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सम्मान बना अभिमान – गुरविंदर टूटेजा 

जोरो-शोरों से शादी की रस्मों के बाद आज विनीता की विदाई हो रही थी सबसे मिल रही थी पापा-मम्मी व भाई से मिलकर उसका व उनका हाल बहुत बुरा था पर जाना तो था ही….!!!!

   विदाई के बाद नयी दुनिया में बहुत सुंदर स्वागत हुआ बहुत प्यारा परिवार था…पति अभिषेक ,पापा-मम्मी, जेठ-जेठानी , उनके दो बच्चे..दो ननदें-नन्दोई जी उनके भी दो-दो बच्चें…!!!!

   सबने बहुत दिल से अपनाया था उसे व उसने भी एक-दो दिन में ननदें अपने घर चली गई व हम भी हनीमून पर चलें गयें…!!!!

 जब आए तो नयी ज़िन्दगी की शुरुआत हुई जेठानी जी बहुत अच्छी थी उसका मन मिल गया दोनों साथ ही रहती…धीरे-धीरे विनीता ने घर का सब काम संंभाल लिया व खाना भी वही बनाती पर जब सर्व करना होता तो भाभी आ जाती फटाफट आगे-आगे होती थी पर विनीता ने इस बारें में कभी कुछ नहीं सोचा…!!!!

   वक्त बीतता रहा 

उसके भी बच्चें हो गये बड़े भी हो गये…वो भतीजी-भतीजा दोनों से बहुत प्यार करती थी…पापाजी-मम्मीजी दोनो गुजर गयें…!!!!

 भतीजी के  लिए रिश्तें भी आने लगे तो जब भी देखने कोई आता तो कहते कि मम्मी-पापा बात करेंगे तो चाची आप किचन देख लेना…वो बहुत खुशी -खुशी करती थी यहाँ तक की जब बात पक्की हुई सब एक-दूसरे को मिठाई खिला रहे होते और वो पकौडें तल रही होती तो सिर्फ अभिषेक ही बुलाने आते….दोनों की शादी हो गई…पर जब तक जरूरत थी तो उसको पूछते..नहीं तो कोई मतलब नहीं….!!!!

   जब भाभी की बहू आ गई तो उसने नोट किया कि वो किचन में लगी रहती है और सब आराम से बैठे रहते है तो उसने भी अब काम करना कम कर दिया…!!!!




  एक भाभी गुस्से में आयी और बोली विनीता क्या हो गया आजकल तुम किचन में बहुत कम जाती हो..????

  विनीता ने धैर्य से जवाब दिया भाभी आपकी तो बहू भी आ गई है मुझे लगता है कि अब हमें मिल बाँटकर काम कर लेना चाहिए…!!!!

 अरे ! ऐसे कैसे बोल रही हो फिर तुम्हें पता है अंशिका जॉब करती है बेचारी को इतना टाइम थोड़ी रहता हैं…जैसे पहले चलता रहा है वैसे ही चलते रहने दो…!!!!

  क्यूँ भाभी अगर मैं नहीं करूँ तो…??

  …करना तो तुम्हें पड़ेगा…!!!!

 भाभी आप तो मुझपर हुकुम चला रही हो मैं कोई आपकी गुलाम थोड़ी हूँ….आप मुझसे बड़ी है तो मैं आपका सम्मान करती थी और चुपचाप हर काम करती रहती थी मेरी गलती थी वो ही सम्मान आज आपका अभिमान बन गया है तो बात और बढे तो इसका एक ही हल है कि 

अब हमें अलग हो जाना चाहिए…!!!!

  सही कह रही हो हमें अब अलग हो ही जाना चाहिए….!!!!

   दोनो भाई भी राजी-खुशी अलग हो गये…अब जब कभी भी वो आते तो विनीता अच्छे से अटैन्ड करती जब खुद जाती तो किचन में बिल्कुल नहीं जाती थी..!!!!

  कुछ वक्त बीता एक दिन भाभी घर आ गई…अरे भाभी आप यहाँ सब ठीक हैं ना..??

  मुझे माफ कर दो विनीता तुमने मेरा हमेशा साथ दिया पर मैंने तुम्हारे साथ गलत ही किया पर आज जब मेरी बहू मेरे साथ गलत कर रही है तो मुझे समझ आ रहा है कि मैं कितनी गलत थी…!!!!

सही है भाभी गलत तो आप थी क्यूँकि  आपको शुरू से ही उसे थोड़ा काम की आदत डालनी थी पर तब तो आपको मैं दिख रही थी कि करती रहेगी सबकी सेवा…अब आपने आदत डाली है तो भुगतना भी आपको पड़ेगा…!!!!

   सही कह रही हो विनीता अब कुछ नहीं हो सकता है फिर भी तुम समझाओ तो शायद समझ जाए अंशिका तुम्हें बहुत मानती है..!!!!




  जी भाभी मैं बात जरूर करूँगी पर मुझे लगता है आप पूरे दिन काम की बाई लगा लीजिए वही सही रहेगा आज बड़ो़ को ही समझना पड़ता है…!!!!

चलो मैं चलती हूँ…!!!!

अरे मेरे हाथ के चाय व पकौड़े तो खाकर जाईयें…!!!!!

 आज सम्मान उतना ही दो…

जितनी जरूरत हों…!!!!!

कही ऐसा ना हो कि…

आज का आपका सम्मान…

कल किसी का अभिमान हो…!!!!

#अभिमान

मौलिक व स्वरचित©®

गुरविंदर टूटेजा 

उज्जैन (म.प्र.)

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