धोखा अपनो का – बेला पुनीवाला

आज सुबह-सुबह ही उनकी चिठ्ठी मिली, वह आज आ रहे हैं,

दो साल  के इंतज़ार के बाद, वह  आज आ रहे है,

दिल ख़ुशी से ज़ूम उठा ये जानकर कि  वह  आज आ रहे हैं,

दीवानी सी हुई में भागी अपनी सखी को बताने की, वे आज आ रहे है,

 मेरे पैर ख़ुशी से टिक नहीं रहे धरती पे कि  वे आज आ रहे है,

ओ री सख़ी, संग मेरे चल कि वे आज आ रहे हैं,

हम दोनों साथ मिलके सजा दें धरती अंबर, कि वे आज आ रहे हैं,

ऐ धरती तू लाल चुनर ओढ़े सज जा ज़रा कि वे आज आ रहे हैं,

ऐ आसमान तू फूलों की चादर बन सज जा ज़रा कि वे आज आ रहे हैं,

ऐ पंछी तू गीत सुहाने गा कि वे आज आ रहे हैं, 

चारों ओर  शहनाइयाँ  सुनाई दे रही थी, कि वे आज आ रहे हैं,

ओ री सखी चल साथ मिलके मिष्ठान बना ले कि वे आज आ रहे हैं,

ओ री सखी चल आँगन में प्यार की रंगोली बना ले कि वे आज आ रहे हैं,

ओ री सखी चल पूरे घर को दिए से जगमगादे, कि वे आज आ रहे हैं,

ओ री सख़ी, चल संग मुझे भी ज़रा तू सजा दे, कि वे आज आ रहे हैं,

बालों  में गजरा, आँखों में काजल, माथे पे बिंदी, कानो में झुमके, होठों  पे लाली,

 हाथो में कंगन और पहना दे आज तू फिर से मुझे सुहागोवाली लाल साडी, कि वे आज आ रहे हैं,

आइना भी शर्मा रहा है मुझे देखकर कि वे आज आ रहे हैं,

ओ री सखी सुन तो ज़रा, मेरे दिल की धड़कन बढ़ती ही जाती है कि वे  आज आ रहे है,

सुबह से शाम हुई, शाम से रात, आरती की थाली सजाए, 

दरवाजे पे नज़र टिकाए, इंतज़ार कर रही बस उनके आने का कि वे आज आ रहे हैं,

सहेली बोली, तुज संग मैं भी बनी दीवानी, भूल गइ मुझे जाना है मेरे घर, क्योंकि मेरे भी, मेरे वे आ रहे हैं, 



सखी को गले मिल, बहुत सारी बलैयाँ लेके जाती है अपने घर की, उसके भी वे आज आ रहे हैं,

उनकी राह तकते तकते आँखें भी हो गइ नम, कि वे आज आ रहे हैं, 

फिर अचानक से तेज़ हवा का झोंका आया सारे दिए बुझ गए,

मैं घबराई, फ़िर सामने दरवाज़े की ओर देखा तो वे आ गए थे, 

मेरे दिल की धड़कन और भी तेज़ी से चलने लगी, 

एक नज़र उनको देख पलकें शर्मा के झुक गई, कि अब वे आ ही गए। “

       ( आरती की थाली लिए उनके पास दरवाज़े तक पहुँची, होठों पे प्यारी सी मुस्कान लिए मेरी नज़रे सिर्फ उनको ही देखे जा रही थी, आरती के लिए हाथ आगे बढ़ाया, तो उनके साथ दुल्हन की साडी में एक सुन्दर औरत थी, हवाओं  में से शहनाई बजनी बंद हुई, मेरे मन की रंगोली बिखर गई, पल दो पल के लिए मेरे दिल की धड़कन थम सी गई, एक पल के लिए कुछ ना सोचा, कुछ ना समझा, आरती की थाली हाथो में थी, दोनों की आरती करके अंदर आने को इशारा किया, उन्होंने कुछ न कहा, मैं सब समझ गई, खाना खाके सब सो गए, खुली हुई आँखों ने आज पूरे दिन जो सपना देखा था, वो टूट गया, पूरी रात आँखों में से आंँसू बहते ही रहे, सोचती रही, क्या कमी रह गइ थी मुझ में ? कि तूने मेरा दिल तोड़ा और अपना दिल किसी और को दे दिया। मैंने तो तुमसे सिफॅ़ प्यार माँगा था, तुमने तो मुझे प्यार के बदले धोखा दे दिया। जिसे मैं जिंदगी भर भूलना चाहुँ,  पर भूल ना पाऊँगी । ) 

      फिर दूसरे दिन सुबह अपना सामान लिए मैं घर से जाने लगी, जाते-जाते मैंने उस दूसरी औरत को  सिर्फ इतना ही कहा कि जिसने तेरे लिए मुझ को छोड़ा, भगवान करे वो कल किसी और के लिए तुझे ना छोड़ दे, बोलते हुए उसके हाथों में एक चिठ्ठी देकर मैं घर से निकल गइ, जैसे आज से मैं आज़ाद हूँ उन सारे बंधनो से जिसमे मैं आज तक बंधी हुई थी। मेरे जाने के बाद  दूसरी औरत वो चिठ्ठी खोल के पढ़ने लगी।  जिसमें लिखा था कि

    ” उनको जानने और समझने में हमको थोड़ा वक़्त लगा था, इतना तुम याद रखना, मगर तुम्हें उनको  जानने समझने में कोई दिक्कत ना हो, इसलिए उनके बारे में हम तुमको सब बताना चाहते हैं, जो तुम याद रखना, तो सुनो,

 उनको सुबह-सुबह जल्दी चाय की आदत है, मगर उनको चाय में शक्कर थोड़ी कम चाहिए, इतना तुम याद रखना,

 खाना उनको तीखा पसंद है, मगर खाने में नमक थोड़ा कम हो तो वो उनको पसंद नहीं, इतना तुम याद रखना, 




अपने दिल की बात वो तुझे कभी ना बता पाए, तो बुरा मत मानना, क्योंकि  वो बाते बहुत कम करते है, इतना तुम याद रखना, 

उनके सामने कोई ऊँची आवाज़ में बातें करे ये उनको पसंद नहीं, इतना तुम याद रखना,

गुस्सा उनको जल्दी आता है मगर तब तुम  चुप रहना, इतना तुम याद रखना, 

गुस्से में अगर वो तुम्हें कभी कुछ बुरा भला कह दे, तो नाराज़ मत होना, वो ऊपर से सख़्त और अंदर से नरम है, इतना तुम याद रखना,

वो मुस्कुराते थोड़ा कम हैं, तो उनको अपनी मीठी-मीठी बातों से कभी-कभी हँसा दिया करना, इतना तुम याद रखना,

घड़ी की तरह चलती है उनकी ज़िंदगी, उनको इंतज़ार करना या करवाना पसंद नहीं, इतना तुम याद रखना,

उनको अपने कपड़े प्रेस किए हुए और शूज पॉलिश किए  हुए पहनने की आदत है, इतना तुम याद रखना,

घर बिखरा हुआ हो वो उन्हें कतई पसंद नहीं, इतना तुम  याद रखना,

अकेले में उनको पुराने गाने सुनने की आदत है, इतना तुम याद रखना,

उनको ऑफिस जाते वक़्त उनका टिफ़िन, नास्ता, रुमाल, मोज़े, शूज सब रेडी चाहिए, इतना तुम याद रखना,

रात को सोते वक़्त उनको गरम दूध चाहिए जिसमें शक्कर थोड़ी कम हो, इतना तुम याद रखना,

सुबह वक़्त पे उठना और  रात को वक़्त पे सोना उनकी आदत है, इतना तुम  याद रखना, 

 वो रूठे तो तुम उनको मना लेना मगर तुम रूठो तो शायद वो तुमको ना भी मनाए, तुम अपने आप ही मान जाना, इतना तुम याद रखना,




 बार-बार किसी बात पे वो नाराज़ हो जाए, तो उनको अपनी खूबसूरत अदाओ से मना लिया करना, बस इतना तुम याद रखना,

दो साल उनसे दूर रेहने के बाद भी मुझे उनकी सारी आदतें याद हैं, इतना तुम याद रखना। “

    ” में जा रही हूँ, उनको तू बस इतना बता देना कि जैसा मेरे साथ किया, वैसा किसी और संग ना करे, मैं तो उनको अपना बना न सकी, तू उसे अपना बना लेना, इतना तुम याद रखना, ज़िंदगी है छोटी, साथ निभाना एकदूसरे का, मैं  हुइ अब इन सब से आज़ाद तू बस उनका ख्याल रखना। आज मुझे महसूस हो रहा है कि अब तक मैं एक पिंजरे में थी और अब मैं  उस पिंजरे से आज़ाद हूँ, मैं जो चाहूँ कर सकती हूँ, अब मुझे किसी के आने का इंतज़ार नहीं रहेगा, अब मुझे किसी के सहारे नहीं जीना पड़ेगा, और नाहीं किसी का गुस्सा बर्दाश्त  करना पड़ेगा, नाहीं किसी से डर-डर कर जीना पड़ेगा, जिस पिंजरे को मैं आज तक ताज-महल समझ रही थी, अब मैं उस पिंजरे से आज़ाद हूँ, उन पंखो को, उन सपनों  को उडने की आज़ादी है, जो अब तक पिंजरे में थे। मुझे अब उनकी कोई फ़िक्र नहीं, क्योंकि आज से तुम हो उनका ख्याल रखने के लिए, बस इतना तुम याद रखना,  शुक्रिया तेरा की तुमने मुझे यहाँ से आज़ाद किया क्योंकि अब  मैं अपनी पहचान ख़ुद बनाऊँगी, ज़िंदगी में जो सपने देखे थे कभी मैंने और जिसे मैं आज तक पूरा ना कर पाई, उन सपनों को पूरा करने का वक़्त अब आ  गया है, अपनी नई पहचान बनाने का वक़्त अब आ गया है। मैं जा रही हूँ, बहुत दूर, तुम बस अपना और उनका ख्याल रखना। 

              ”  दुनिया की मूझे परवाह नहीं,

                  जब अपनों ने ही साथ छोड़ा मेरा,

                  तब गैरों से शिकायत कैसी !”

                                                

  ” एक पत्नी जो कभी मैं  बन ना शकी। 

   एक औरत जो अब आज़ाद है। “

        तो दोस्तों, क्या उसने अपना घर और हक़ छोड़ के अच्छा किया या नहीं ? ज़िंदगी में कौन सी परिस्थितियों में हम कैसा सोचते है ये हमारी सोच पर निर्भर करता है, हमने क्या खोया, ये नहीं मगर खोकर क्या पाया, ये सोचे तो ज़्यादा खुश रह पाएंगे, जैसे की अगर वो औरत ये सोचकर दुःखी रहती, कि  ” उसके  पति ने दूसरी शादी कर ली, मेरी क्या गलती और अब मेरा क्या होगा ? ” इस से बेहतर उसने ये सोचा की मैं खुद इस पिंजरे से आज़ाद हूँ और अब अपना सपना जो वह कभी पूरा ना कर सकी, उसे अब पूरा करने का वक़्त आ गया है।  ज़िंदगी में मुसीबतें तो आति रहेगी, उस मुसीबत से हमें कैसे बाहर निकलना है, ये हम को सोचना है। ज़िंदगी में कभी लोग क्या कहेंगें, ये मत सोचो, तुम्हें  क्या करना है और तुम्हें ख़ुशी जिस से मिलती है, वही तुम करो।

#धोखा 

बेला पुनीवाला

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