क्रूर राजा

एक राज्य में एक निर्दयी और क्रूर राजा रहता था।  उसे दूसरों को कष्ट देने में बहुत ही आनंद का अनुभव होता था वह रोजाना अपने राज्य में किसी न किसी व्यक्ति को मृत्युदंड जरूर देता था, चाहे उसकी गलती हो या ना हो. 

 राजा के ऐसे व्यवहार से प्रजा बहुत हूं दुखी   रहने लगी थी. 

 प्रजा यही सोचने लगी थी कि पता नहीं हमारा कब नंबर आ जाए राजा की नजर जिस इंसान पर पड़ जाती थी उसी को वह फांसी दे देता था वह चाहे आदमी किसी बात के लिए दोषी हो या नहीं इससे राजा को कोई मतलब नहीं होता था। 



 राजा के इस व्यवहार से राज्य के मंत्री भी परेशान हो गए उन्होंने आपस में सलाह मशवरा कर  राजगुरु के आश्रम में पहुंचे और उन्होंने अपनी व्यथा राजगुरु से बताई। गुरुदेव हम सब लोग परेशान हैं और राज्य की  प्रजा भी राजा के इस व्यवहार से डरी हुई हैं। अब आप ही कोई उपाय सुझाइए। 

उसी समय राजगुरु मंत्रियों के साथ राज दरबार के लिए निकल पड़े राज दरबार में पहुंचते ही उन्होंने राजा से एक प्रश्न किया।  महाराज क्या आप मेरे इस सवाल का जवाब दे सकते हैं ? राजा ने कहा जी गुरुदेव आप कोई भी सवाल मुझसे पूछ सकते हैं मैं आपको सारे सवालों का जवाब दूंगा। 

 राजगुरु ने कहा महाराज यदि आप जंगल में शिकार खेलने के लिए जाए और अचानक से मार्ग भूलकर भटकने लगे और प्यास के मारे आपका हाल बुरा हो जाए ऐसे में आपको कोई सड़ा गला पानी पिलाए और वह आपसे कहे कि मैं यह पानी आपको तभी पिला सकता हूं जब तक आप मुझे अपना आधा राज्य ना दे दे।   तब आप क्या करेंगे राजा ने कहा, महाराज अगर मैं पानी नहीं पियूंगा तो मेरी उसी समय मृत्यु हो जाएगी और अगर आधा राज्य उसे दे देने से मेरी जीवन बच जाए उससे अच्छी बात क्या है मैं उसे आधा राज्य तुरंत दे दूंगा



 राजगुरु ने राजा से दूसरा सवाल पूछा और कहा महाराज अगर आप वह गंदा पानी पीकर बीमार हो जाए और उसी समय वैद्य के पास जाएं और वैद्य आप का इलाज करने से मना कर दे और यह कहे मैं आप का इलाज तभी करूंगा जब मुझे अपने शेष आधा राज्य दे देंगे तब आप क्या करेंगे राजा ने कहा मैं अपने प्राण बचाने के लिए आधा राज्य भी दे दूंगा क्योंकि जब प्राण ही नहीं रहेंगे तो इस राज्य का मैं क्या करूंगा। 

 तभी राजगुरु ने कहा महाराज जब आप अपनी जान के लिए पूरा राज्य किसी को देने के लिए तैयार हैं तो फिर आप दूसरों का जान क्यों लेते हैं वह भी तो किसी का पिता, भाई और पति होता है. 

 सोचो उसके मरने के बाद उसकी परिवार की क्या हालत होती होगी।  राजा को यह बात समझ आ गई थी वह राजगुरु के चरणों में गिर गया और उस दिन से प्रजा की भलाई में लग गया। 

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