुकानदार ने जवाब दिया उसने हल्दी रखा हुआ है इसी प्रकार कई सारे डब्बो की ओर इशारा करते हुए वृद्ध ने पूछा और दुकानदार बड़ी प्यार से उनको जवाब देता गया।
फिर एक बार एक दूसरे डिब्बे की ओर इशारा करते हुए उन्होंने पूछा तो दुकानदार ने बताया इसमें “राम-राम” है। वृद्ध पुरुष 1 मिनट के लिए रुक गया और दुकानदार से पूछा कि भाई यह कौन सा वस्तु होता है क्या आप मुझे बताएंगे।
दुकानदार थोड़ी देर तो मुस्कुराया उसके बाद उस वृद्ध पुरुष से बोला महाशय अगर हमारे दुकान में कोई डब्बा खाली हो जाता है तो हम उसे खाली डब्बा नहीं कहते हैं बल्कि हम यह कहते हैं कि उसने “राम-राम: है। क्योंकि मेरा मानना यह है कि जहां पर कुछ भी नहीं होता है वहां परभगवान होते हैं इसलिए हम उसका नाम “राम-राम” रख देते हैं। वृद्ध पुरुष दुकानदार से थोड़ा सा सामान खरीद कर अपनी पत्नी के साथ वापस लौट गए।
थोड़ी दूर जाकर वृद्ध पुरुष और वृद्ध महिला ने अपना रूप परिवर्तित कर फिर से भगवान शिव और माता पार्वती के असली रूप में आ गए थे। भगवान शिव ने माता पार्वती जी से कहा कि प्रिय देख लिया अभी भी पृथ्वी पर भक्ति विद्यमान है ।
मित्रों आपसे भी यही आग्रह है कि आप अगर यह कह कर अपना भक्ति से मुंह मोड़ लेते हैं कि हमें तो भक्ति करने की टाइम ही नहीं है इतना व्यस्त रहते हैं तो दोस्तों अगर आपके मन में भगवान के प्रति आस्था है तो आप कहीं पर भी उनकी भक्ति करने की जगह ढूंढ ही लेंगे, जैसे उस दुकानदार ने ढूंढ लिया।