अरे इस बांझ को कौन ने बुला लिया आज मेरी बहू की सतमासे की पूजा है खुद के तो बच्चे हुए नही अब मेरी बहू को नजर लगाएगी जा चली जा यहां से कांति आंखे निकालती हुई कुसुम को खा जाने वाली नजरों से देख रही थी
कुसुम कांति की बड़ी बहू है जिसकी शादी हुए दस साल हो गए लेकिन कोई बच्चा नही हुआ शुरू के दो तीन साल मै सास ने ताने मार मार कर उसका जीना मुश्किल कर दिया लेकिन वो सहती रही क्योंकि अपने पति रवि से बहुत प्यार करती रवि भी उसे पलकों पर रखता था कांति देवी ने रवि को सब तरफ से मनाया की दूसरी शादी कर ले पर रवि मानने को तैयार नहीं
कुसुम को गांव के सब वैद्य हकीम तांत्रिक सबको दिखा लिया पर कोई फर्क नहीं पड़ा पर कभी कांति देवी के मन मै ये ख्याल नही आया की एक बार बेटे को भी कहीं दिखा ले
शादी के तीन साल बाद कुसुम के कहने पर रवि ने जांच कराई तो पता चला कमी उसमें ही है वो पिता नही बन सकता पति की इज्जत की खातिर कुसुम ने किसी से नही कहा की कमी रवि मैं है वो खुद सब सहती रही रवि को अपने प्यार की कसम दे कर
मां के तानों से बचाने के लिए रवि कुसुम को ले कर अलग रहने लगा फिर भी कांति देवी कोई मौका नही छोड़ती कुसुम पर ताने कसने का कुसुम आंखो मैं आंसु भरकर रह जाती और रवि का मां के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा था अपने देवर विजय को बेटे जैसा ही प्यार करती थी विजय भी बहुत मान देता अपनी भाभी को शादी के बाद उसकी पत्नी सुमन भी कुसुम को बहन समान ही मानती पर सास के कारण चुप चाप मिलती
सुमन के मां बनने की खबर से कुसुम बहुत खुश थी वो सुमन की इच्छा का ध्यान रखती उसे जो खाना होता बही बनाकर देती आज सतमासे की पूजा पर वो मना कर रही थी पर दोनों की कसम की खातिर वो चली गई
और सास के ताने सुनकर भी चुपचाप खड़ी थी
तब तक रवि आ गया आज उसका अपनी मां के प्रति आक्रोश फूट पड़ा बोला मां हमेशा औरत ही बांझ नही होती कभी कमी मर्दों मै भी होती है लेकिन हम अपनी हार बर्दास्त नही कर पाते और कभी अपनी कमियां बताते नही ये एक स्त्री की महानता है की वो दूसरों की कमियों को भी अपनी गलती मानकर छुपा लेती है कमी मुझमें मै और आज मैं सबके सामने मानता हूं कुसुम चाहती तो मुझे छोड़ सकती थी लेकिन उसने अपना धर्म निभाया और आज मैने भी अपना धर्म निभाया है कुसुम नजर उठा कर चलेगी और मुझे भी कोई शर्म नही है की मैं पिता नही बन सकता
कुसुम ने रवि को शांत कराया पर आज लोग समझ गए थे की अगर बच्चे नही हो रहे तो उसकी ज़िम्मेदार स्त्री अकेली नही है आज रवि के आक्रोश से कुसुम को इज्जत मिल गई थी!!
अंजना ठाकुर
#आक्रोश