राम जी कीअंगूठी

उस रात तो मुझे खुश होना ही था रात भर माँ के साथ जो रहा सुबह पत्नी  जगाती रही कि बहुत देर हो गई है लेकिन मैं माँ के साथ सपने मे इतना मशगूल था कि मुझे किसी बात का ध्यान ही नहीं रहा। माँ ने वादा किया था कि वह मुझे हनुमान कि कहानी सुनाएगी।

तो मैं पीछे ही पड़ गया कि माँ आज मैं हनुमान कि कहानी सुने बिना सोने वाला नहीं। माँ हसने लगी और हँसते-हँसते बोली कि आज मई तुमहे हनुमान कि कहानी जरूर सुनाऊँगी।

एक बार राम जी अपने दरबार मे बैठे थे तभी उनकी उंगली से अंगूठी निकल कर गिर पड़ी और जमीन को छेड़ती हुई पाताल लोक तक जा पहुंची। पूरे दरबार के लोग हतप्रभ थे कि राम जी कि अंगूठी जमीन को छेदते हुये पता नहीं कहा चली गई।

सब के मन मे चिंता होने लगी। खुद भगवान राम भी परेशान नजर आने लगे कि आखिर अंगूठी कहाँ गई। हनुमान जी वही राम जी के चरणो मे बैठे थे। राम जी को परेशान देख हनुमान जी बोले प्रभु अगर आप मुझे आदेश करें तो धरती के नीचे जाकर आपकी अंगूठी ढूंढ के लाऊं।

राम जी ने हाँ मे सिर हिलाया  और हनुमान जी अपना आकार बहुत छोटा कर उस छेद मे घुस गए। जहां से अंगूठी नीचे गई थी। मैंने पूछा माँ हनुमान जी खुद को छोटा और बड़ा कैसे कर लेते थे। क्या मैं भी छोटाऔर बड़ा हो सकता हूँ ।



माँ बोली हाँ बेटा कोई भी खुद को छोटा और बड़ा कर सकता है। जब आदमी अपने अंदर के अहंकार को निकालकर फेक देता है और खुद पर नियंत्रण कर लेता है’। और मन को वश मे कर लेता है।  तो वह सूक्ष्म से सूक्ष्म कार्य को करने सक्ष्म हो जाता है।

तब वह जहां चाहे खुद को समाहित कर लेता है। ठीक उसी तरह जब वह भय रहित हो जाता है। बड़ा से बड़ा काम करवाता है। हनुमान जी ने यही खूबी थी वह सबसे शक्तिशाली रहने के बाद भी विनम्र रहते थे हमेशा राम जी के चरणों में बैठेते थे।

मैं पूछता फिर क्या हुआ माँ हनुमान जी जमीन के नीचे गए तो क्या उनको अंगूठी मिली मेरा सवाल सीधे माँ के सामने होता।

महाबली हनुमान जी जमीन के अंदर चलते  चले गए बहुत दूर जाने के बाद उन्हे वहां पाताल लोक में एक राजा मिले उन्होने पूछा तुम कौन हो मैं राम भक्त हनुमान हूँ हनुमान जी को देखते ही पाताल लोक के राजा ने कहा तुम्हारे यहां आने का कारण क्या है तो हनुमानजी ने कहा कि उनकी प्रभु श्रीराम की अंगूठी पाताल लोक में गिर गई है वह अंगूठी  ढूंढने आए हैं।

राजा बहुत हैरान हुआ उसने पूछा कि तुम एक अंगूठी के पीछे इतनी दूर चले आए हनुमान ने जवाब दिया, जी वह मेरे प्रभु की अंगूठी है पता नहीं कैसे वह जमीन पर गिरी और जमीन को छेद करते हुए यहां तक आ गई । पाताल लोक का राजा हंसने लगा यहां तो ना जाने कितनी ऐसी अंगूठियां पड़ी हैं ।



तुम कैसे पहचानोगे तुम्हारे प्रभु राम की अंगूठी कौन सी है । हनुमान जी ने कहा राजन मैं पहचान लूंगा मैं अपने प्रभु की अंगूठी को पहचानता हूं पाताल लोक के राजा ने एक थाली में ढेर सारी अंगूठियां मंगवाई जो कभी जमीन को छूती हुई पाताल लोक तक पहुंच गई थी।

अब हनुमानजी परेशान हो गए थाली में अंगूठियां एक जैसी थी सारी की सारी राम जी की अंगूठी जैसी थी हनुमान जी ने एक-एक अंगूठी को उठाकर देखा सब एक जैसी थी कोई फर्क ही नहीं कर सकता कौन सी अंगूठी उनके प्रभु राम की थी  और कौन सी नहीं थी।

मां मेरी दिलचस्पी वाकई बढ़ रही है कि राम जी की वह अंगूठी हनुमान जी को मिली कि नहीं  मां मुस्कुराती और बोली हां बेटा सवाल यही था कि असली अंगूठी कौन सी थी हनुमान जी पाताल लोक के राजा के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए उन्होंने कहा राजन आप ही बता दीजिए कि मेरे प्रभु श्री राम की अंगूठी इनमें से कौन सी है फिर मैं इन सारी अंगूठियों को उठाकर ऊपर ले जाता हूं और अपने प्रभु श्रीराम को दिखाता हूं वह तो पहचान ही जाएंगे कि इनमें से उनकी अंगूठी कौन सी है।

पाताल लोक का राजा जोर-जोर से हंसने लगा, हनुमान जब तक तुम इन अंगूठियों को लेकर उपर पहुंचोगे तब तक तुम्हारे प्रभु श्रीराम की अवतार की अवधि खत्म हो चुकी होगी।



जब जब तुम्हारे प्रभु राम की अवतार की अवधि खत्म होती है तब-तब उनके हाथ से अंगूठी गिरती है और पाताल लोक में चली आती है । न जाने कितनी बार उनकी कई अंगूठियां यहां आ चुकी है।

मैं सारी अंगूठियों को संभाल कर रख देता हूं । ऐसे में तुम्हारे लिए यह जानना मुश्किल होगा कौन से तुम्हारे वाले राम जी की अंगूठी है ।

मैं पूछता फिर क्या हुआ  मां। मां बोली हनुमान जी समझ गए थे भगवान तो हर युग में आते हैं फिर चले जाते हैं।

लेकिन मैं माँ से कहा  कि राम जी ब्रह्म है वह तो सदा जीवित रहते हैं फिर बार-बार आना जाना क्यों बेटा रामजी तो सदा सदा के लिए हैं।

पाताल लोक के राजा भी तो यही बता रहा था आना जाना तो प्रकृति का चक्र है जैसे आज मैं हूं कल नहीं  रहूंगी तो क्या मैं नहीं रहूंगी, नहीं मां ऐसा कभी नहीं होगा कि तुम नहीं रहोगी तुम तो संसार के सभी माओं  में समाहित हो जाओगी।

ऐसे ही राम जी भी कई रामजी में समाहित होते रहे हैं। जब तुम बड़े हो गए तो जान जाओगे राम सिर्फ अयोध्या में नहीं हुए थे। मां मुझे भी तुम हर मां में नजर आती हो जैसे सारी राम एक हैं वैसे ही हर मां भी एक है। यह बात सच है कि अगर आप मां को ढूंढने निकलेगे तो हर महिला में आप को एक  माँ दिखेगी

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