Monday, June 5, 2023
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द्वारिका जी की सीख – मीनाक्षी सिंह

पार्क में एक लड़का ,लड़की रोमांस करने में व्यस्त ….वहीं एक 70 वर्षीय बुजूर्ग द्वारिका जी पार्क में घूम रहे थे …फिर थककर बैठ गये …तभी उनकी निगाह उस जोड़े पर गयी ….उनसे रहा ना गया …वो उनके पास गये …दोनों ने जब द्वारिका जी की उपस्थिति महसूस की तो झिझक गए …एक दूसरे का हाथ छोड़ दिया ….द्वारिका जी बोले ,मैं बैठ सकता हूँ तुम लोगों के पास थोड़ी देर के लिए अगर तुम्हे समस्या ना हो तो ..वो कहते भी क्या..लड़की बोली….हाँ हाँ ,अंकल जी क्यूँ  नहीं…तभी अपनी लाठी किनारे कर द्वारिका जी बैठ गये …बच्चों तुम लोग पढ़ने वाले बच्चें हो ,हैँ ना ?? लड़के ने कहा – जी हां ,अंकल जी ,मैं एम टेक कर रहा हूँ ,और ये विनु एम .एस .सी ….

ये तो बहुत अच्छी बात है …तुम लोग संस्कारी भी लग रहे हो …एक दूसरे के साथ समय बिताने आयें हो फिर भी मुझसे मना नहीं किया बैठने को….अच्छे परिवार से लगते हो….

हाँ अंकल जी ….मेरे पापा बैंक में हैँ…लड़की तपाक से बोली….

ये तो बहुत ही अच्छी बात हैँ…ये जो लड़का हैँ आप जानते हो इसके पापा क्या करते हैँ ??

लड़का अभिषेक घबरा गया …बात संभालते हुए बोला…हाँ हाँ अंकल जी….विनु सब जानती हैँ…अंकल जी हम लेट हो रहे हैँ…चलो विनु चले…

तभी विनु बोली …रुको अभिषेक दो मिनट …अंकल जी ,,अभिषेक के पापा शहर के बहुत बड़े बिजनेस मेन हैँ ….हैँ ना…कई  फैक्टरी हैँ उनकी….

तो बेटा अभिषेक आपने अपनी दोस्त को अपने पापा के बारें में नहीं बताया….झूठ बोलना गलत बात ….इस लड़के के पापा कपड़े प्रेस करने का काम करते हैँ बेटा….फैक्टरी तो दूर की बात ,,खुद के रहने की छत भी इनकी किराये की हैँ…दो वक़्त की रोटी का इंतजाम भी मुश्किल से होता हैँ….मैं लेकर ज़ाता हूँ कपड़े इसके पापा के  पास….तभी कभी कभी इसे देखा हैँ…एम टेक नहीं कर  रहा ये…बताया था इसके पापा ने …पढ़ाई में मन नहीं लगा  लड़के का इसलिये सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी में लगा दिया हैँ एक एटीएम पर….सही कहा ना बेटा अभिषेक …

पूरी कहानी पढ़ने के लिए फोटो या लिंक पर टच कर पढ़िये

अभिषेक सर नीचा करके खड़ा रहा …विनु बोली…ओह माय गोड..यू  आर लायर ….मुझे पता होता तो मैं कभी तुमसे प्यार नहीं करती …जस्ट गो टू हेल…..




क्या बोली बेटी विनु …प्यार नहीं करती…क्या प्यार इंसान की हैसियत देखकर किया ज़ाता हैँ…..तुम अगर इसे इसके असली रुप में अपनाती तो शायद तुमसे ये झूठ नहीं बोलता…इसे भी इसके हम उम्र लड़के की तरह वो क्या कहते हैँ…गर्ल फरेंड बनाने का भूत सवार होगा …तुम दोनों ही एक दूसरे से प्यार नहीं करते…प्यार तो राधा कृष्ण की तरह होता हैँ….हीरा राँझा की तरह होता हैँ…निहस्वार्थ भाव से…ये एक दूसरे से स्पर्श करना…

इस तरह से पार्क में छुपकर परिवार वालों की नजर से बचकर बैठना गलत हैँ…उन्हे पता चलेगा तो कितने दुखी होंगे….क्या तुम दोनों एक दूसरे से विवाह करोगे …नहीं ना ….बस जीवन के कुछ साल बर्बाद कर लोगे….फिर जीवन में कुछ हासिल किये बिना किसी दूसरे से विवाह बंधन में बंध जाओगे….

इसलिये अगर सच्चा प्यार हैँ तो परिवार वालों को बताओ…जीवन में कुछ बनो …ताकि एक दूसरे का साथ दे सकों….अगर नहीं हैँ प्यार तो ये बाहरी पल भर के अंतरंग पलों के लिये जीवन बर्बाद  करना गलत हैँ…तुम विनु को दिखाने के लिए अपना सारा कमाया पैसा  बर्बाद कर देते हो अभिषेक….अपने पापा से पूछो…रात में उनके हाथों में कितना दर्द होता होगा भारी कोयले की प्रेस उठाकर…पूरे दिन एक पैर पर खड़ा हो मेहनत करता हैँ वो आदमी तुम्हे खिलाने के लिये ….कुछ तो फल दो उसे…वो बाप हैँ तुम्हारा…..

द्वारिका जी की कड़वी मगर सच्ची बात सुन अभिषेक और विनु की आँखों से आंसू झरझर बहने लगे….दोनों ने द्वारिका जी को सोरी बोला….

द्वारिका जी ने दोनों के सर पर हाथ रख आशिर्वाद दिया और आगे बढ़ गये …

उस दिन की बात हैँ और आज कि द्वारिका जी तो इस दुनिया में नहीं रहे पर उनकी दी गयी सीख से आज अभिषेक पुलिस में एस आई बन गया हैँ…और अपने पापा को पूरे ठाठ बाट से रखता हैँ…

जीवन में कोई सीख दे तो उसे मान लो…कभी कभी किसी की समझायी बात जीवन बदल सकती हैँ…बड़े बुजूर्ग ऐसे ही नहीं कहते कि बाल धूप में सफेद नहीं किये ….सही कहा ना  

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

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