दोस्तों यह तो हम सब जानते हैं कि कबीर का जन्म जुलाहे के घर में हुआ था जुलाहा का कार्य होता है रुई धुनना.फिर कबीर जब बड़े हुए तो अपने पिता के कार्यों में हाथ बंटाने लगे.
एक दिन अपने घर के बाहर कबीर रुई धुन रहे थे और उसे धुन कर अपने पास ढेर लगाते जा रहे थे उसी समय एक व्यक्ति दौड़ता हुआ कबीर के पास आया और कहा कबीर भाई कृपा करके मुझे बचा लीजिए राजा के सैनिक मुझे गलती से चोर समझकर मेरे पीछे पड़े हुए हैं अगर वह मुझे पकड़ लेंगे तो या तो मार देंगे या मुझे जेल की सजा हो जाएगी। मैं निर्दोष हूं भाई मुझे बचा लीजिए।
कबीर ने कहा देखो भाई अगर मैं तुम्हे घर में छुपा दूंगा तो सैनीक घर में चले गए तब तो आप जरूर पकड़े जाओगे ऐसा करो तुम रुई के अंदर छुप जाओ. थोड़ी देर के बाद राजा के सैनिक आए और कबीर को देखकर उन्होंने प्रणाम किया और पूछा कबीर जी आपने कोई चोर को इधर आते हुए देखा है क्या। कबीर ने सहज मन से उत्तर दिया हां भाई देखा है वह रुई के अंदर छुपा हुआ है.
राजा के सैनिक ने यह समझा कबीर मजाक कर रहे हैं और वह वहां से बिना उस व्यक्ति को पकड़े ही चले गए.
सैनिकों के जाने के तुरंत बाद वह आदमी उस रुई के ढेर में से निकला और कबीर पर गुस्सा होने लगा. तुम तो यार बहुत बुरे आदमी हो, तुम ही ने मुझे रुई के अंदर छुपाया और तुमने मुझे बता भी दिया कि मैं उसी के अंदर हूं अगर तुमने मुझे छुपाया तो फिर सच बोलने की क्या जरूरत थी यदि मैं पकड़ा जाता तो वह मेरा हत्या कर देते।
कबीर ने कहा आप इतना गुस्सा क्यों हो रहे हैं अगर मैं सचमुच में झूट बोल देता तब तो वह आपको जरूर ढूंढ़ लेते।
यह मेरा सत्य बोलने का नतीजा है कि वह उस पर विश्वास नहीं किए और बिना आपको रुई के अंदर ढूंढे ही चले गए और आपकी जान बच गई..
अगर मैं झूठ बोल देता तो शायद उनको विश्वास नहीं होता और वह रुई के अंदर ढूंढते लगते और आप जरूर पकड़े जाते।
दोस्तों इस कहानी से यही सीख मिलती है अगर हम झूठ बोलते हैं तो उसका हमें निकला तो मिल जाता है लेकिन सत्य का लाभ हमेशा होता है इसीलिए हमें हर परिस्थिति में सत्य ही बोलना चाहिए।