पूरे दिन करती क्या हो?-मुकेश कुमार

रश्मि और आनंद के शादी हुये  17 साल हो गए हैं। रश्मि के व्यवहार से परिवार में हर कोई खुश  रहता है सिवाय उसके पति आनंद के, आनंद एक मॉडर्न शहर वाली लड़की से शादी करना चाहता था लेकिन उसकी मां ने अपनी एक दूर के रिश्तेदार की बेटी जो कि गांव में रहती थी आनंद की शादी कर दी थी।

इन 17 सालों में आनंद और रश्मि के दो बेटियां और एक बेटे हो गए थे। आनंद की मां यानी कि रश्मि के सास रश्मि से बहुत ही प्यार करती थी।  उनके लिए तो रश्मि बहू नहीं बल्कि बेटी से भी बढ़कर थी। दरअसल रश्मि के साथ को पैरालाइसिस मार दिया था इस वजह से वह हमेशा बेड पर ही रहती थी।  

लेकिन उनकी देखभाल में  रश्मि कोई भी कमी नहीं करती थी।   रश्मि के सास को कभी भी यह एहसास नहीं हुआ कि  बहू मुझे इसी बात के लिए इग्नोर करती है टाइम से अपनी सास को खाना खिलाना उनकी दवाइयां खिलाना जो दवाई खत्म हो जाए उसे बाजार से ले आना बिल्कुल ही  हर काम तरीके से करती थी।

कभी भी अपनी सास को शिकायत का मौका नहीं दिया था।  जो भी मेहमान या पड़ोसी रश्मि के घर आता सब से यही कहती थी कि भगवान ने मुझे बेटी तो नहीं दिया लेकिन बहू के रूप में मुझे बेटी दे दिया।



रश्मि अपने बच्चों की सारी जिम्मेदारियां भी बहुत अच्छे से निभाती थी सबको सुबह नाश्ता बना कर टाइम से स्कूल भेज देना दोपहर में बच्चों को स्कूल से लेकर आना। उसके बाद सबको लंच कराना। 4 बजते ही सारे बच्चों को लेकर ट्यूशन पढ़ाने के लिए बैठ जाना।  रश्मि क्योंकि M.Sc.. पास थी. इस वजह से वह अपने बच्चों के मैथ और साइंस को अच्छे से पढ़ा देती थी. अपने बच्चों के लिए रश्मि किसी सुपर मॉम से कम नहीं थी.

अगर बुरी थी तो वह सिर्फ अपने पति आनंद के लिए. आनंद को हमेशा अपनी पत्नी में बुराई ही नजर आती थी वह हमेशा ताना मारता रहता था तुम्हारे इतने पढ़े लिखे होने का क्या फायदा। दिन भर घर में रहती हो तुम चाहती हो कि घर में रहकर ऐश मौज करूं इसीलिए तो तुम कोई बाहर जॉब नहीं करना चाहती हो।

यह  वाक्य  आनंद ही नहीं बल्कि हर पति अपने पत्नी से कहता है कि  तुम पूरे दिन घर में करती क्या हो मुझे देखो सुबह से लेकर शाम तक ऑफिस में इतना काम करता हूं थक जाते हैं हम, मौज है तो तुम ही लोगों का दिनभर सीरियल देखते रहो।

आनंद कई बार रश्मि को बाहर जॉब करने के लिए फोर्स  डालता था, लेकिन रश्मि हमेशा आनंद की बातों को इग्नोर कर देती थी क्योंकि उसे पता था कि अगर वह जॉब करने चली जाएगी तो वह उसका हंसता-खेलता परिवार बिखर जाएगा।  उसकी सासू मां की सेवा कौन करेगा फिर बच्चों की पढ़ाई लिखाई कैसे कर पाएंगे वह इस वजह से वह आनंद की बातों को सीरियसली नहीं लेती थी।



आनंद हमेशा कहता था कि यार तुम पूरे दिन जो करती हो वह तो एक बाई भी कर सकती है इससे तो अच्छा यही है कि तुम कोई अच्छा सा जॉब कर लो और उसमें से जो पैसे मिलेंगे कुछ पैसों का एक बाई रख लेंगे। घर में कुछ पैसे भी आ जाएंगे और घर के सारे काम भी हो जाएंगे।  

लेकिन रश्मि को अच्छे से यह बात पता था कि जो काम वह करती है एक बाइ कभी भी नहीं कर सकती है।  उसी की मेहनत है कि आज उसके बच्चे अपने क्लास में हमेशा फर्स्ट आते हैं वह किसी भी सूरत में अपने बच्चों की जिंदगी खराब नहीं करना चाहती थी।

आनंद हमेशा रश्मि के खाने में नुक्स निकालता रहता था। यार तुम्हें आज तक खाना ही नहीं बनाने आया ऐसा बनाती हो जैसे यह  खाना कोई इंसान नहीं बल्कि किसी बीमार इंसान को खिलाना हो। वास्तव में आनंद खाने पीने में थोड़ा चटोर आदमी था उसे मसाले वाले भोजन और चटपटा भोजन खाना पकाना पसंद था।

रश्मि को यह बात पता था कि अगर इस तरह का खाना बनाएंगे तो बच्चों का स्वास्थ्य बहुत जल्द खराब हो जाएगा इस वजह से वह सिंपल खाना बनाती थी।  हां कभी-कभार महीने में अच्छा मसालेदार खाना भी बना देती थी। वह अपने बच्चों के स्वास्थ्य कोई भी समझौता नहीं कर सकती थी।

आनंद भी बेचारा क्या करें हमेशा मन मार कर रह जाता था जब कभी उसे अच्छा खाने को मन करता था तो बाहर से ही खा कर आ जाता था। आनंद की एक खासियत यह है कि वह भले ही कितना भी रश्मि को डांटते रहता था लेकिन वह अपनी मां की को बहुत मानता था अगर वह कुछ भी कह देती थी तो उनकी बातों को नहीं टालता था।



आनंद सोचता था रश्मि उसके साथ वीकेंड पर कहीं बाहर घूमने जाए।  उसके साथ थोड़ा मौज मस्ती करें और वह मॉडर्न ड्रेस जींस और टॉप पहने उसे पता नहीं क्यों जींस और टॉप पहनने वाली लड़कियां बहुत पसंद थी इस वजह से वह चाहता था कि उसकी पत्नी भी  ऐसे ड्रेस पहने लेकिन रश्मि इसके विपरीत थी वह जींस टॉप पहनना बिल्कुल ही पसंद नहीं करती थी।

आनंद जब भी रश्मि से बाहर घूमने जाने की बात करता रश्मि यह कह कर टाल देती आनंद अगले सप्ताह चलेंगे अभी मेरा मन नहीं है।  मन तो रश्मि का भी होता था जाने के लिए लेकिन रश्मि को यह पता था कि आनंद की कमाई इतनी नहीं है कि हम हर सप्ताह बाहर जाकर मल्टीप्लेक्स में सिनेमा देखें और बड़े रेस्टोरेंट में खाना खाएं कितना मुश्किल से तो आनंद के कमाई से  पूरे महीने घर चलाती थी। बच्चों की फीस, माँ जी की दवाई, घर का किराया इसके बाद आगे के दिनों के लिए भी कुछ सेविंग करना ₹1 भी फालतू में बर्बाद नहीं करना चाहती थी।

एक दिन आनंद के ऑफिस के ही एक मित्र की शादी की सालगिरह था तो  उसने आनंद को भी इनवाइट किया था और उसने बोला था कि आनंद पूरे फैमिली के साथ आना।  आनंद को पता था कि इस पार्टी में उसके ऑफिस के सारे मित्र आएंगे और उनके वाइफ भी आएंगे।  इस वजह से बाहर शोरूम से अपनी वाइफ के लिए एक डिजाइनर ड्रेस खरीद के लाया।

जब घर घर गया तो वह अपनी पत्नी रश्मि को इस बारे में बताया और उसे ड्रेस दिखाकर बुला रश्मि तुम्हें यही पहन कर जाना है। रश्मि बोली आपको तो पता है कि मैं इस तरह की ड्रेस नहीं पहना करती हूं अगर आपको मेरे लिए कुछ खरीदना ही था तो एक अच्छा सा साड़ी खरीद लेते फालतू के इतने पैसे बेकार कर दिए।  



आनंद बोला यार रश्मि हमेशा तुम सिर्फ पैसे के पीछे क्यों भागती रहती हो कभी मेरा भी मान लिया करो तुम खुद ही सोचो पार्टी में सबके वाइफ अलग-अलग तरह के मॉडल ड्रेस पहनी होगी और तुम अगर उसमें साड़ी पहन कर जाओगी तो क्या अच्छा लगोगी।  

रश्मि बोली यह तुम्हारी सोच है ऐसा कुछ नहीं है साड़ी पहनने से एक औरत कीबेइज्जती हो जाती है और तुम  यह बेकार के बातें सोचना बंद करो और हां इसे कल जाकर वापस लौटा देना मेरे लिए कोई साड़ी ले लेना मैं इसे नहीं पहनने वाली।

आनंद बोला तुम्हें किसी भी हाल में यह ड्रेस पहनना ही होगा मैं इसे वापस नहीं करने वाला। अगले दिन शाम को सब तैयार होकर रेडी थे  बच्चों ने भी अपने नए ड्रेस पहने पहन लिया था आनंद भी कोट पैंट में बिल्कुल ही हीरो जैसा लग रहा था अब इंतजार था तो रश्मि का उसे लग रहा था कि रश्मि उसकी लाई हुई ड्रेस पहनकर बाहर निकलेगी लेकिन रश्मि ने उस ड्रेस को नहीं पहना बल्कि वह साड़ी पहनकर ही आ गई इस पर आनंद  काफी गुस्सा हुआ।

पार्टी में जाने के लिए लेट हो रहा था इस वजह से अपने जल्दी से एक कैब किया और पार्टी के लिए चल दिए।

वहां गए तो सच में पार्टी में सब की वाइफ अलग-अलग डिजाइनर ड्रेस पहनी हुई नजर आ रही थी वहां पर रश्मि सबसे अलग ही दिख रही थी।  लेकिन इससे रश्मि को कोई परेशानी नहीं थी।



पार्टी मे  पहुंचते ही आनंद रश्मि और अपने बच्चे से अलग होकर इंजॉय करने लगा ताकि वह अपने फैमिली का किसी से परिचय ना दे पाए।

तभी उसका दोस्त मिल गया उसने पूछा अरे आनंद  तुम अकेले आ गए क्या पार्टी में भाभी और बच्चों को लेकर नहीं आए।  आनंद बोला अरे यार कल बच्चों के सुबह एग्जाम थे तो उसकी तैयारी करानी थी इस वजह से रश्मि नहीं आ पाए।  कोई बात नहीं मैं तो आ गया। उसका दोस्त बोला पढ़ाई भी जरूरी चीज है कोई बात नहीं तुम पार्टी इंजॉय करो।

थोड़ी देर बाद उसका दोस्त सारे मेहमानों से मिल ही रहा था उसी क्रम में देखा कि रश्मि अपने बच्चों के साथ आइसक्रीम खा रही थी उसका दोस्त वही पर पहुंच गया और  रश्मि से नमस्ते किया भाभी जी आप यहां आनंद तो कह रहा था कि आप लोग तो आए ही नहीं हो पार्टी में बच्चों के कल एग्जाम है इस वजह से आप लोग आए नहीं।

रश्मि को सुनकर बड़ा अजीब सा लगा कि आनंद ने  ऐसा क्यों बोला। रश्मि कुछ देर मे आनंद को ढूंढकर आनंद के पास पहुंची और उससे पूछा आनंद तुमने अपने दोस्त से हमारे बारे में ऐसा क्यों बोला कि हम पार्टी में आए ही नहीं है।

आनंद साफ शब्दों में कह दिया कि देखो रश्मि तुम्हारी वजह से मैं अपनी बदनामी नहीं कराना चाहता था और देखो सबकी वाइफ कैसे-कैसे ड्रेस पहन कर आई हुई है और तुम एक सिंपल साड़ी पहन कर आ गई हो इस वजह से मैंने सोचा कि किसी को पता ही ना चले कि तुम आई हो पार्टी में।

उस दिन रश्मि को सच में इन 17 सालों में पहली बार आनंद पर बहुत गुस्सा आया जो इंसान दिखावा की वजह से अपने बच्चे और पत्नी को परिचय ना करें  वह इंसान तो कभी भी दुख पड़ने पर धोखा दे सकता है।



रश्मि बोली, बहुत बर्दाश्त कर लिया इन 17 सालों में तुमको अब मैं तुमको भी 1 मिनट भी बर्दाश्त नहीं कर सकती है. यह लो अपने बच्चों का हाथ अपने पति को पकड़ते हुए बोली इन को संभालो मैं तो चली।   आनंद लाख मनाता रहा लेकिन रश्मि ने आनंद की एक भी बात नहीं सुनी। रश्मि उसी समय पार्टी से निकल कर सीधे अपने मायके चली गई।

रश्मि कुछ ही समय मे पहुँच गई। मायके का दरवाजा खटखटाया रश्मि के भैया ने दरवाजा खोला और आश्चर्य से रश्मि तुम इतनी रात को सब कुछ ठीक तो है ना। रश्मि बोली कि हां भैया सब कुछ ठीक है तुम घर में आओ मैं सबको कुछ तुमको डिटेल में बताती हूं।  रश्मि ने अपने भैया से पार्टी वाली सारी बात बता दी और उसने यह भी बताया कि भैया मैं चाहती हूं कि आनंद को जब तक हमारी कमी महसूस नहीं होगी तब तक वह सुधरेंगे नहीं उन्हें लगता है कि सब कुछ बना बनाया मिल जाता है, घर की तो उन्हें बिल्कुल चिंता ही नहीं रहती है तो वह सोचते हैं कि सब कुछ इतना आसान है लेकिन मैं उनको सबक सिखाना चाहती हूं आप सिर्फ मेरा साथ दीजिए।  हां बहना क्यों नहीं।

रश्मि की भांति भी आ गई थी उन्होंने रश्मि से पूछा रश्मि तुमने खाना खाया है या नहीं। हाँ भाभी खा लिया है मैंने।

आनंद अपने बच्चों को लेकर घर वापस लौट आया था घर आने के बाद अपने बच्चों को बोला जल्दी से सब तुम लोग सो जाओ कल सुबह तुम्हें स्कूल भी जाना है।

रात को रश्मि अपनी बड़ी बेटी को फोन किया और उसने सब का हालचाल पूछा कि तुम सब तो ठीक हो ना और तुम्हारे पापा कैसे हैं जो भी हो रश्मि आनंद से बहुत प्यार करती थी उससे दूर नहीं गई थी बल्कि उसे रास्ते पर लाना चाहती थी।  उसके अंदर से माडर्न का भूत सवार था उसे बाहर निकालना चाहती थी। रश्मि ने अपनी बड़ी बेटी को सबकुछ समझा दिया था बेटी तुम चार-पांच दिन अपने भाई बहनों का अच्छे से ख्याल रखना। मैं चार-पांच दिन में आ जाऊंगी उसकी बड़ी बेटी ने बोला ठीक है मम्मी हम सब ठीक है।  आप भी अपना ख्याल रखना।



अगले दिन सुबह होते ही आनंद चिल्लाना शुरु किया नेहा, मनीष, चांदनी जल्दी से सो कर उठो स्कूल भी जाना है देर हो रहा है मैं तुम्हारे लिए जल्दी से नाश्ता बना दे रहा हूं। इधर आनंद ने ब्रेड को टोस्टर  मे रखकर छोटे बेटे को ब्रश करा रहा था तभी ब्रेड के जलने की गंध आने लगी वह दौड़ कर टोस्टर बंद किया। फिर उसके बाद उसने चूल्हे पर चाय चढ़ा कर बच्चों को कपड़ा पहनाने लगा तभी चाय उबलकर नीचे गिरने लगी।  

आनंद बिल्कुल परेशान हो गया था अभी तो बच्चों के टिफिन भी बनाना था। उधर मां आवाज लगा रही थी बहू कहां हो तुम अभी तक मेरी दवाई नहीं खिलाया तुमने मुझे, तब आनंद ने अपनी मां को जाकर बोला बहू नहीं है तुम्हारी यहां वह अपने मायके गई है अभी दे रहा हूं मैं तुमको दवाई बेटा जल्दी से दो।  लेट हो रहा है। बच्चे भीचिल्लाने लगे थे। पापा टिफिन जल्दी दो “बस” का टाइम हो गया है आनंद बिल्कुल परेशान हो गया था उसने बोला बेटा तुम लोग मैनेज कर लो आज ब्रेड और जैम लेकर चले जाओ कल तुम्हारा नाश्ता टाइम से बना दिया करूंगा।

इधर आनंद को ऑफिस जाने के लिए भी लेट होने लगा था वह भी जल्दी से तैयार होकर ऑफिस जाने के लिए रेडी हो गया था और माँ को बोला आज तुम भी ब्रेड और जैम खा कर काम चलाओ कल से मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा।

जल्दबाजी में आनंद ऑफिस पहुंचा और तो सारे एंप्लोई उसको देख कर हंस रहे थे।  आनंद को समझ ही नहीं आ रहा था तो उसने ऐसा क्या कर दिया है कि सारी एंप्लोई मुझ पर हंस रहे हैं उसने जल्दबाजी में पैंट की बेल्ट नहीं पहनी हुई थी और ना ही उसने अपने बाल को कंघी किया हुआ था नहा कर सीधे ही कपड़े पहनकर ऑफिस चला गया था।  तब तक उसके बॉस मिस्टर मित्तल मिल गए और बोले आनंद यह क्या हुलिया बना रखा है तुमने आज, सब कुछ ठीक तो है सर रास्ते में आते हुए बाल ऐसा हो गया और जल्दबाज़ी मे बेल्ट लगाना भूल गया। उसके बॉस ने बोला, कोई बात नहीं आराम से आया करो।



6 बजते ही आनंद अपने बॉस के केबिन में गया और बोला कि सर आज मुझे थोड़ा जल्दी छुट्टी चाहिए घर जाना था।  मित्तल साहब ने बोले क्यों क्या हो गया रोजाना तो तुम 8:00 या 9:00 बजे घर जाते थे आज 6:00 बजे जाने की क्या जल्दी पड़ गई आनंद ने बताया कि उसकी वाइफ मायके गई हुई है इस वजह से बच्चों को देखभाल करना जरूरी है। बॉस ने उसे जाने की इजाजत दे दी।

रश्मि ने अपने बच्चों  के लिए अपने पड़ोसी दोस्त ममता को दोपहर में खाना खिला देने के लिए बोल दिया था इस वजह से बच्चों ने आंटी के घर में जाकर आराम से खाना खा लिया था और अपने दादी के लिए भी खाना पैक कराकर ला दिए थे।  लेकिन रश्मि ने अपने बच्चों को सिखा दिया था जैसे ही तुम्हारे पापा शाम को आए तब उनसे बोलना कि पापा हमें बहुत जोर से भूख लगी है कुछ खाने को बना दो।

आनंद जैसे ही घर पहुंचा बच्चों ने पूरे घर पर ले लिया पापा बहुत जोरों से भूख लगी हुई है जल्दी से कुछ खाने को बनाओ। वैसे आनंद ने बाहर से ही बच्चों के लिए समोसा पैक करा लिया था। आनंद ने बच्चों को समोसा बनाते हुए बोला कि इसे तुम लोग जब तक आओ तब तक मैं तुम्हारे लिए डिनर तैयार कर देता हूं।

आनंद नहीं जैसे तैसे करके  सब्जी और आधा कच्ची-पक्की जली हुई रोटियां बनाई।  आनंद बोला “बच्चों जल्दी से अपने टेबल पर बैठ जाओ। मैं खाना लगा रहा हूं।”  सबने देखा कि अरे यह कैसी रोटी है एक भी रोटी गोल नहीं है और वह भी सब जली हुई है आनंद ने बोला बेटा आज तो तुम्हें यही खाना होगा।  बच्चों ने बोला ठीक है पापा। छोटे बेटे ने जैसे ही रोटी और सब्जी खाया उसने वहीं पर उसे थूक दिया। पापा यह क्या बनाया है आपने इसमें तो आपने नमक के बदले चीनी डाल दिया है  ऐसी सब्जी कौन खाएगा इससे तो अच्छा है कि हम ऐसे ही सो जाएं। आनंद ने भी सब्जी को चखा तो देखा कि उसने नमक के बदले चीनी डाल दिया है।



आनंद में सबसे बोला बेटा इसको रहने दो चलो कोई बात नहीं मैं बाहर से खाना आर्डर कर देता हूँ। कुछ देर के बाद आनंद बाहर से खाना खरीद के लाता है और बच्चे सब खा कर सो जाते हैं रात में रश्मि ने अपनी बड़ी बेटी को फोन करके पूछा कि आज तुम्हारे पापा ने खाने में क्या बनाया था बेटी ने हंस-हंसकर अपने पापा की सारी बातें रश्मि से बताइए।

रश्मि को तो मन कर रहा था कि अभी मायके से अपने ससुराल आ जाए लेकिन नहीं वह अपने पति आनंद को इस बार सबक सिखाना चाहती थी उसे बताना चाहती थी एक गृहणी घर में बैठकर क्या करती है वह जो करती है वह एक पुरुष कभी नहीं कर सकता है।  अगले दिन यह बात अच्छी थी संडे था इस वजह से बच्चों को स्कूल नहीं जाना था।

अगले दिन आनंद को समझ नहीं आ रहा था खाने में क्या बनाएं उसे इसके पहले कभी खाना बनाया भी नहीं था YouTube पर कहीं रेसिपी की वीडियो देख रहा था फिर भी उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या बनाए और क्या नहीं बनाया अंत में उसने डिसाइड किया कि सबसे आसान है खिचड़ी बनाना।

अपने बच्चों से आनंद बोला बच्चे आज मैं तुमको स्पेशल खिचड़ी बनाकर खिलाऊंगा जिसे खाकर अपनी उंगलियां चाटते रह जाओगे।

दोपहर में आनंद ने खिचड़ी बनाकर अपनी मां को भी खिलाने के लिए प्लेट में निकाल कर देने ले गया तब  उसकी मां बोली बेटा बैठो।

उसकी मां ने आनंद से बोली अब तुम्हें पता चला औरत पूरे दिन में क्या करती है 1 दिन में खिचड़ी बनाना शुरु कर दिया और जब यहां होती थी तो उस का बनाया हुआ खाना तुम्हें कोई पसंद ही नहीं आता था और तुम्हें चटपटा मसालेदार खाना चाहिए था।



अब तो यहां है ही नहीं तो क्यों नहीं खाते हो और हम सब को खिलाते हो। आनंद शर्मिंदा था  कुछ नहीं बोल रहा था। तभी आनंद कि मां ने बोला बेटा अभी भी समय है जाओ और बहू को मायके से लेकर आओ तभी आनंद के सारे बच्चे भी आ गए और उन्होंने बोला हां हां पापा चलो मम्मी को लेकर आते हैं।

आनंद बच्चों के साथ अपने ससुराल पहुंच गया और अपनी वाइफ रश्मि से माफी मांगा और उसको बोला। रश्मि जो तुम कर सकती हो वह मैं कभी भी नहीं कर सकता हूं तुम्हारे काम को सलाम है और आज से मैं तुम्हें कभी भी किसी बात के लिए शिकायत का मौका नहीं दूंगा।

रश्मि आनंद और उसके सारे बच्चे हंसी खुशी अपने घर आए जैसे ही घर पहुंचने लगे रश्मि की बड़ी बेटी ने कहा मम्मी आप वहीं पर रुको क्योंकि यह आपका दुबारा से गृह प्रवेश है तो आप ऐसे नहीं अंदर जाओगी रश्मि की बड़ी बेटी ने आरती उतार कर अंदर प्रवेश कराया।

उसके बाद  आनंद और रश्मि प्यार से रहने लगे उनके बीच में कभी भी किसी बात को लेकर मतभेद नहीं हुआ वह समझ गए थे कि सादा जीवन उच्च विचार ही असली जीवन है दिखावा करने से कुछ नहीं होता है।

Writer: © Mukesh Kumar

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