तुम्हारे लिए व्रत – लतिका श्रीवास्तव 

आज वट सावित्री पर्व है…. सुमित घर के आंगन में शांत अविचल विशाल वटवृक्ष के नीचे खड़ा था… खड़ा क्या था खोया था यादों में मानो कल की ही बात हो….सुधा को ,अपनी पत्नी को महसूस कर रहा था उसे यकीन ही नहीं हो रहा था की सुधा अब इस दुनिया में नहीं है …सारे दृश्य चलचित्र की तरह उसकी आंखों के सामने से गुजर रहे थे…. आज भी वट सावित्री पूजन हो रहा है पिछले साल भी आज वट सावित्री के दिन ही उसने सुधा को कितनी खरी खोटी सुनाई थी,वैसे सुधा बहुत शांत सहनशील और मितभाषी थी पूरे घर को संभालना सबकी जरूरतों का शिद्दत से ख्याल रखना उसकी आदत में शुमार था। पर आज सुबह से पता नहीं उसको क्या हो गया था! पिछले एक महीने से उसके पैरों का दर्द बढ़ गया था लंबे चौड़े घर में दिन भर दौड़ने से दर्द असहनीय सा होता जा रहा था,पर सुमित की व्यस्तता और बेपरवाही पत्नी के कष्टों को नजरंदाज करने में कोई असर नहीं छोड़ रही थी सुधा के कष्टों को कामचोरी के बहाने बता कर वो हमेशा अपनी जिम्मेदारियों से किनारा कर लेता था ।पर आज तो सुधा को शायद ज्यादा कष्ट था सबके काम ही भूल रही थी……

 सुमित के उठने के समय के पहले ही चाय की केतली उसके पास पहुंचाने वाली सुधा आज सुमित के उठने के आधा घंटा बाद चाय लेकर आई तो सुमित झुंझला उठा,”अभी तुम्हे चाय की याद आई है!!तुम्हे कुछ पता है मैं मुझे उठे आधा घंटा हो चुका है!!पता नहीं क्या कर रही हो सुबह से तुम तो 5 बजे से उठ गई हो ना आज ..!”सुधा ने निःशब्द सुमित की ओर देखा पर कहा कुछ भी नहीं तभी मां की आवाज आने लगी ,”अरे सुधा बेटा, मेरे घुटनों की तेल मालिश का समय बीत गया है कब लगाएगी!! सुधा तुरंत अभी आई मांजी कह कर तत्काल चली गई…..सुमित नहा धो कर तैयार होकर डाइनिंग हॉल में आया तो देखा अभी तक खाना नहीं लगा है…वो फिर झुंझला गया” सुधा ,क्या हो गया है तुम्हे आज !!मैं वैसे ही ऑफिस के लिए लेट हो रहा हूं….!”तब तक छोटी बिटिया विनी” पापा पापा ऐसे मत बोलो आज मां का व्रत है सुबह से उन्होंने अभी तक पानी भी नहीं पिया है और सबके लिए खाना पीना चाय नाश्ता बनाने और खिलाने में जुटी हैं …अभी आती ही होंगी आप शांत हो जाओ…”पर विनी की बात सुनकर तो सुमित और भी नाराज  हो गया व्रत है??क्या है आज?क्यों है व्रत!विनी ने फिर बताया “अरे पापा आपको नही पता आज वट सावित्री बडमावस का व्रत  है ,बरगद वृक्ष की पूजा के बाद ही मम्मी अन्न जल ग्रहण करेंगी पापा!


 “अच्छा आज वट सावित्री है !! तुम्हारा व्रत है तो इसका क्या मतलब बाकी लोग भी व्रत रहेंगे क्या!!व्रत रहना पूजन सब तुम्हारे काम हैं साल में एक ही बार तो आते हैं तुम करो तुम्हारा काम हमें हमारा काम तो समय से करने दो!”आज तो सुमित भी बिना सुधा के बारे में सोचे बोले जा रहा था… सुधा तुरंत आई टेबल पर करीने से खाना लगाया ,खाने में आज ढेर सारे सुस्वादु व्यंजन बनाए थे उसने … निःशब्द सुमित की ओर फिर देखा पर कहा कुछ भी नहीं..!

सुमित ने खाना खा लिया तो सुधा उसके लिए लंच बॉक्स ले आई।वो ऑफिस  जाने लगा तो बिटिया विनी ने अचानक कहा, पापा पापा एक बात पूछूं, “हां हां मेरी लाडली बिटिया पूछ ले, एक क्या जितनी भी पूछना हो पूछ “सुमित ने विनी के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा ,विनी उसकी बहुत दुलारी बेटी थी उसकी कोई बात वो नही टालता था! पापा ये आप कह रहे थे ये व्रत रखना मम्मी का काम है ,क्या सही में ये केवल मम्मी का ही काम है!!”ऐसे अटपटे प्रश्न को सुनकर सुमित थोड़ा ठिठक सा गया फिर बोला हां बेटा तेरी मम्मी के ही काम है ये सब”

“क्यों पापा आपका काम क्यों नही है ये??विनी ने बड़ी मासूमियत से पूछा,”पूरे घर में सबका ख्याल रखना सुबह से रात तक सबकी फरमाइश मुस्तैदी से पूरी करते रहना ये भी सिर्फ मां का ही काम है ! आपका क्यों नहीं!”

सुमित को कोई जवाब नही सूझा तो उसने कहा “हां बेटा जैसे तुम्हारे पापा ऑफिस का काम करते हैं ना वैसे ही तुम्हारी मां घर का काम करती है”

“अच्छा,” विनी ने कहा पर वो इस जवाब से मानो पूरी तरह संतुष्ट नहीं थी,…”लेकिन पापा आप तो ऑफिस जाने के पहले और आने बाद फ्री हो जातें है मम्मी कभी फ्री क्यों नही होती!!”सुमित विनी के इन अजीबोगरीब प्रश्नों का जवाब क्या दूं ये सोच ही रहा था की विनी अगला अद्भूत प्रश्न उसके सामने रख दिया “अच्छा पापा मम्मी कह रही थी कि आज का व्रत उसने आपके लिए रखा है ,आपके स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए”,अगर ये सही है पापा तो मम्मी के स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए आप भी व्रत क्यों नहीं रखते पापा!!!देखो ,इसीलिए मम्मी की तबियत ठीक ही नहीं हो पाती अगर आप भी उनके लिए व्रत रखोगे तो उनकी तबियत एकदम अच्छी हो जायेगी है ना पापा!! विनी ने अपने पापा का हाथ पकड़ लिया पापा आज आप भी मम्मी के लिए व्रत रहो पूजन करो…!अब तो सुमित झुंझला गया,सच है ये वो कटु सत्य था यक्ष प्रश्न था जिसका उसके पास कोई जवाब था ही नही ऐसी स्थिति में अपनी कमजोरी छिपाने के लिए  उसने विनी को फटकार लगाई “आजकल ज्यादा बुद्धि आ गई है तुमको, ज्यादा बोलने भी लगी हो! ये बुद्धि थोड़ा अपनी पढ़ाई लिखाई में लगाओ तो बेहतर होगा…बोलते बोलते वो बाहर निकल गया..


…..काश उस दिन उसने विनी की बात मान ली होती ….उस दिन ऑफिस ना जाकर सुधा के साथ सहयोग किया होता तो उस दिन व्रत और काम की अधिकता सुधा के पैरों को इतना अशक्त ना कर पाती कि वो सीढ़ियों से गिर जाती और दम ही तोड़ देती…. काश वो भी विनी की बात मान कर अपनी जीवन साथी अपनी अर्धांगिनी के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए व्रत रह लेता तो शायद ईश्वर भी उसके व्रत पूजन से खुश हो जाते और उसकी पत्नी की उम्र भी लंबी कर देते !! सुधा एक बार फिर आ जाओ अबकी बार तुम्हारे  सारे काम और सारे व्रत में साथ दूंगा ….! तुम तो हर युग में सावित्री बन सत्यवान के प्राण बचाती हो अब सत्यवान की बारी है …हर जन्म में सुधा को ही मेरी पत्नी बनाना उसने पास में खड़ी बेटी विनी के हाथों में पकड़ी पूजा की थाली से मौली धागा लेकर विशाल वटवृक्ष को अपने इस विश्वास के संकल्प के साथ बांध दिया फिर अपना व्रत का पारण किया।

सादर🙏🙏

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