अब और नहीं बर्दास्त करूंगी – वीणा सिंह : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : ये शीर्षक देखकर मुझे अचानक कविता जी का खयाल आया, जिसके पति हरप्रीत सिंह ने पति पत्नी के रिश्ते के नाम को विश्वाश को डुबाने में और अपनी निजी प्रतिष्ठा और इज्जत को दांव पर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी…

कविता जी हमारे वृंदावन अपार्टमेंट की बेहद चर्चित शख्शियत हैं.. वो हमेशा के लिए गुडगांव शिफ्ट हो रही है वॉचमैन और कामवाली दोनो ने ये सूचना दी तो मन दुखी हो गया. कामवाली की सूचना

कभी गलत नहीं हो सकती..

              पतली सुराहीदार तनी हुई ग्रीवा सांचे में ढला हुआ कमनीय काया हीरे की कनी से नाक मृगनयनी सी आंखें और दूधिया रंग.. काली लंबी चोटी जब खोल देती तो लहराते केश पास बेहद खूबसूरत लगते.. मंदिर की घंटियों सी पवित्र हंसी कविता जी के ब्यक्तिव में चार चांद लगा देती..

   मुझे कविता जी से विशेष लगाव था, छोटी बहन सा मुझे अधिकार से डांट भी देती और प्यार दुलार भी खुले हाथों से लुटाती.. कभी कभी बात करते करते कहीं खो जाती टोकने पर बोलती अरे मिनी की बात नहीं..

           एक बेटा था कविता जी का जो इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष में चेन्नई में पढ़ रहा था.. पति का व्यापार था.. कविता जी जिम जाती थी, जुंबा क्लास में जाती थी और स्विमिंग क्लास भी जाती थी..

         अपार्टमेंट के कुछ जलन खोर कुंठित मर्द कविता जी के चरित्र पर उंगली उठाते थे तो कुछ अपनी बेतरतीब ढंग से दोहरी कमर के बोझ ढोती पत्नियों से कविता जी से कुछ सीखने की सलाह देते.. तो कुछ अपनी पत्नियों को ताना मारते देखो तो कविता जी को और अपने को… लेडिज ग्रुप में भी बहुत सी ऐसी थी जो कविता जी से खार खाए रहती थी.. अपार्टमेंट के हर फंक्शन में कविता जी अपने परफॉर्मेंस से जान डाल देती, डांस गाना या चुटकुला हो या मंच संचालन सब कुछ में निपुण..

              कविता जी के पति कई लोगों से कर्ज ले रखे थे अपने व्यापार के नाम पर.. समय पर नही चुकाने के कारण अक्सर तकादा करने वाले आते कभी कभी उग्र हो गाली गलौज करने लगते..

           अपार्टमेंट में कानाफूसी होने लगती कविता का रहन सहन बहुत उच्च स्तर का है इसलिए हरप्रीत सिंह को इतना कर्ज लेना पड़ता होगा.. डिजाइनर गाऊन साड़ियां ड्रेस वेस्टर्न परिधान बदल बदल कर पहनती है ये सब कहां से आता है.. खैर मुद्दा ये नही था… कविता जी की जाने की बात सुनकर मैं बेचैन थी, और कविता जी तक मेरे दिल की बात पहुंच गई थी शायद.. दरवाजे की घंटी बजी सामने कविता जी खड़ी थी.. मैं भावुक हो उनसे लिपट गई..

                  कविता जी बोली मिनी जल्दी से तैयार हो हम दोनों आज कॉफी पीने चलेंगे और ढेर सारी बातें करेंगे फिर शायद हम मिले ना मिले..

            कविता जी आज बहुत भावुक हो गई थी.. मैने पूछा आप सचमुच जा रही है और मेरा गला भर आया.. कविता जी ने कहा हां मिनी मैं जा रही हूं, तुम पूछोगी क्यों मैं इसी क्यों का जवाब देने यहां आई हूं..

                          दसवीं कक्षा में पढ़ती थी मैं खूबसूरती परवान चढ़ रही थी.. अल्हड़ सी मैं दोस्तों के कहने पर नोटिस किया बड़ी सी गाड़ी से कभी बुजुर्ग पति पत्नी तो कभी उनके साथ तीस साल का युवक अक्सर स्कूल के बाउंड्री के बाहर छुट्टी के पहले खड़ा रहता है.. मैने मां से कहा तो मां ने कहा ध्यान मत दो..

             दसवीं की परिक्षा के पहले हीं मेरी शादी हो गई..

रईस परिवार की बहु बनकर मैं ससुराल आ गई.. मुझे शादी का मतलब नए कपड़े गहने पहनना  घूमना और अच्छा खाना हीं था.. सास ससुर बहुत अच्छे थे.. मेरी छोटी बहन और भाई की पढ़ाई का खर्च सास ससुर हीं उठाते थे.. ये मेरे पापा मम्मी से शादी के पहले हीं तय हुआ था.. जो मुझे बहुत बाद में पता चला.. मम्मी पापा के रहन सहन का स्टैंडर्ड भी बहुत ऊंचा हो गया था मेरी ससुराल के बदौलत..

                          पांच साल तक सब बहुत मजे में चलता रहा.. ससुर जी के शहर में तीन रेस्टोरेंट दो हॉस्टल और ट्रक का बिजनेस था.. पैसा बरसता था..

   उसी बीच मेरे बेटे आरव का जन्म हुआ.. घर में बहुत बड़ा जश्न हुआ..

         समय कभी एक सा नहीं रहता.. मेरे सास ससुर की कार को एक बारह चक्के वाहन ने अपने चपेट में ले लिया..

               सारा व्यापार मेरे पति के हाथ में आ गया.. छः महीने बीतते बीतते सारा व्यापार चौपट हो गया.. अय्याश दोस्तों के साथ पीना रात में पब जाना रोज की बात हो गई..

            रेस्टोरेंट हॉस्टल बंद हो गए.. आलीशान बंगला कर्जे में डूब गया..

           छोटी बहन मेरे हर सुख दुख की गवाह थी.. उसकी नौकरी सिंगापुर में लग गई थी.. मेरी शादी का हस्र देख उसने प्रण कर लिया शादी नही करूंगी.. भाई ने हारकर अपनी शादी कर ली.. मम्मी ने तो गिरगिट सा रंग बदल लिया था.. अब मेरे बच्चे की परवरिश की समस्या थी.. मेरे पति चाहते थे मैं अपनी खूबसूरती के बल पर उनके पैसे वाले दोस्तों का और जिससे कर्ज लिया है उन्हे इंटरटेन  करूं.. मैने पहली बार तेज आवाज में बात की ओर इंकार कर दिया..

            बंगला से निकलकर हमलोग दो तीन जगह और रहे पर मेरे पति की कर्ज लेकर अय्याशी करने की आदत के कारण हमे वो जगह छोड़ना पड़ा.. फिर हमलोग बृंदावन अपार्टमेंट में आए.. यहां भी वही स्थिति..

            कम उम्र में हुई शादी और मम्मी पापा के बेरुखी के कारण दब्बू हीं रह गई थी.. आरव सात साल का था तभी छोटी बहन एक सप्ताह के लिए गर्मी छुट्टी में आई और हमदोनो को सिंगापुर ले गई .. वहां उसने मुझे गाड़ी चलाना सिखाया.. जिम डांस क्लासेज में भेजा..

एक तरह से उसने मेरा कायाकल्प कर दिया.. आर्थिक मदद तो उसने नौकरी लगते हीं शुरू कर दी थी.. आरव भी अच्छे स्कूल में पढ़ रहा था.. हमारे साथ बहन भी आई और मेरे पति को बहुत समझाया.. उसके सारे कर्ज चुकाए..

पर कुत्ते की पूंछ कभी सीधी नही होती.. वही पुराना रवैया..

मेरे सारे गहने बिक गए.. मैं हर छुट्टी में कहीं घूमने चली जाती हूं आरव को लेकर बहन टिकट से लेकर सारे खर्च भेजती है.. आरव के कारण मैं हरप्रीत से अलग नहीं हुई अब तक.. क्योंकि ब्रोकन होम का प्रभाव बच्चे पर दूरगामी होता है.. इसी कारण उसे हॉस्टल में रखा.. कभी बच्चे के लिए हरप्रीत के दिल में व्यवहार में पिता वाली कोई फिलिंग मैने नही देखी..

अब तो स्थिति ये हो गई है की जिससे कर्ज लेते हैं उसे मेरा फोन नंबर दे देते हैं.. कितनी गंदी गंदी बातें मुझे सुननी पड़ती है क्या बताऊं सिसक उठी कविता जी.. हारकर मैने अपना नंबर चेंज करवा लिया है..

पति के सामने उसकी पत्नी को कोई जलील करे गंदी गंदी बातें करे कैसा भी पति होगा उसका खून खौल उठेगा पर मेरा पति मुझे दरवाजा खोलने के लिए बोलकर अंदर सारी बातें सुनता रहता है.. एक आदमी ने तो मुझे धक्के देकर घर में घुस गया और हरप्रीत को खूब पीटा.. मामला पुलिस तक पहुंच गया..

क्या क्या बताऊं तुझे मिनी.. इसलिए बहन ने गुड़गांव में फ्लैट खरीद दिया है, एक स्कूल में डांस टीचर की नौकरी भी लग गई है.. आरव भी अब बड़ा और समझदार हो गया है.. एक से दो साल में वो भी सेटल हो जायेगा.. अब बर्दाश्त नहीं होता मिनी…ओह..

मैने उनके आंसू पोंछे और नई जिंदगी शुरू करने के लिए शुभकामनाएं दी.. कविता जी मेरे गले लगकर रो पड़ी.. आसपास बैठे लोग हमे घूरने लगे . जल्दी से बिल देकर हम दोनों बाहर निकले.. और मेरे जेहन में जगजीत सिंह जी का गीत न जाने तुम इतना क्यों मुस्कुरा रहे हो….. गूंज रहा था .…हंसता मुस्कुराता चेहरा अपने दिल में गमों का सैलाब छुपाए रहता कविता जी का उदाहरण मेरे सामने था…

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##स्वलिखित सर्वाधिकार सुरक्षित #

वीणा सिंह 

#प्रतिष्ठा खोना या नाम डुबाना #

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