एक बार फिर- आयुष मिश्र : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : तुम इतनी जल्दी उठ गई अपने पति रवि के मुंह से ऐसे शब्द सुन शैली अवाक रह जाती है , और अपने अतीत मे खो सी जाती है।

4 साल पहले जून में उसकी मुलाकात रवीश से उसकी मौसी के घर मौसेरे भाई की शादी में हुई थी जिसे देखते ही शैली उससे पहली नजर का प्यार कर बैठी 

परंतु रवीश के मन में कुछ और ही चल रहा था वह भी शैली को पसंद करता था परंतु सम्मानित दृष्टि से नहीं

वही रवीश ने अपने पिता रमाकांत और माता रमिला से विवाह प्रस्ताव को लेकर शैली के माता-पिता से बात करने को कहा

उन्होंने कोई पहल नहीं की सच्चाई से अनजान शैली के माता-पिता ने शैली के आग्रह पर विवाह प्रस्ताव रखा

शैली के पिता ने रमाकांत जी से सामाजिक कुप्रथा दहेज की बात की तो रमाकांत जी ने बेटे की ऐब‌ को देखते हुए 15 दिनों के भीतर ही दहेज विहीन विवाह संपन्न कराया

आज शैली अनेकों ख्वाब लिए ससुराल की दहलीज पर खड़ी थी भोली शायरी अपने भविष्य से पूर्णता अनजान थी

शादी के थकान के कारण शैली अपने कमरे में सो रही होती है तभी वहां रवीश आता है और अपने रौद्र रूप में बड़े ही कटु वचनों में शैली से कहता है

तू सो रही है तुझे नहीं पता आज शादी की पहली रात है…………..

रवीश के मुंह से ऐसे कटु वचन सुनकर मासूम शैली मौन रह जाती है फिर भी रवीश उसकी मर्जी के खिलाफ जाकर उससे जबरदस्ती करता है अब तो आए दिन रवीश शैली के साथ अभद्रता करता मजबूर रमाकांत और रमिला जी कुछ ना कर पाते

शैली भी ससुराल छोड़ देना चाहती परंतु पिता के कहे शब्द

बेटा ससुराल में मायके की इज्जत बचाए रखना जब तक संभव हो सब सहती चलना 

उसे रोक लेते थे अब तो उसे अपने संग हो रहे अभद्र व्यवहार की आदत हो चुकी थी शादी के 6 माह बाद ही पुष्प सी कोमल शैली मुरझाई कांटे सी हो गई थी

एक दिन शैली को पता चला कि वह मां बनने वाली है सब कुछ जानते हुए भी रवीश का उसके प्रति व्यवहार नहीं बदला बजाय इसके वो शैली के प्रति और खूंखार हो गया

1 दिन रवीश शराब पीकर आता है आते ही शैली के साथ जबरदस्ती तथा मारपीट करता है आज एक स्त्री के सम्मान में रमिला जी बोल उठती है

परंतु रवीश उनकी एक न सुनता है

आज चंडी रूप धरे रमिला जी ने अपने बेटे को  पास पड़ी कुल्हाड़ी से मार दिया था

और जोर से हंसते हुए बोली—आज मैंने राक्षस का वध कर दिया

तो कभी ममता के अधीन होकर रोते हुए कहती हैं—मैंने अपने बेटे को मार दिया

कांपते हाथों से रमाकांत जी पुलिस को सूचित करते हैं रमिला जी को 6 माह की सजा हो जाती है इन दिनों रमाकांत जी अपनी बहन मीरा के यहां और शैली अपने माता-पिता के यहां रहती हैं आज शैली ने एक फूल सी बेटी को जन्म दिया और उसका नाम बड़े प्रेम से आंश्वी रखा

रमाकांत जी और रमिला जी कभी-कभी अपनी बहू और पोती से मिलते रहते थे इन दिनों शैली अपने मायके में रहती है

उस घटना को 3 साल बीत चुके हैं शैली ने शिक्षिका के रूप में अपनी नई पहचान बनाई और उसने इन दिनों सब से नाता तोड़ लिया और अपना हर जगह आना जाना बंद कर दिया था उस पर कोई ज्यादा दबाव नहीं डालता था

एक दिन शैली की मौसी का फोन आता है मुंह से अपनी बेटी की शादी का निमंत्रण देती है वह अपनी मौसेरी बहन रूपल की शादी की बात जून में सुन आने से मना कर देती है

 परंतु रूपल के जोर देने पर राजी हो जाती है

उसके साथ रमाकांत जी और रमिला जी भी जाते है

आज हल्दी की शाम थी शैली पीली साड़ी खुले बाल और काली बिंदी मे बहुत अच्छी लग रही थी

रवि , सौरभ (रूपल का पति) का दोस्त शैली को देखता रह जाता है तभी आंश्वी शैली को मम्मा कह के पुकारती है तो सभी दोस्त उसका मजाक बनाते है

रवि झेप के रह जाता है

तभी रवि कि बहन नेहा रूपल से कहती है देखना तुम भी अपनी बहन की तरह सिंदूर और मंगलसूत्र को न भूल जाना

तब गुस्साई रूपल ने सब को शैली के अतीत सी अवगत कराया सच्चाई जान के सब शर्मिंदगी महसूस कर रहे थे

आज एक बार फिर शैली मौसी के घर शादी मे थी, बहुत व्यथित थी

तभी रवि रमाकांत जी रमिला जी ओर शैली के मारा पिता से शैली संग विवाह की बात कहता है

और अपने बारे मे बताते हुए कहता है कि मै अनाथ हू और पेशे से डाक्टर हू ये मेरी मुंह बोली बहन नेहा इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है

सब शैली और अंश्वी के भविष्य को लेकर विवाह प्रस्ताव मान लेते हैं

पहले तो शैली मना करती है पर दबाव मे आकर मान जाती है

एक बार फिर शैली ससुराल की दहलीज पर खड़ी थी

पर आज वो खुश नही थी

रमाकांत जी रमिला जी रवि और नेहा को अपनाते है और सब साथ रहने जा निर्णय लेते है

वो एक बार फिर बेटे को और हंसते परिवार को पाकर खुश थे पर शैली ………..

आज एक बार फ़िर शैली शादी की दूसरी सुबह डर तक सोती रही

 रवि उसे जगाता है 

वह अचानक अतीत को याद कर डरते हुए उठती है

और अपने इन्ही ख्यालों मे खो जाती है

रवि उसे हिलाते हुई कहता है कहा खो गई मैडम

अपने लिए ऐसे सम्मानित शब्द सुन शैली खुश थी।।

एक बार फिर सब खुशहाल परिवार पाकर खुश होते है।

लेखक एक बार फिर लिखकर शुकून पाते है।।

आयुष मिश्र (गोपाल जी)

प्रयागराज उत्तर प्रदेश

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