एक बेटा तो होना ही चाहिए

दोस्तों कहने को तो हम आधुनिक होते जा रहे हैं हमारा रहन-सहन जीवनशैली सब कुछ आधुनिक हो गया है लेकिन एक मामले में हम अभी भी आधुनिक नहीं हो पाए हैं वह है बेटियों के लेकर मन में गलत दुर्भावना हमें आज भी पता नहीं क्यों बेटा चाहिए होता है।  यह मेरी कहानी है मैं मंजू एक एमएनसी कंपनी में एचआर के पद पर जॉब करती हूं मेरी दो फूल सी बेटियां हैं और मैं उनमे से एक को डॉक्टर और एक को सिंगर बनाना चाहती हूं क्योंकि वह बहुत अच्छा गाती है और मेरा मानना भी ऐसा ही है कि जिस बच्चे की जिस क्षेत्र में रुचि हो उसे उसी क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए।  सब कुछ सही से चल रहा था मेरी सास भी मेरी सोच को सपोर्ट करती थीं और मेरा पति भी।

1 दिन संडे का दिन था और सासु मां की बहन यानि मेरे हस्बैंड की मौसी का फोन आया कि बहू आज दोपहर तक मैं आ रही हूं राजेश (मेरे पति ) को स्टेशन भेज देना मुझे लेने के लिए मैंने बोला ठीक है मौसी जी मैं भेज दूंगी।

दोपहर होते ही मेरे पति राजेश ने  मौसी जी को स्टेशन से लेकर घर आ गए थे।  लंच का टाइम हो ही गया था तो मैंने सबको फटाफट लंच कराया और सब मिलकर छुट्टी का दिन था तो बैठकर हंसी ठिठोली कर रहे थे।



मौसी जी ने मुझसे पूछा बहू मेरी बहन के घर में बेटे की किलकारियां कब  गूंजेगी। मैंने मौसी जी से कहा कि बेटा क्या जरूरी है मौसी जी दो बेटियां हैं यह क्या कम है।   मौसी जी ने कहा बहु वंश चलाने के लिए बेटा तो जरूरी होता है। नहीं तो मेरी बहन का वंश यहीं पर खत्म हो जाएगा।  मौसी ने एक उदाहरण देते हुए कहा राजेश के फूफा का ही देख लो उनके तीन बेटियां और एक बेटा था बेटा का जब से कार दुर्घटना में मौत हुई और तीनों बेटियों की शादी होने के बाद तो वो बिल्कुल ही अकेले हो गए हैं उनकी देखभाल करने वाला भी कोई नहीं रह गया है।  अगर उनका बेटा जिंदा होता तो कम से कम उनका जीवन यापन तो सही से हो रहा होता।

मैंने भी मौका देखते हुए छक्का मार दिया और कहा मौसी जी वह तो ठीक है लेकिन आपका भी तो एक बेटा है दिनेश और इंडिया में ही रहता है लेकिन आप से मिलने साल में एक बार भी नहीं आता है और वही आपकी बेटी मालिनी आपसे हर महीने मिलने आ ही जाती है और मैंने तो यह भी सुना है कि दिनेश तो आपको फोन भी कई महीनों पर करता रहता है अब आप ही बताइए ऐसा बेटा होने से क्या फायदा।  ऐसा लगा जैसे मैंने मौसी जी के मुंह में तीखी मिर्ची खिला दी हो। मेरी इस बात को मेरी सासू मां ने भी सपोर्ट कर दिया और बोला हां सुनीता बहु सही तो कह रही है। अगर दिनेश जैसा बेटा देने से अच्छा है कि बेटियां ही सही है कम से कम वह हमें हमारी केयर तो करती हैं

Writer:Mukesh Kumar

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