मेरे पति जैसा कोई नहीं-मुकेश कुमार

आज मेरी शादी का 28 वां सालगिरह है.  मेरे घर में मेरी दो बहुएं भी हैं। छोटा बेटा इंजीनियरिंग कर रहा है।  बेटी भी ग्रेजुएशन फाइनल में पहुंच चुकी है। सब मिलकर मेरे इस सालगिरह को यादगार बनाने में लगे हुए हैं।  मेरे पति मुझसे इतना प्यार करते हैं। ऐसा लगता है कि हमारी शादी तो अभी पिछले साल हुई है शादी के समय से लेकर इतना प्यार रोमांस है आज भी है।  मेरे पति हमेशा मेरे सुख-दुख में साथ दिया है। हमेशा मेरा सम्मान किया है मेरा इज्जत किया है।

जब मैं पहली बार मां बनी थी तो मेरे घर में उल्टा था हर कोई चाहता है चाहे पति हो या  सास कि सबसे पहले घर में लड़का पैदा हो लेकिन मेरे परिवार में सब लोग लड़की चाहते थे। क्योंकि मेरे ससुराल में तीन पीढ़ियों से किसी भी लड़की का जन्म नहीं हुआ।  मेरे ससुर भी सिर्फ दो भाई थे और मेरे पति तो इकलौते लड़के थे। सासु मां को भी एक लड़की चाहिए थी और मेरे पति को भी। घर में लड़की पैदा हो इस वजह से घर में सत्यनारायण भगवान का कथा भी हुआ।  मैं देख कर हैरान थी कि चलो ऐसी फैमिली भी है जो लड़कियों की इज्जत करता है।



भगवान भी बड़ा निष्ठुर है।  मेरे फैमिली को लड़की चाहिए था तो लड़की की चाह में मुझे तीन बेटे हो गए।  मेरे सासु माँ ने बोला की आखिरी बार देखते हैं अगर इस बार बेटा हो या बेटी भगवान की मर्जी समझ के एक्सेप्ट कर लेंगे।  इस बार भगवान जी भी खुश हुए और मेरी गोद एक सुंदर सी बिटिया से भर दिया। हंसी-खुशी जीवन बीत रहा था कोई तकलीफ नहीं था।  

लेकिन हर कहानी में एक क्लाइमैक्स जरूर होता है।  बिटिया के जन्म के कुछ दिनों बाद ही मेरे शरीर में अचानक से सफेद दाग जैसा होने लगा और मेरा शरीर पूरी तरह से इसके चपेट में आ गया यहां तक कि मेरा चेहरा भी बिल्कुल ही बदसूरत दिखने लगा।  अब मुझे बाहर आने जाने में शर्म आने लगी मैं किसी भी समारोह या शादी पार्टी में नहीं जाती। मेरी कॉलोनी की बहुत सारी मेरी सहेलियों ने मुझसे रिश्ता तोड़ लिया उन्हें लगता था कि मेरे साथ टच में रहने से उनको भी यह बीमारी हो जाएगी।  मैं पूरी तरह से डिप्रेशन का शिकार हो चुकी थी। पार्क में भी जाती थी। अगर मैं वहाँ पर बैठती थी तो वहां से लोग उठ कर चले जाते थे। घर आकर मैं बहुत रोती थी। ऐसी मुश्किल घड़ी में मेरे पति ने मुझे बहुत सहारा दिया। वह मुझे अक्सर समझाते थे  और मुझे हमेशा सकारत्म्क रहने को कहते थे।

एक बार मैंने अपने पति से पूछा कि मेरा चेहरा इतना बदसूरत हो गया है क्या अब  भी आप मुझे उतना ही प्यार करते हैं ? जितना पहले करते थे। उन्होंने मुझसे कहा कि क्या यही बीमारी मुझे हो जाता तो क्या तुम मुझे प्यार करना छोड़ देती।  उस दिन मुझे इस बात का एहसास हुआ इसे कहते हैं दांपत्य जीवन निभाना। एक दूसरे की कमियों को नजरअंदाज कर कर एक दूसरों पर भरोसा और प्यार करना। मैं अपने आप को बहुत ही खुशनसीब मानती हूं कि मुझे ऐसे पति मिले।



धीरे-धीरे मैं अपने नकारात्मक सोच से बाहर आने लगी।  मेरे बेटे और बेटियों ने भी मुझे बहुत ही हिम्मत दी। शादी से पहले मैं मधुबनी पेंटिंग बनाया करती थी क्योंकि मैं बिहार की मिथिला की निवासी हूं।  मधुबनी पेंटिंग मेरे खून में बसा हुआ है। मेरे पति ने कहा तुम फिर से पेंटिंग बनाना शुरू करो तुम्हारा मन भी लग जाएगा और नकारात्मक सोच से जल्दी बाहर आ जाओगी।  मैं उनके बार-बार कहने की वजह से दोबारा से पेंटिंग करना शुरू कर दी और इस क्षेत्र में पूरी तरह से सक्रिय हो गई।

मेरे बेटो ने मेरे पेंटिंग को ऑनलाइन ई-कॉमर्स वेबसाइट पर डाल दिया वहां से अच्छा खासा डिमांड आना शुरू कर दिया फिर तो मैं बहुत सारी पेंटिंग बनाने लगी और धीरे-धीरे मेरा पेंटिंग का व्यापार अच्छा खासा चलने लगा।  मेरे पति ने तो अपनी प्राइवेट जॉब छोड़कर पूरी तरह से इसी बिजनेस में लग गए। जब आज मेरी पेंटिंग का डिमांड देश विदेश में होता है तो मुझे अपने आप पर भी और मेरे पति पर भी गर्व महसूस होता है।

 भगवान करे सबको ऐसा ही पति दे जो अपनी पत्नी को समझ सके उसके हर मुश्किल वक्त में उसका सहारा बन सके।  शादी के वक्त जो सात वचन होता है मेरे पति ने उस वचनों का बिल्कुल ही सही तरह से पालन किया और निभाया भी और कोशिश मेरी यही रहेगी कि मैं भी अपने सातों वचन को निभाऊँ।

Writer:Mukesh Kumar

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