आक्रोश –  अमित रत्ता

कहते हैं आक्रोश अक्ल को खा जाता है आक्रोश आबेश में उठाए कदम की सज़ा कई पीढ़ियों को भुगतनी पड़ती है। पलभर का आक्रोश पूरी जिंदगी तबाह कर जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ था इस परिवार के साथ।

कहानी है एक मध्यम बर्गीय परिवार की जिसमे माता पिता और दो भाई थे। एक कि उम्र 27 साल के करीब थी तो दूसरा अभी 21 के आसपास था। 

बड़ा भाई अब कमाने लग गया था इसलिए छोटा भाई हमेशा उससे ही खुद के लिए कुछ खरीद लाने को कहता था। दोनों में बहुत प्यार था बड़े भाई के कपड़े जूते अक्सर छोटे को मिल जाते थे और बो खुशी खुशी पहन लेता था। घर मे बहुत शांति थी प्रेम प्यार था और सब लोग खुश थे। कुछ समय बाद बड़े भाई की शादी हुई तो घर मे रौनक दोगुनी हो गई। 

अब माँ का काम आधा रह गया था रसोई का काम बहु कर लेती तो बाहर का सास । बड़ी बहू काम करने में बहुत तेज थी पूरे गांव वाले उसकी तारीफ करते गए कि बहु हो तो ऐसी। घर का काम खेतीबाड़ी गाय गोबर सारा काम बो अकेली निपटा देती थी। समय गुजरता गया और अब छोटे भाई की शादी की बात पक्की हो गई ।कुछ ही महीने में शादी तय हो गई और वो दिन भी आ गया जब घर मे एक बार फिर खुशियों का माहौल था शहनाइयां बजने लगी थीं। शादी हुई छोटी बहू का जोर शोर से स्वागत हुआ।

 घर मे मानो खुशियों की बरसात हो गई थी। पर ये खुशियां ज्यादा दिन तक टिक नही पाई थीं। कुछ ही दिनों में छोटी और बड़ी बहू में तनातनी शुरू हो गई। इसका एक कारण ये भी था कि घर के सारे लोग छोटी बहू को बड़ी से ज्यादा तबज्जो देने लगे थे उसको ही प्यार कर रहे थे। ये बात बड़ी को बर्दाश्त नही हो रही थी और होती भी क्यों आखिर अबतक वो ही तो सब की लाडली थी एकदम से उसकी अहमियत जो खत्म हो गई थी। अब बड़ी ने अपने पति के कान भरने शुरू किए की छोटी कोई काम नही करती सारा काम मुझे करना पड़ता है मैं कोई नौकरानी नही हु की सबको खाना बना बना कर ख़िलाऊँ।




अब बात बात पर बो सबके सामने सुनाने लगी तो छोटी बहू ने भी जवाब देना शरू कर दिया अब दोनों का कोई दिन ऐसा नही जाता जब आपस मे झगड़ा न हो। अब बात बंटवारे तक पहुंच गई थी दो चार बार तो पंचायत फैंसला करवाकर गई मगर हालात में सुधार होने की बजाए और उलझते गए। अब बो घर आसपड़ोस के लिए भी एक मुसीबत बन गया था पड़ोसी भी उनके रोज रोज के झगड़ो गाली गलौच से तंग आ गए थे। 

एक रात की बात बड़ा भाई बाहर से पीकर आया घर पहुंच तो देखा दोनों आपस मे लड़ रही थी हालांकि छोटा भी बहीं था और बो बीच बीच अपनी पत्नी का बचाब कर रहा था। इतने दिनों से जो दोनों की पत्नियों ने जहर अपने पतियों के अंदर भरा था बो अब बिस्फोट बनकर फटने को तैयार था। क्योंकि बड़ा पीकर आया था तो उससे अब रहा न गया और उसने बाते सुनानी शुरू कर दी अपने एहसान गिनाने शुरू कर दिए कि किस तरह मैने छोटे की हर ख्वाईशें पूरी की उसको जूते कपड़े से लेकर फीस तक भरी और आज बो मुझसे जवान लड़ा रहा है अपनी बीबी के पीछे लगकर। 

ये सब सुनकर अब छोटा भी आक्रोश में आ गया और बात दोनों की  हाथापाई तक पहुंच गई। शराब के नशे में बड़ा भाई अपना गुस्सा काबू न कर पाया और पास के पड़े पत्थर को उठाकर छोटे के सिर पे दे मारा। बो लहुलुहान होकर नीचे गिर पड़ा उसको हॉस्पिटल ले जाया गया मगर डॉक्टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया। बड़े भाई को पुलिस पकड़कर ले गयी और अदालत ने आजीवन काराबास की सज़ा सुना दी। बाप इस सदमे को सग न सका और वो भी इस दुनिया को अलविदा कह गया अब घर मे दोनों बहुओं बूढ़ी मां के अलावा कोई नही रह गया था। दोनों के छोटे बच्चे अनाथ हो गए थे घर के हाल से वद से बद्दतर होते गए और वो लोग लोगो की दया पर जिंदगी गुजारने को मजबूर हो गए।

                        अमित रत्ता

            अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

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