पिता तो सिर्फ पिता होता है

मेघा किचन में सुबह-सुबह नाश्ता बना रही थी तभी उसके ससुर ने जोर से आवाज लगाई बहु जल्दी से इधर आना देखो यह न्यूज़ वाले क्या दिखा रहे हैं.  मेघा ने किचन से ही आवाज लगाई पापा जी न्यूज़ वालों का क्या है यह तो कुछ भी दिखाते रहते हैं. आजकल न्यूज़ नहीं मनोरंजन मसाला हो गया है, न्यूज़ जो पहले जमाने में आया करता था जो दूरदर्शन पर आता था बिल्कुल सटीक और सत्य न्यूज़.  अब तो यह न्यूज़ नहीं सिर्फ टीआरपी का खेल हो गया है.

मेघा के ससुर ने आवाज लगाई बहु  एक बार आओ तो सही, देखो हमारे बेटे का टीवी  वाले नाम ले रहे हैं पता नहीं क्या हो गया है. मेघा किचन में रोटी बना रही थी तो बेलन हाथ में लिए हुए ही  ससुर जी के कमरे में आ गई और टीवी पर देखी कि कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में 3 सैनिक की मौत हो गई है. उसमें से एक उसका पति रवि पटेल था.  इतना सुनते ही मेघा वहीं पर बेहोश हो गई. ससुर जी दौड़कर मेघा की सास को बुलाकर लाए मेघा के मुंह पर पानी डाला गया थोड़ी देर बाद मेघा को होश आया घर में अब बिल्कुल सन्नाटा छाया हुआ था.  कोई किसी से बात नहीं कर रहा था धीरे-धीरे आसपास के लोगों और मेहमानों को भी यह बात पता चल गया कि मेघा के पति रवि पटेल शहीद हो गया है, सब लोग सहानुभूति देने के लिए मेघा के घर पर आ रहे थे.  

अगले दिन मेघा के पति की लाश भी आ चुकी थी और प्रशासन के निगरानी में लाश को  भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई.

मेघा अपने पति के गुजर जाने के बाद बिल्कुल ही बिखर चुकी थी. ऐसा लग रहा था वह जीना ही भूल चुकी है उसके ससुराल वाले उसे यूं देखकर बहुत ही परेशान हो जाते थे अभी मेघा की उम्र ही क्या हुई थी सिर्फ 35 साल, अभी तो उसकी पूरी जिंदगी बाकी थी.  मेघा की 14 साल की एक लड़की भी थी. जिसका नाम समीरा था.



मेघा के मायके वाले भी और ससुराल वाले दोनों परिवार  मेघा को दुबारा शादी करने के लिए दबाव डालने लगे लेकिन मेघा इस बात के लिए राजी नहीं थी कि वह दुबारा शादी करेगी, क्योंकि वह अपने पति रवि से बहुत प्यार करती थी और अपने दिल में उसके अलावा किसी को जगह नहीं देना चाहती थी लेकिन वह अपने घरवालों की मर्जी के खिलाफ भी  नहीं जा सकती और उनके आगे हार मानना ही पड़ा.

फिर क्या था कुछ दिनों बाद ही  ससुराल वालों ने मेघा का रिश्ता पास के ही गांव के एक स्कूल शिक्षक से तय कर दिया।  2 साल पहले ही उसकी पत्नी की मृत्यु किस बीमारी के कारण हो गई थी और उससे 1 साल का बेटा भी था. मेघा की शर्त यह थी कि वह शादी से पहले लड़के से बात करना चाहेगी उसके बाद ही वह शादी करने को तैयार होगी.  इस बात की इजाजत घरवालों ने भी दे दी.

पास में ही एक छोटा सा शहर था उसी शहर के  एक रेस्टोरेंट में मेघा और स्कूल शिक्षक जिससे उसकी शादी होने वाली थी उसका नाम मोहन था बैठे हुए थे और चाय के चुश्कियो के  साथ एक दूसरे से बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ.

मेघा और मोहन की देखा जाए तो उम्र बराबर  ही था दोनों 35 के ही करीब थे मेघा ने सबसे पहले मोहन से यही सवाल पूछा कि जैसा कि आपको तो पता होगा कि मेरी एक 14 साल की बेटी समीरा भी है और मैं यह चाहती हूं कि मैं जिस से भी शादी करूं वह इंसान मेरी बेटी को अपने नाम के साथ पिता का प्यार भी दे.  अगर आप ऐसा कर सकते हैं तो मैं आपसे शादी करने के लिए तैयार हूं, सिर्फ दिखावे का प्यार नहीं चाहिए, मुझे अपनी बेटी से सचमुच का एक पिता वाला प्यार चाहिए. और यह बात मुझे भी पता है आपका भी एक 1 साल का बेटा है और उसे भी मैं अपनी बेटे की तरह ही अपनाऊंगी.



मोहन इस बात के लिए तैयार हो गया और कुछ दिनों के बाद मेघा और मोहन की एक दूसरे से एक मंदिर में सादे  रीति-रिवाज से शादी हो गई.

शादी के कुछ दिनों के बाद ही मेघा को यह पता  चलने लगा कि मोहन की कुछ आदतें उसके पहले पति रवि जैसी थी.  मोहन का बोलचाल का लहजा, मोहन के कपड़े पहनने का ढंग और खाने की पसंद  कुछ कुछ रवि जैसा था मेघा ना चाहते हुए भी मोहन से प्यार करने लगी थी.  

लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यह थी कि मेघा की बेटी समीरा अभी तक मोहन को अपने पिता के रूप में स्वीकार नहीं कर पाई थी. मेघा की बेटी समीरा अपने पिता रवि की जगह किसी और इंसान को नहीं देना चाहती थी वह हमेशा मोहन को सौतेला बाप ही समझती  थी और पापा तो उसने कभी कहती ही नहीं थी बल्कि मोहन अंकल कहती थी.

कुछ दिनों से तो समीरा बिल्कुल ही मोहन से उखड़ी हुई रहती थी.  समीरा हर बात को लेकर मोहन पर ताने कसती रहती थी. अगर मोहन कोई बात को लेकर डांट देता  तो वह यही कह कर टाल देती थी कि मैं तुम्हारी सगी बेटी नहीं हूं ना इसीलिए तुम मुझ में हमेशा कमी निकालते रहते हो.  हर वक्त आप मुझे नीचा दिखाने की कोशिश करते हो आप अपने बेटे रोहन से ज्यादा प्यार करते हो, मैं कौन हूं आप की सौतेली बेटी.

 मोहन को यह बात बहुत बुरा लगा  पर चुपचाप आकर चेयर पर बैठ गया और वह मन ही मन यही सोच रहा था कि वह कभी भी समीरा को सौतेली बेटी नहीं समझा फिर वह उसे अपना पिता स्वीकार नहीं कर पा रही है।   चाह कर भी इस समस्या से निजात नहीं पा रहा था हर बार समीरा कुछ भी कहता तो समीरा यही कह कर टाल देती थी कि मैं आपकी सौतेली बेटी हूं इसलिए आप मेरे साथ ऐसा व्यवहार करते हैं जबकि मोहन समीरा को हमेशा अपनी सगी बेटी की तरह समझता था और उसी की तरह प्यार देना चाहता था.



इधर मेघा भी बाप बेटी की रिश्ते को लेकर बहुत परेशान हो गई थी वह समझ नहीं पा रही थी कि वह किसका पक्ष ले अगर  मोहन की तरफ से बोलती है तो समीरा को यह लगेगा वह उसको भूल चुकी है और सौतेले बाप को ज्यादा तरजीह दे रही है अगर मोहन को छोड़ अपनी बेटी की पक्ष लेती है तो मोहन को यह लगेगा की बेटी है इसलिए वह उसके तरफ से बोल रही है.

यही सब बात को सोचकर मेघा दूसरी शादी नहीं करना चाहती थी लेकिन घरवालों के आगे झुकना पड़ा. वह कई बार कोशिश करती थी कि मोहन और समीरा के बीच दोस्ती हो जाए एक दूसरों के कम से कम बाप बेटी ना समझे तो कम से कम दोस्त तो समझे ही.  लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था इसका मुख्य कारण था वह चंद रिश्तेदार और वह पड़ोसी और समीरा के स्कूल की दोस्त , समीरा की बुआ, उसकी मामी उसकी मौसी जो बिल्कुल ही पुराने ख्यालात के थे जिन्होंने समीरा के मन में सौतेलेपन का बीज बो दिया था.

समीरा अपने सौतेले बाप मोहन से इस  लिए भी दूर रहती थी कि उसके स्कूल फ्रेंड ने  उसके दिमाग में यह भर दिया था कि आजकल सौतेले बाप कभी भी अपनी बेटी को स्वीकार नहीं करते हैं और कई बार तो यह भी सुनने में आया है कि वह अपनी बेटी के साथ बलात्कार तक कर सकते हैं.  इस डर की वजह से कभी भी मोहन के पास अकेले में नहीं जाती थी अगर मोहन गलती से समीरा को छू भी लेता था तो समीरा को उसका छूना बिल्कुल ही पसंद नहीं आता था जबकि मोहन के मन में ऐसा कुछ भी नहीं था वह अपनी सगी बेटी की तरह समीरा को मानता था.

कुछ दिनों के बाद ही समीरा अब  कॉलेज में पहुंच चुकी थी और कॉलेज में समीरा कुछ ज्यादा ही मॉडर्न  तरह की कपड़े पहन कर जाने लगी इस तरह का कपड़े पहनना मोहन को पसंद नहीं था.  उसने समीरा को कई बार इस बात के लिए टोका भी. इस तरह के कपड़े पहनना सही नहीं है.  लेकिन हमेशा से समीरा, मोहन की बातों को अनसुना करती थी वैसे ही इस बात को भी कर देती थी वह जितना मोहन इस तरह के कपड़े पहनने से मना करता था और ज्यादा पहनती थी.



1 दिन घर आते हुए बाइक से मोहन का एक्सीडेंट हो गया.  समीरा जब घर आई तो पता चला कि सब हॉस्पिटल गए हुए हैं लेकिन समीरा को इस बात से बिल्कुल ही नहीं फर्क पड़ा कि मोहन का एक्सीडेंट हुआ है वह अपने पिता के नाते ना सही कम से कम उस घर के गार्जियन का एक्सीडेंट हुआ है उसके सारा खर्चा वही उठाता है उसने ही जाकर मिले लेकिन हॉस्पिटल में मिलने तक नहीं गई उसके अंदर इतना सौतेलेपैन का बीज बो दिया गया था कि मोहन से बिल्कुल ही नफरत करने लगी थी.

मोहन हॉस्पिटल में पड़ा हुआ था सारे रिश्तेदार मिलने आ गए लेकिन समीरा मिलने नहीं आई. इस बात को इस को बहुत दुख था कि आखिर वह ऐसा क्या करें कि उसकी बेटी उसको स्वीकार कर ले भले ही उसे पापा ना कहे अंकल ही कहे कम से कम उसे स्वीकार तो करें.

जब मैं मोहन को कम से कम 3 महीने बेड रेस्ट करने के लिए कह दिया था.  एक दिन समीरा कॉलेज से घर आई तो वह अपनी मां मेघा से लिपट कर रोने लगी और अपनी मां से वह कुछ कह रही थी मोहन भी समझ रहा था कि जरूर कुछ समीरा के साथ बुरा हुआ है उसने पूछा तो समीरा ने कुछ नहीं बताया।  समीरा के अपने कमरे में जाने के बाद मोहन ने मेघा को अपने पास बुलाया और पूछा क्या बात हुई है बताओ मेघा नहीं चाहती थी यह बात मोहन को पता चले नहीं तो मोहन बहुत गुस्से वाला है वह कुछ कर देगा बात को टालना चाहती थी लेकिन मोहन समझ जाता था कि मेघा उससे झूठ बोल रही है मेघा ने कहा तुम्हें तुम्हारी बेटी समीरा की कसम मुझे सच सच बताओ बात क्या है.

मेघा ने मोहन से बताया कि समीरा अभी जब कॉलेज से घर लौट रही थी तो चौराहे पर दो चार बदमाश लड़के।  खड़े रहते हैं जिसमें से पड़ोसी मोना आंटी की एक बेटा भी था. समीरा को पकड़कर किस कर दिया था.



इतना सुनकर मोहन के अंदर गुस्सा  भर चुका था वह कह रहा था. मैं तो समीरा  को कितने दिनों से समझाता हूं कि वह इस तरह के छोटे छोटे कपड़े ना पहना  करें लेकिन वह मेरी बात मानती कहां है.

थोड़ी देर बाद ही मोहन अपने बेड  से उठा और समीरा के कमरे में गया और समीरा का हाथ पकड़ा और बोला समीरा चलो मेरे साथ मेघा मना कर रही थी कि तुम्हें डॉक्टर ने चलने के लिए मना किया है लेकिन मोहन इस बार नहीं माना और वह मोना आंटी  के घर पहुंच चुका था आंटी के दरवाजे का बेल बजाया तो मोना आंटी ने जैसे दरवाजा खोला, मोहन ने कहा आपका लड़का कहां है उसने मेरी बेटी को छेड़ा है मैं उसे छोडूंगा नहीं। मोना आंटी ने तंज कसते हुए कहा पहले आप अपनी बेटी को तो संभाल लो इस तरह के कपड़े पहनकर घूमेगी तो लड़के छेड़ेंगे नहीं तो क्या आरती उतारेंगे.

तब तक मोना आंटी की बेटा भी बाहर दरवाजे तक आ चुका था इतने में मोहन ने लड़के का हाथ पकड़ कर बाहर निकाला और  समीरा से कहा इसे जोर से एक थप्पड़ लगाओ ताकि पूरे जिंदगी इसकी गूंज सुनाई देनी चाहिए ताकि दूसरे लड़की को छेड़ने  के बारे में सोच ना सके.

मोना आंटी कहे जा रही थी कि आप मेरे बेटे को मारने से पहले अपनी बेटी को समझाओ.  तब तक मेघा भी आ चुकी थी और उसने मोना आंटी से कहा यह मेरी बेटी है और इसको जो मन में आएगा वह कपड़ा पहनेगी  जैसा मन में आएगा वैसे रहेगी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है लड़कों को यहां लाइसेंस मिल जाता है वह किसी का भी हाथ पकड़ कर किस कर देंगे।   वह आप का जमाना था लेकिन यह आज का जमाना है इसने मेरी बेटी को छेड़ा है इसकी सजा तो जरूर मिलेगी. फिर क्या था मेघा ने उसी समय तो 100 नंबर पर फोन कर कर पुलिस बुला लिया था.

फिर उसी समय  पुलिस ने उस लड़के को गिरफ्तार कर कर थाने ले कर गई,  इधर समीरा पने सौतेले पिता मोहन का हाथ पकड़कर घर लेकर आई.

समीरा मोहन को  बेड पर लिटाते हुए मोहन के पैरों में पड़ गई और रोते हुए बोली पापा मुझे माफ कर दो, मैंने आज तक आपको दर्द के सिवा कुछ भी नहीं दिया आप मुझे इतना केयर करते थे लेकिन मैं दूसरे की बातों में आकर कभी आपको समझ नहीं पाई.  मैंने हमेशा अपने आपको सौतेला बाप समझा लेकिन अब मुझे समझ आया, सौतेला शब्द कुछ नहीं होता है “पिता तो सिर्फ पिता होता है.” तभी मोहन ने अपनी बेटी को गले लगाते हुए कहा चुप रह पगली अब कितना रोएगी मुझे भी रुलाएगी, मोहन दोनों मां बेटी और अपने बेटे रोहन  को गले लगा लिया और उस दिन के बाद से छोटा सा परिवार अपने जीवन शुरुआत कर चुका था जहां पर सौतेला नाम का शब्द उनकी जिंदगी में दूर दूर तक नहीं था.

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