राजगुरु की चतुराई

बहुत समय पहले की बात है एक नगर में एक राजा था उसके 3 पुत्र थे लेकिन वह फिर भी परेशान रहता था क्योंकि उसके तीनों पुत्र किसी भी काम के नहीं थे दिन भर अय्याशी में डूबे रहते थे।  राजा इस बात से बहुत परेशान रहता था कि उसके मरने के बाद उसके राज्य को कौन चलाएगा अगर ऐसा ही हाल रहा तो उसके राज्य पर दूसरे राजा आक्रमण कर उसके राज्य को अपने राज्य में मिला लेगा।

राजा ने सोचा कि क्यों ना अपने राजगुरू से इस बात में सलाह मशवरा किया जाए कि आखिर इन राजकुमारों को कैसे सुधारा जाए।  ऐसा सोच कर अपने सैनिकों से राजा ने अपने राजगुरु को अपने राजमहल में बुलवाया। राजा राजगुरु अपनी समस्या को बताया।

राजगुरु ने राजा को 17 कमंडल दिया राजा से बोला यह अपने पुत्रों को देकर उनको बोलना कि यह कमंडल आपस तब बंटवारा करना जब मेरी मृत्यु हो जाए  यदि बांटने का गणित समझ ना आए तो राजगुरू से सलाह जरूर ले लेना और कमंडल बांटने का तरीका यह होना चाहिए कि सबसे बड़े लड़के को इस कमंडल का आधा हिस्सा मिलना चाहिए और दूसरे बेटे को इसका तिहाई हिस्सा मिलना चाहिए और तीसरे बेटे को इसका नौंवा हिस्सा मिलना चाहिए।  इस गणित को जानकर राजा खुद परेशान हो गया कि कमंडल तो 17 है तो इस तरह से कैसे बांटा जा सकता है। राजगुरु ने बोला राजन आप इसकी चिंता मत करो बस अपने लड़कों को इस कमंडल को दे देना बाकी चीजें मैं खुद संभाल लूंगा।



एक दिन राजा ने अपने तीनों पुत्रों को अपने पास बुलाया और बोला बेटा मेरे अब प्रभु के पास जाने का समय आ गया है पता नहीं मैं कब निकल जाऊं इसलिए मैं चाहता हूं कि आप तीनों में इस जायदाद का 3 हिस्सा कर दु। लेकिन मैं इस बात से परेशान हूं कि राजा मैं तीनों में से किस बेटे को बनाऊं इसलिए मैं तुम्हें यह 17 कमंडल देता हूं।   इसे तुम लोग मेरे मरने के बाद बांटना जो सबसे पहले इस गणित को समझ जाएगा वहीं इस राज्य का अगला राजा होगा अगर सिर्फ तुम्हें यह गणित समझ ना आए तो अपने राजगुरू से जाकर मिलना उसके बाद राजगुरु जिसको राजा बनाना चाहे फिर वही राजा बनेगा।
 राजा के तीनों पुत्रों ने राजा की बात मान ली और वह फिर से  अय्याशी वाले जीवन जीने लगे। एक दिन राजा बहुत बीमार हो गया और कुछ दिनों बाद ही प्रभु को प्यारा हो गया।

 कुछ दिनों बाद तीनों लड़कों ने उस कमंडल को निकाला और आपस में बांटना शुरू किया।   जैसे कि राजगुरु ने बताया था कि इस कमंडल के आधा हिस्सा उस लड़के को दिया जाएगा जो इस गणित को पहले सुलझाएंगा लेकिन  कमंडल तो 17 थे उसे आधा कैसे बांटा जा सकता था कमंडल तो 18 होने चाहिए तभी किसी को आधा बांटा जा सकता था तीनों राजकुमार यह देख परेशान हो गए थे उनको समझ नहीं आ रहा था कि वह इस कमंडल को आपस में कैसे बांटे।

आखिर में राज गुरू के आश्रम में जंगल में गए।  राजगुरू से इस बारे में चर्चा किया। राजगुरु ने बोला तो क्या तुम लोग इस बात को मान लिया कि आपस मेंतुम इसे नहीं बांट सकते हो तीनों लड़कों ने हां में स्वीकृति दी।

राजगुरु  ने कहा कि मेरे पास एक कमंडल है वह मैं तुम लोगों को दे देता हूं अब तुम्हारे कमंडल अट्ठारह हो गए।  अब इसे तुम चाहो तो बांट सकते हो। उसके बाद तीनों लड़कों ने देखा कि कमंडल 18 हो चुके हैं और उसमें से 9 कमंडल बड़े लड़कों को राजगुरु ने दे दिया उसके बाद गणित या था कि दूसरे लड़कों को उसका एक तिहाई हिस्सा देना था तो राजगुरु  उस में से छह कमंडल दूसरे लड़कों को दे दिया इसके बाद गणित यह था कि तीसरे लड़के को उसका नौवाँ हिस्सा देना था यानी कि दो कमंडल देना था।



अब राजगुरु ने दो कमंडल तीसरे लड़के को दे दिया और आखिर में एक  कमंडल बच गया और राजगुरु ने बोला कि यह कमंडल तो बच गया इसे मैं वापस ले लेता हूं क्योंकि यह मैंने तुम्हें दिया था तीनों राजकुमार इस बात को देखकर चकरा गए यह कैसा गणित है।   

उन्होंने बोला कि तुम्हारे पिताजी ने तुम्हें बताया होगा कि अगर इस गणित को तुम लोग सुलझा नहीं पाओगे तो राजा चुनने का अधिकार मुझे होगा इसलिए मैं राजा तुम्हारे बड़े भाई को चुनता हूं।

उस दिन के बाद से तीनों राजकुमार को यह बात समझ आ गई थी कि अगर थोड़ा सा दिमाग लगाया जाए तो कठिन से कठिन समस्या का भी हल ढूंढा जा सकता है।

दोस्तों इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है कि अगर हम कितनी भी उलझन में हो कितनी भी मुश्किल में हो अगर हम थोड़े से अपने दिमाग को ठंडा करके सोचेंगे तो हमें हर परेशानी का हल मिल जाएगा।  दोस्तों अगर यह कहानी आपको पसंद आया हो तो आप अपने दोस्तों को अपने रिश्तेदारों को शेयर जरूर कीजिए।

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