सही फैसला –  डॉ अंजना गर्ग

इंदु और बिंदु गांव से रोज शहर पढ़ने आती थी दोनों ही निम्न मध्यम परिवार से थी। परंतु घरवाले किसी भी तरीके से उनको शहर मे पढ़ा रहे थे ।कॉलेज से एक ट्रिप नैनीताल जा रहा था इंदु और बिंदु भी उसमें जाना चाहती थी परंतु दोनों के माता पिता ने कहा कि कॉलेज तक तो लड़कों के साथ पढ़ना ठीक है परंतु इतनी दूर एक हफ्ते के लिए हम इजाजत नहीं देंगे । दोनों ने बहुत मिन्नतें की यह बताया कि महिला टीचर भी साथ जा रहे हैं और अपनी उस अध्यापक से बात भी करवाई तो दोनों के मां बाप ने आपस मे बात की और फिर दोनों को जाने की इजाजत दे दी ।दोनों बहुत खुश थी की पहाड़ों की सैर करने का उन्हें मौका मिल रहा है वरना आज तक वह कॉलेज से घर और घर से कॉलेज तक ही आई गई थी। इससे आगे जाने का उन्हें कभी  मौका मिला ही नहीं और कभी यूथ फेस्टिवल वगैरह में थोड़ा बहुत मिला भी तो घर वालों ने कभी जाने दिया।

                  नैनीताल में लड़के लड़कियां खूब मस्ती धमाल कर रहे थे की इंदु का पैर फिसला और वह पहाड़ी से लुढ़कती हुई काफी दूर गिरी। सब दौड़े उसे उठाने को , बिंदु भी भागी। भगवान को याद करने लगी , हे प्रभु ठीक हो, बड़ी मुश्किल से इजाजत लेकर आये हैं कुछ हो गया तो खैर नही । इंदु के पैर में चोट लगी थी और खून बह रहा था।  सबने उसे संभाला बिंदु सबसे ज्यादा  घबराई हुई थी। राहुल और सुनील ने उसे उठाया और  बस में चढ़ाया। मैडम  और बिंदु भी बस में बैठे और उसे  हॉस्पिटल लेकर गए। बाकियों को कहा आप लोग अपना ट्रिप  खराब मत करो हम इसे संभालते हैं। डॉक्टर ने कहा की इसे एक दिन  हॉस्पिटल में रखना पड़ेगा थोड़ा खून बह गया है और जख्म भी थोड़ा ज्यादा है। बिंदु , राहुल और सुनील ने मैडम से कहा आप होस्टल जाकर सो जाओ , हम तीनों यहां है। इंदु के पास, हम सब संभाल लेंगे ।

     अगले दिन उसे छुट्टी मिल गई अब वह सबके साथ घूमने तो जाती पर गाड़ी में ही बैठी रहती । बिंदु भी  कहती मै भी तेरे साथ बस में बैठती हूँ ।इतने में राहूल और सुनील आते और उन्हें जबरदस्ती ले जाते। इंदु को उतारकर एक तरफ बिठा लेते ,फिर वही इंदु और बिंदु  के आसपास रहते ताकि उनका मन उदास न हो।इंदु और बिंदु को उन दोनों  लड़कों से जो सहानुभूति और मदद मिली उससे वह दोनों बहुत प्रभावित हुई और उनकी अच्छाई कहीं उनके दिल को छू गई ।दोनों ही अब छोटी छोटी बात उनसे सांझा करती उनके साथ ही खाना खाना , बस में बैठना और खिलखिलाना ।टूर  से वापस आकर भी चारों की दोस्ती चलती रही। इंदु की दोस्ती सुनील से ज्यादा थी और बिंदु को राहुल पंसद था। ऐसे ही कब साल निकल गया और वह गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड बन गए उन्हें पता ही नहीं चला ।फाइनल के एग्जाम आ गए लास्ट एग्जाम वाले दिन दोनों ही लड़कियां बहुत इमोशनल हो गई और कहने लगी अब तो हम  एडमिशन लेने जब आएंगे तभी मिल सकते हैं बिना उसके तो घरवाले हमें शहर आने नहीं देंगे।



                   छुट्टियों में बिंदु की बुआ एक रिश्ता लेकर आई लड़का दिल्ली में एक कंपनी में काम करता था। काफी बड़ा पैकेज था पर एक ही कमी थी कि  लड़के की पहले शादी हुई थी । पत्नी हनीमून के समय कार एक्सीडेंट में मर गई थी। दो साल तक तो लड़का विनोद शादी के लिए तैयार ही नहीं हुआ अब वह बड़ी मुश्किल से तैयार हुआ था । बिंदु ने साफ मना कर दिया । घरवालों को यह तो नहीं बताया कि वह किसी और लड़के से प्यार करती है पर अपनी मां से बोली ,”जिस लड़के की पहले ही शादी हो चुकी है। मैं उससे शादी नहीं करूंगी ।”मां ने भी सोचा बच्चे की भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए और अपनी ननद से बोली,”  जीजी, बिंदु का बिल्कुल भी मन नहीं इस लड़के से शादी करने का।” बिंदु की फुआ बोली,” लड़का और परिवार बहुत अच्छा है कोई दहेज भी नहीं लेंगे इसलिए मैंने सोचा की बिंदु के लिए बात कर लेती हूं “फिर कुछ सोच कर एकदम बोली, “इसकी एक सहेली वह इंदू है। वह भी लड़की तो अच्छी है उनसे बात करके देखो, एक अच्छा लड़का और भरा पूरा परिवार मिल रहा है तो क्या बुराई है।

” बुआ और बिंदु की मां इंदु के घर गई । इंदु की मां से बात की उसने कहा मैं पहले रात को इंदु से बात करूंगी फिर कल बताऊंगी। रात को इंदु की माँ ने इंदु से लड़के विनोद के बारे में सब कुछ बताया। इंदु ने कुछ सोचा और हां कर दी ।जैसे ही बिंदु को यह बात पता चली तो वह भागी भागी इंदु के पास आई और बोली,” तू पागल हो गई है क्या? अपने प्यार को छोड़कर इस लड़के से शादी कर रही है।”  इंदु ने बड़े आराम से कहा,” बिंदु वह कॉलेज का टाइम था, इकट्ठे बैठे ,बातचीत की और एक अट्रैक्शन सा हो गया पर यह एक वेल सेटल लड़का मिल रहा है जो बिना दहेज के शादी करने को तैयार है बड़ी कंपनी में लगा है। कल को दोनों छोटे बहन भाइयों को सेटल करने में भी मदद कर सकता है ।”बिंदु ने उस पर बहुत गुस्सा किया की तुम तो बहुत धोखेबाज हो, अपने प्यार को पैसे मे तोल रही हो।जब इंदु ने अपना फैसला नही बदला तो आखिर थक हार कर बिंदु अपने घर चली गई ।इंदु की मां ने बेटी को फिर कुरेदना चाहा और कहा,”  बेटा  दहेज के कारण  इस शादी  के लिए  हां मत कहना । अगर तेरा मन मानता है  तो ही हां कहना।  कहीं कल को सोचे मां बाप के दहेज को बचाने के कारण मैंने एक दुहाजू से शादी कर ली। बेटा हम तो जैसे भी जोड़ तोड़कर तेरे लिए और लड़का देख लेंगे ।” इंदु ने कहा ,” मां  ऐसी कोई बात नहीं ।

पढ़ा-लिखा लड़का है,  देखने में अच्छा है,  परिवार भी अच्छा है  इसलिए  मैंने हां कहीं है।” दो हफ्ते में ही इंदु की शादी विनोद से हो गई। शादी करके इंदु अपने ससुराल दिल्ली चली गई। छुट्टियों में विनोद ने इंदु से कहा अपने छोटे भाई बहन को दिल्ली घुमाने के लिए बुला लो ।उसकी छोटी बहन और भाई दिल्ली आए। विनोद ने उनसे उनकी आगे की शिक्षा के बारे में विस्तार से बातचीत की ।उसने पाया की दोनों ही बहुत कुशाग्र बुद्धि है अगर इन्हें सही कोचिंग मिल जाए तो दोनों ही  अच्छी लाइन में जा सकते हैं ।विनोद ने बहन की कोचिंग आकाश में शुरू करवा दी और भाई जो अभी दसवीं में था उसकी कोचिंग विद्या मंदिर  से शुरू करवा दी । फीस खुद भर दी , कहा ये मेरे बहुत करीबी है। मेरे से फीस नही ली।इंदु के पिताजी के पास सिर्फ दो ही बीघा जमीन थी इसलिए कमाई बहुत ही सीमित होती थी ।दोनों बच्चों की कोचिंग दिल्ली से शुरू हो गई थी इसलिए विनोद ने इंदु के पिता जी को भी दिल्ली में ही एक दुकान किराए पर लेकर राशन की दुकान खुलवा दी। पूरा परिवार अब दिल्ली में आ गया और जमीन को ठेके पर दे दिया ।



इंदु में शुरू से ही सेवा भाव बहुत था इसलिए अपने ससुराल में भी अपने सास-ससुर की बहुत सेवा करती थी ।ननद आती थी तो उसके भी आगे पीछे रहती थी। उसके ससुराल वाले भी उसके माता-पिता और बहन भाई की बहुत इज्जत करते थे ।इंदु की शादी को पांच साल हो गये थे। वह शादी के बाद कभी गांव नही जा पाई थी। एक दिन इंदु की मां ने कहा,” मैं गांव जा रही हूं इंदु तुम भी चलो। अपनी सास से पूछ ले। सब लोग तेरे को गांव में बहुत याद करते हैं।” इंदु की सास ने झट से हां कह दी और वह अपनी मां के साथ गांव पहुंच गई जैसे ही गांव का घर खोला आसपास की सारी चाची ताई उसको मिलने आ गई और उसको इतना खुश देख कर बहुत आशीर्वाद देने लगी। इतने में ही उसको पता चला की बिंदु भी यही अपने घर में है उसका मन अपनी सहेली को मिलने को मचल उठा। उसने अपनी मां से कहा,” मां तुम बेटे को संभालो मैं बिंदु को मिलकर आती हूं ।

इंदु जैसे ही बिंदु के घर पहुंची सामने बिंदु को देखकर उसे एक धक्का सा लगा । फैशनेबल बिंदु के नाखूनों की नेल पॉलिश गायब थी और चेहरे की झाइयां अजीब दास्तां बता रही थी। दोनों बैठी तो इंदू ने पूछा,” यह सब क्या है बिंदु?” बिंदु ने एक आह सी भरी फिर बताने लगी, “तुम्हारी शादी के बाद मैंने और राहुल ने  एम ए  में दाखिला ले लिया।फाइनल में ही हमने शादी कर ली क्योंकि तुम्हारी शादी के बाद मेरे घर वालों ने भी मेरे पर शादी का जोर देना शुरू कर दिया था ।कई लड़के देखें , एक दो को तो किसी तरीके से टाल दिया पर आखिर राहुल के बारे में मां को बताना पड़ा। बड़ी मुश्किल से यह लोग माने और हमारी शादी हो गई ।शादी के बाद दोनों की एम ए तो पूरी हो गई पर कोई ढंग की नौकरी नहीं मिली। परेशानियां बढ़ने लगी। आखिर एक कॉल सेंटर में नौकरी मिली।  नौकरी में न दिन का पता चलता था  न रात का। बराबरी के चक्कर में और साथ ही शादी की पहली वाली आदतों के कारण मैं राहुल को बॉयफ्रेंड ज्यादा और पति कम समझती थी ।उसी तरह से उस पर गुस्सा करती और काम करने को कहती ।

सास ससुर को यह सब पसंद नहीं आता था उन्होंने अलग कर दिया । अभी बेटा है एक साल का , इसे वहा कोई रखने वाला नहीं इसलिये यहां छोड़ा हुआ है। बस जिंदगी किसी तरह  घिसट रही है।न राहुल अपने माँ बाप को सुख दे सका, न मैं अपने माँ बाप के लिए कुछ कर पाई। चार साल से मेरे कारण दुखी और हो रहे हैं। माँ बीमार रहती है फिर भी मेरे लड़के को संभाल रही हैं। हां इंदु,  पाँच साल पहले जो मैंने तेरे को कहा था कि तुम इस लड़के से शादी करने का गलत फैसला कर रही हो क्योंकि इससे तुम अपने प्यार को धोखा दे रही हो तो वह मेरा कहना बिल्कुल गलत था। यार एक्चुअली प्यार व्यार तो कुछ होता ही नहीं । कॉलेज में किसी के साथ  घूमने का और बात करने का मौका  मिले तो हम उसे प्यार समझते हैं ऊपर से उस उम्र में थोड़ा ऑपोजिट सेक्स की तरफ अट्रैक्शन भी होता है जब इसी सब के चलते लड़के लड़कियां बिना आगे का सोचे समझे शादी कर लेते हैं और फिर जिंदगी की कड़वी सचाइयां जब सामने आती है तो प्यार व्यार तो कहीं रफू चक्कर हो जाता है और रह जाती है सिर्फ तल्ख़ियां और  संघर्ष।” बिंदु यह सब बोल रही थी इंदु को ऐसे लग रहा था कहीं बहुत गहरे कुँए से उसकी आवाज आ रही है।

इंदु की आंखों से आँसू टपक रहे थे। फिर उसने अपनी सहेली के दोनों हाथ पकड़े और कहा,” अभी तेरी सहेली जिंदा है, कोई चिंता मत कर।” यह कहकर दोनों सहेलियां इतनी जोर से गले मिली जैसे सदियों के बाद  दो प्यासी रूहें मिलती है।

              डॉ अंजना गर्ग

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