तलाश (कहानी ) – अंतरा 

दस लड़कियों का एक ग्रुप हंसता -ठिठोली करता पहाड़ियों पर चल रहा था। सभी लड़कियां सेल्फी लेने में व्यस्त हैं और प्राकृतिक छटा को निहार कर विस्मृत हो रही हैं लेकिन एक लड़की बिना किसी विस्मयी भाव के प्रकृति की फोटो लेने में व्यस्त है! वह हर उस छोटी चीज की फोटो ले रही है जिसमें उसे सुंदरता दिख रही है,  तितली, जंगली फूल, झाड़, झरने, पर्वत, वहां के निवासी और प्राकृतिक छटा। तभी माया आवाज लगाती है.. “अरे रोहणी एक दो तस्वीर अपनी भी ले ले वरना फेसबुक इंस्टॉ, व्हाट्सएप पर क्या अपलोड करेगी” इतना कहते ही सारी लड़कियां हंसने लगती हैं लेकिन रोहणी सिर्फ मुस्कुरा कर फिर से तस्वीर लेने में जुट जाती है ।

माया -“चल तुझे नहीं लेनी, तो ला, मैं ही तेरे साथ एक पिक ले लूं। वापस जाकर तेरे मंगेतर को भी तो दिखाना पड़ेगा कि तू हमारे साथ ही थी… किसी जंगली हाथी के साथ नैन मटक्का नहीं कर रही थी।”  ठहाकों की गूंज के साथ सारी लड़कियों ने एक ग्रुप सेल्फी ली।

रमा रोहणी को घसीटते हुए अपने साथ ले जाने लगी.. “चल ना.. साथ में मस्ती करते हैं.. इतनी दूर एंजॉय करने आए और तब भी तू इस कैमरे के साथ ही घुसी हुई है.. कभी हम लोगों के साथ भी समय बिताया कर!”

रोहणी -“अच्छा बाबा.. चलो.. तू तो जानती है कि जैसे ही मैं कोई सुंदर प्राकृतिक दृश्य देखती हूं.. खुद को रोक नहीं पाती। जैसे लगता है हाथ खुद-ब-खुद कैमरे पर जा रहे हैं!”

रमा -“हां पता है.. पर इतना भी क्या जुनून है ! अभी साथ चल का नाश्ता कर ले.. फिर तू दिन भर घूमते रहना कैमरा लेकर बंजारों की तरह।”

रोहणी और बाकी की लड़कियां रिजाट के अंदर नाश्ता करने चली जाती हैं।

रोहिणी एक वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर है। बचपन से ही उसके दादाजी पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के बारे में उसे अक्सर बताया करते थे.. उसके दादाजी को भी प्रकृति से बहुत प्रेम था.. इस वजह से बचपन से ही रोहिणी ने भी अपने आपको हमेशा प्रकृति के करीब पाया और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर बनने का फैसला किया | उसकी मां ने उसके इस फैसले का कभी भी समर्थन नहीं किया| वह तो हमेशा रोहिणी के सपने को सुन कर बिफर जाती थी.. “लड़की जात है.. कहां जंगलों में कैमरा लेकर घूमती फिरेगी. कुछ ऊंच नीच हो जाए तो… फिर शादी ब्याह भी तो करना है या जंगलों में ही बैरागी बन कर खाक छानती रहेगी ” मां की बातें सुनकर रोहिणी अक्सर उदास हो जाती लेकिन उसके दादाजी और पिता ने हमेशा उसका हौसला बढ़ाया और उसका नतीजा यह रहा कि रोहिणी आज अपना सपना पूरा कर पाई है और वह आज एक मशहूर वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर है लेकिन रोहिनी अभी भी पूर्ण संतुष्ट नहीं है.. जाने वह जंगलों में क्या ढूंढा करती है?

नाश्ता करके सभी लड़कियां आसपास की जगहों में घूमने के लिए तैयार होने लगी है.. रोहिणी का मन नहीं लगा तो रोहिणी फिर अपना कैमरा लेकर बाहर आ गई.. रोहिणी एक साधारण सी लड़की है.. थोड़ा कम बोलती है… शांत स्वभाव की है क्योंकि जो प्रकृति के करीब होता है.. अक्सर शांति ही उसकी सहेली बन जाती है। रोहिणी का भी ज्यादा भीड़ भाड़ में जी ऊबने लगता है.. शायद उसके प्रोफेशन के लिए भी सही है क्योंकि वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी में कभी-कभी तो घंटों तक तस्वीर के लिए इंतजार करना पड़ता है और यह सब के बस का काम नहीं है.. काफी संतोषी, दृढ़ निश्चयी और स्थिर चित्त वाला इंसान ही वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर बन सकता है..




रोहिणी अपने आसपास की जगहों की तस्वीरें ले रही थी.. तभी उसने एक पेड़ के नीचे बेंच पर एक बुजुर्ग व्यक्ति को बैठे देखा जो अपनी पारंपरिक पोशाक में थे|  उनके चेहरे पर एक अजीब सी चमक थी |80-90 साल से कम के नहीं लग रहे थे लेकिन काफी हष्ट पुष्ट व एक्टिव लग रहे थे |पहाड़ों में अधिकतर लोग प्रकृति के करीब रहने के कारण स्वस्थ रहते हैं| रोहिनी उनकी वेशभूषा से आकर्षित होकर जिज्ञासा बस उनकी तस्वीर लेने उनके पास चली गई। उन्होंने भी खुशी-खुशी तस्वीरें खिंचवा ली।अमूमन दार्शनिक स्थलों के स्थाई निवासी आगंतुकों से बड़ी जल्दी हिल मिल जाते हैं और फिर बुजुर्गों की तो बात ही अलग है..

रोहिणी उनके पास बैठकर ही आसपास के इलाके के बारे में जानकारी लेने लगी,” बाबा यहां आस-पास कोई ऐसा अनोखा या अद्वितीय खूबसूरत स्थान है जहां की मुझे तस्वीर लेनी चाहिए।”

बाबा-” बेटा यहां तो सभी कुछ सुंदर है.. आसपास हरियाली ही हरियाली है.. पहाड़ी के नीचे जंगल है अगर वहां जाओगे तो कुछ बारहसिंघा, सियार या लोमड़ी भी दिख जाएंगे लेकिन जंगल के अंदर मत जाना… वहां जंगली जानवर है।”

रोहणी थोड़ा निराश सी हो गई कि उसे जो जवाब चाहिए था वैसा जवाब नहीं मिला,” लेकिन बाबा मैंने तो सुना है कि यहां इससे भी ज्यादा अच्छी जगह है.. आप तो इतने सालों से यहां रह रहे हैं.. क्या आप और किसी खास जगह के बारे में नहीं जानते?”

बाबा- तुम किस जगह के बारे में जानना चाहती हो?  खुल कर बताओ तो शायद मैं तुम्हारी कुछ मदद कर पाऊं |”

रोहिणी -“दरअसल  बाबा मैं अपने प्रोजेक्ट के लिए बेहद खूबसूरत और अनोखी तस्वीरें लेना चाहती हूं.. जिसे पहले किसी ने ना देखा हो इसलिए मैं एक खास जगह को ढूंढ रही हूं पर कोई भी उस जगह के बारे में नहीं बता पा रहा है पर आपको देखा तो लगा कि शायद आप मेरी मदद कर सके।”

बाबा -देखो बेटा.. यह जंगल, यह पहाड़ सब खास   ही है लेकिन इसमें क्या छुपा है और किसके लिए छुपा है यह कोई नहीं जानता। अगर वह खास सच में तुम्हारे लिए है तो तुम्हें जरूर मिलेगा।”




रोहणी अभी बाबा के जवाब से संतुष्ट नहीं थी उसे ऐसा लग रहा था जैसे बाबा उस जगह के बारे में जानते हैं पर जानबूझकर उसे उस जगह के बारे में नहीं बताना चाहते हैं। रोहिणी की सारी सहेलियाँ  तैयार होकर आ गई थी और उसे आवाज दे रही थी। रोहिणी ने भी बाबा से विदाई ली और अपनी सहेलियों की तरफ चल पड़ी.. सब रिसोर्ट की ओर से बुक वैन में बैठ गये..  वैन पहाड़ी रास्तों पर कभी लुढ़कती हुई तो कभी चढ़ती हुई चल रही थी। पहाड़ी काट काट कर रास्ते बनाए गए थे..  एक तरफ पहाड़ तो एक तरफ गहरी खाई नजर आती थी जिसमें जंगल फैले  हुए थे। जब वैन मुड़ती तो ऐसा लगता कि सीधे खाई में ही गिर जाएगी.. सब का कलेजा मुंह को आ जाता था लेकिन वहां के कुशल ड्राइवर बड़ी ही शालीनता से गाड़ी चला रहे थे।मैदानी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए पहाड़ी इलाकों में गाड़ी चलाना मौत को आमंत्रण देने के बराबर है। वैन के बाहर का नजारा देखने लायक था चारों तरफ हरियाली ही हरियाली फैली हुई थी। कुछ औरतें अपने पारंपरिक परिधान में सर पर टोकरी बांधे चाय के बागानों में पत्तियां चुन रही थी। पहाड़ों में जितनी सुंदर प्रकृति होती है.. उतनी ही सुंदरता वहां की औरतों में भी दिखाई देती है जबकि वहां की औरतें काफी मेहनत कश होती हैं। पहाड़ों में जीवन इतना आसान नहीं है। आदमियों के बराबर औरतों को भी पेट पालने के लिए उतनी ही मेहनत करनी पड़ती है।

सभी इन प्राकृतिक दृश्यों का भरपूर आनंद उठा रहे थे पर रोहणी कुछ परेशान और चिंता में मग्न दिख रही थी। रमा ने उसे टोका, ” क्या हुआ रोहणी.. ऐसे तो तू कोई मौका नहीं छोड़ती नेचर को देखने का और आज जब इतनी सुंदर जगह देखने को मिल रही है तो किस सोच में डूबी हुई है।”

रोहिणी-” कुछ नहीं यार… बस यूं ही..”  रोहिणी ने रमा को टालने की कोशिश की।

रमा -“कोई परेशानी है तो तू मुझसे शेयर कर सकती है.. आखिर दोस्त हूं तेरी।”

रोहणी-” नहीं ऐसा कुछ नहीं है.. तू तो बेवजह परेशान हो रही है। दरअसल मैं बाहर देखूंगी तो मुझे चक्कर आने लगते हैं। यह गोल गोल से रास्तों की वजह से मेरा जी मितलाने लगेगा इसलिए चुपचाप बैठी हूं। ” रोहिनी ने बहाना मारा पर इस बार तीर  निशाने पर लगा और रमा संतुष्ट होकर फिर सहेलियों के साथ मगन हो गई। रोहिनी को समझ नहीं आ रहा था कि वह उस खास जंगल के बारे में किससे पूछें जिसे ढूंढने वह इतनी दूर आई है क्योंकि वह जिस से भी पूछती वह या तो जानता नहीं था या फिर छिपाने की कोशिश करता था।




गाइड हर डेस्टिनेशन पर पहुंचकर वही रटी रटाई लाइने बोलकर सबको ज्ञान बांट रहा था। लेकिन रोहिणी उसकी किसी बात पर ध्यान नहीं दे रही थी क्योंकि उसने गाइड से भी उस खास जंगल के बारे में पूछा लेकिन उसे भी कोई जानकारी नहीं थी.. रोहिणी मन ही मन बड़बड़ा रही थी.. ” काहे का गाइड.. जिसे अपने ही शहर के बारे में पूरी जानकारी ना हो.. वह कैसा गाइड.. बस 8-10 जगहों को फिक्स कर लिया.. हर टूरिस्ट को वहीं ले जाकर खड़ा कर देता है और वही 8 -10 रटी रटाई लाइनें रट्टू तोता की तरह रटता रहता है.. कुछ अलग पूछ लो तो बस बत्तीसी दिखा देता है।”

रोहिणी हर जगह पहुंच कर वहां के लोगों से बातों बातों में किसी खास जंगल के बारे में पूछ रही थी पर उसे कोई जवाब नहीं दे पा रहा था। उस जंगल के बारे में ज्यादा खुलकर नहीं पूछना चाहती थी क्योंकि उसे डर था कि शायद उसके जंगल के बारे में ज्यादा बात करने से उसका राज ना खुल जाए लेकिन कोई भी अपनी बातों में उस जंगल का जिक्र नहीं कर रहा था इस वजह से अब रोहणी को लगने लगा कि शायद उसे कोई गलत सूचना मिली है.. यहां ऐसा कोई जंगल नहीं है। अगर होता तो कोई ना कोई तो जरूर जानता होता और कोई तो अपनी बातों में उस जंगल का जिक्र करता। रोहिणी ने भी अब अपने मन को शांत किया और बेमतलब के भ्रम को त्याग दिया… उसके साथ पहले भी कई बार ऐसा हुआ है कि जैसा खूबसूरत और अनोखी जगह उसे बताई गई… कभी-कभी वह उसकी सोची हुई रूपरेखा के अनुरूप नहीं होती थी लेकिन प्रयास करना तो उसके प्रोफेशन का एक हिस्सा है। संसार के हर हिस्से की खूबसूरत और अनोखी जगहों और जीव-जंतुओं को खोज निकालना ही उसका लक्ष्य है और इसके लिए कभी कभी उसे अफवाह और सूचनाओं पर भी विश्वास करना पड़ता है।

सूरज ढल रहा था। लाल गोला पहाड़ों के पीछे छिपता जा रहा था लेकिन उसकी अप्रतिम सुंदरता देखते ही बन रही थी। आकाश सुरमई नारंगी रंग से भरा हुआ था…सूरज की ढलती हुई रोशनी से कहीं अंधेरा तो कहीं प्रकाश सा प्रतीत हो रहा था। आखिरकार सूरज ढल गया। चारों तरफ अंधेरा छा गया। झिंगुरों की आवाज और साफ सुनाई देने लगी। ऐसे घुप्प अंधेरे में गाड़ी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी लेकिन इस बार रोहणी भी बाहर देख रही थी। इतना खतरनाक रास्ता देख कर उसके शरीर में भी सिहरन होने लगी। डर के मारे उसने बाहर देखना बंद कर दिया और आंख बंद करके सीट पर टेक लगाकर बैठ गई। आंख बंद करते ही उसके दिमाग में एक बार फिर से उस जंगल के ख्याल आने लगे। वह अपना इरादा जरूर बदल चुकी थी लेकिन दिल के एक कोने में कहीं अभी भी एक आस थी कि काश उसे वह जंगल मिल जाए।

क्रमशः

मौलिक

स्वरचित

अंतरा 

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