एक प्रेरक कहानी-मन की सुंदरता

एक जंगल में एक कौवा रहता था. जब वह दूसरों पक्षियों को देखता था तो उसके मन में हीन भावना आ जाती थी और सोचता था कि भगवान ने मुझे कैसा बनाया है मेरे पंख भी काले काले हैं और मेरी आवाज भी सुंदर नहीं है. यह सब सोच सोच कर वह दुखी रहने लगा.

 एक दिन एक ही पेड़ पर कौवा और बगुला दोनों बैठे थे वैसे तो दोनों अच्छे दोस्त थे लेकिन आज कौवा कुछ भी नहीं बोल रहा था, कौवा को चुपचाप देख बगुला ने कौवे से पूछा कौवा भाई  उदास क्यों बैठे हो। कौवे ने कहा- मैं यही सोच कर उदास हूं कि तुम कितनी सुंदर हो बिल्कुल ही श्वेत रंग के तुम्हें देखने पर ऐसा लगता है कि तुम्हें देखते ही रहे. 

 लेकिन मैं तो बिल्कुल ही काला हूं मुझे तो कोई भी नहीं देखना चाहेगा मेरा तो जीना ही बेकार है.  बगुला ने कहा मेरे भाई कौवे मैं कहां सुंदर हूं सफेद रंग बिल्कुल ही शांति का प्रतीक माना जाता है सुंदर तो तोता है उसके पंख हरे हरे हैं, उसके चोंच लाल है.  मैं भी सोचता हूं तोते को देखकर काश मै भी तोते की तरह होता। 



कौवे  के मन में सवाल आया कि बगुला सही कह रहा है इससे तो ज्यादा सुंदर तो होता है.

 वह 1 दिन तोते के पास उड़ते हुए पहुंच गया और तोते से बोला, तोता भाई तुम इतनी सुंदर हो कि तुम्हें देखने के बाद ऐसा लगता है कि तुम्हें देखते ही रहे, तुम तो बहुत खुश होते होगे है ना, लेकिन तोता ने कौवे से कहा अरे भाई तुमने तो अभी मोर देखा ही नहीं इसीलिए तुम्हें लग रहा है कि सबसे सुंदर पक्षी मैं हूं.

 इस दुनिया में तो सबसे सुंदर पक्षी मोर है उसके पंख कितने रंग बिरंगे और चटकीले होते हैं मैंने तो जब से मोर  को देखा है तब से मैं दुखी हूं मैं सोचता हूं काश मैं भी मोर होता। अब कौवा जंगल में मोर को ढूंढने लगा उसने पूरे जंगल छान मारी लेकिन कहीं पर भी मोर दिखाई नहीं दिया.

 किसी ने उसे बताया कि तुम्हें अगर मोर देखना है तो शहर जाओ, चिड़ियाखाना के अंदर तुम्हें मोर मिल जाएगा इंसान उसे पकड़कर आजकल वही पर रखते हैं.  कौवा जंगल से उड़कर शहर पहुंच गया और चिड़ियाखाना जाकर देखा कि एक पिंजरे में मोर बंद है, पिंजड़े के ऊपर बैठकर मोर से कहा, मोर भाई तुम कितनी सुंदर हो तुम्हारे पंख कितने चटकीले हैं काश मैं भी मोर होता तो कितना अच्छा होता.



 इतना सुनकर मोर की आंखों से आंसू निकल पड़े और मोर रोने लगा और बोला कि कौवा तुम खुश किस्मत हो कि तुम सुंदर नहीं हो इसीलिए आजादी से जहां मर्जी वहां घूम रहे हो जो थोड़ा सा भी सुंदर होता है उसे कैद में रहना होता है मुझे ही देख लो मैं सुंदर तो हूं लेकिन तुम्हारी तरह उड़ नहीं सकता पिंजड़े में बंद रहता हूं तोता भी सुंदर है उसे भी लोग पिजड़े में बंद कर देते हैं.

 उसके बाद कौवे को यह बात समझ आ गई थी कि दूसरों की तुलना करके दुखी होने में कोई बुद्धिमानी नहीं है बल्कि बुद्धिमानी यह है कि जैसा रूप रंग ईश्वर ने हमें दिया है उसे स्वीकार करो और अपने जीवन में अच्छे कार्य करते रहो क्योंकि इंसान की पहचान उसके शरीर से नहीं बल्कि उसके मन की सुंदरता से होती हैं. 

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