एक बार की बात है एक राज्य में एक राजा रहता था वह अपने राज्य मंत्री से पूछा क्या आप बता सकते हैं कि हमारे राज्य में कौन से व्यवसाय करने वाले लोग ज्यादा रहते हैं. राज्य मंत्री ने जवाब दिया कि महाराज हमारे राज्य में सबसे ज्यादा व्यवसाय करने वाले लोग में वैद्य ज्यादा है।
राजा ने राज्य मंत्री का सवाल सुनकर आश्चर्य से पूछा कि अपने राज्य में तो हर कोई निरोग है फिर हमारे राज्य में इतना वैद्य होने की वजह क्या है। राजा ने बोला मैं यह नहीं मानता मुझे इस बात का प्रमाण चाहिए। राज्य मंत्री बोला ठीक है महाराज आप को कल इसका प्रमाण मिल जाएगा।
अगले दिन राज्यमंत्री जब राजा की सभा में हाजिर हुआ तो उसने अपने हाथ की एक उंगली पर पट्टी बांधी हुई थी। राजा ने उसे देखा और राज्य मंत्री से पूछा राज्यमंत्री तुम्हारी उंगली कैसे कट गई। राज्य मंत्री ने बोला महाराज सुबह-सुबह मैं अपने तलवार पर धार लगा रहा था तो मेरी उंगली कट गई। राजा ने उसे तुरंत आयुर्वेदिक दवाई लगाने की सलाह दे दी।
उसके बाद राज्य मंत्री वहां से चला गया और अपने राज्य का भ्रमण करने लगा जहां भी जाता लोग उससे पूछते और वह सबको यही बताता है कि तलवार में धार लगाने की वजह से उसकी उंगली कट गई और जो भी लोग मिलते उसे कोई ना कोई सलाह दे देते कि मंत्री जी आप यह दवाई लगाइए बहुत जल्द आराम मिल जाएगा जितने लोग भी मंत्री को सलाह देते थे उनका नाम वह एक कागज पर लिख लेता था।
शाम को जब मंत्री वापस राज दरबार में आया तो वह कागज राजा को सौंप दिया और बोला महाराज यह रहे हमारे राज्य के वैद्य की सूची । राजा ने देखा कि सबसे ऊपर उसमे उसी का नाम है राजा ने पूछा तुमने तो इसमें मेरा नाम भी लिख रखा है।
राज्य मंत्री ने हंसते हुए कहा महाराज सबसे पहले मैं जब सुबह राज दरबार में आया तो आप ने ही मुझे सलाह दी और ऐसे ही पूरे दिन में जितने लोग कि मुझे मिले सब ने कुछ न कुछ सलाह दी इससे तो यही पता चलता है कि हमारे राज्य में सबसे ज्यादा वैद्य की संख्या है।
दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है जब तक हमसे कोई सलाह ना मांगी जाए हमें सलाह नहीं देना चाहिए और वैसा सलाह तो बिल्कुल ही नहीं देनी चाहिए जिस विषय पर आपकी पूरी तरह से समझ ना हो अगर आप सुनी सुनाई बातों का ज्ञान किसी और को देते हैं तो शायद उसे नुकसान भी हो सकता है इसलिए किसी को कुछ भी सलाह देने से पहले एक बार जरूर सोचें उसका प्रभाव उस व्यक्ति पर क्या पड़ेगा।