एक बार की बात है एक सेठ शिव के मंदिर में पूजा करने गया तो मंदिर में बहुत लंबी लाइन लगी हुई थी तो सेठ भी लाइन में लगा और अपना नंबर आते ही भगवान का पूजा करने लगा तब तक उसका पर्स उसी मंदिर में गिर गया। सेठ को पता नहीं चला कि उसका पर्स मंदिर मे ही गिर गया और वह घर चला गया अगले दिन जब वह अपनी दुकान के लिए जाने लगा तो अपने पेंट की जेब में हाथ डाला तो देखा कि उसका पर्स तो है ही नहीं उसे लगा जरूर मंदिर में गिर गया होगा वह तुरंत मंदिर की तरफ चला उसका दिल कह रहा था एक बार चलकर मंदिर के पुजारी से पूछते हैं क्या पता मेरा पर्स उसी के पास हो।
सेठ थोड़ी देर बाद मंदिर पहुंचा और मंदिर के पुजारी से पूछा पुजारी जी क्या कल आपको एक पर्स मिला है मुझे लगता है मेरा पर्स कल यहीं पर गिर गया है। पुजारी ने कहा हां मुझे कल यहां पर 2 पर्स मिला है लेकिन मैं यह कैसे आपको दे सकता हूं आप मुझे अपना कुछ प्रमाण दीजिए जिससे मुझे पता चले कि वह पर्स आपका ही है।
सेठ ने कहा कि मेरे पर्स में एक भगवान शिव का फोटो है। पुजारी ने कहा सेठ जी यह तो कोई प्रमाण नहीं हुआ क्योंकि भगवान का फोटो तो हर कोई अपने पर्स में रखता है कोई और प्रमाण बताइए।
सेठ ने बोला कि पुजारी जी जब आप उस पर्स मे से भगवान के फोटो को हटाएंगे तो उसके पीछे चार और फोटो मिलेंगे जो मेरे परिवार वालों के हैं।
उस पर्स का सारा फोटो मेरे जीवन की यादगार लम्हों को दर्शाती है सबसे नीचे जो फोटो है वह मेरे मां बाप का है उसके बाद का जो फोटो है वह जब मैं ग्रेजुएशन में पढ़ता था और जवान हुआ करता था तब का है मैं अपनी एक स्टाइलिश फोटो अपने पर्स में रखा करता था फिर कुछ दिनों के बाद मुझे एक लड़की से प्यार हो गया और मैं उसकी तस्वीर अपने पर्स में रखने लगा। उसके बाद मुझे मेरी शादी उसी लड़की से हो गई और कुछ दिनों के पश्चात ही मुझे एक सुंदर सा पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। तब से मैं अपने बेटे की फोटो अपने पर्स में रखने लगा लेकिन धीरे-धीरे बेटा बड़ा हुआ और उसकी शादी हो गई और मैं बुड्ढा हो गया और हमारा बेटा हमें छोड़ कर शहर में रहने लगा तब मुझे समझ आया कि भगवान ही एक ऐसा सहारा है जो कभी भी साथ नहीं छोड़ते हैं तब से मैं इन सारे फोटो के ऊपर भगवान शिव की फोटो रखता हूं।
पुजारी ने जब पर्स मे चेक किया तो बिल्कुल ही भगवान के पीछे ऐसे ही उसके चार फोटो रखा हुआ था और पुजारी ने वापस सेठ को वह पर्स वापस लौटा दिया।
दोस्तों हमारे जीवन में हम सभी के साथ ऐसा होता है जब हम सुख में होते हैं तो हमें कभी भी भगवान की याद नहीं आती है लेकिन जैसे ही हमें भगवान थोड़ा सा दुख देता है हमें उसकी याद तुरंत आ जाती है और हम भगवान की पूजा करना शुरू कर देते हैं लेकिन हम भगवान का सुमिरन सुख में भी करें तो हमारे जीवन में कभी दुख आए ही न।