पिता की प्रार्थना

बहुत  पहले की बात है एक राजा अपने बेटे के साथ नौका विहार के लिए समुद्र के अंदर गए और दोनों नौका विहार करते करते समुद्र में काफी आगे बढ़ गए और वहां के बाद दोनों रास्ता भटक गए।  अब उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह कहां जाए राजा और उसके पुत्र दोनों काफी थक गए थे। उन्हें एक खाली टापू दिखाई दिया वहीं पर वह अपना नाव ले जाकर किनारा लगाया और टापू पर जाकर आराम करने लगे उस दिन के बाद आराम कर जब वापस आए तो उन्होंने देखा कि उनकी नाव ही नहीं है अब वापस कैसे जाएंगे। 

 यह सोचकर राजा और राजा का पुत्र दोनों परेशान हो गए राजा ने अपने पुत्र से कहा बेटा अब कोई सहारा नहीं दिख रहा है कि हम वापस अपने राज्य में जा पाए अब तो एक ही सहारा है कि हमें भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए अब तो वही हमारी मदद करेंगे। 

प्रार्थना  करते हुए राजा के पुत्र ने भगवान से कहा हे भगवान इस निर्जन टापू पर आप पेड़ पौधे क्यों नहीं उगा देते हो। इसके फल से हम अपनी भूख मिटा सके भगवान  ने राजा के पुत्र की प्रार्थना सुन ली और उसी समय टापू हरा भरा हो गया और सभी पेड़ों पर फल भी लग गए। 

 राजा के पुत्र ने देखा,  यह चमत्कार कैसे हो गया पेड़ से फल तोड़ा और फल खाकर अपनी भूख को मिटाया उसके बाद राजा के पुत्र ने सोचा अगर यहां पर एक सुंदर स्त्री मिल जाए तो उसके साथ शादी करके यही पर मैं अपना परिवार बसा लूंगा। 

भगवान ने उसकी प्रार्थना तत्काल स्वीकार कर ली और उसी समय एक सुंदर स्त्री राजा के पुत्र को दिखाई दे दिया राजा का पुत्र ने सोचा यहां पर तो जो भी मैं सोच रहा हूं और सब कुछ उसी समय हो जा रहा है।  अच्छा यही है कि भगवान से ये कहूँ यहां से मुझे निकलने का रास्ता बताएं और मैं अपने राज्य में चला जाऊं। 

तभी उसने देखा किनारे पर एक नाव आकार खड़ी हो गई है



राजा का पुत्र नाव में सवार होकर वहां से जाने लगा तभी आकाश मार्ग से एक आकाशवाणी हुई और उसमें आवाज आ रहा था बेटा अकेले जा रहे हो क्या अपने पिता को साथ नहीं ले जाओगे।

 राजा के पुत्र ने कहा अरे छोड़िए ना वह बुड्ढे हो गए हैं   क्या करेंगे वो जाकर और फिर उनको ले जाने से फायदा ही क्या है मैंने जो जो भगवान से प्रार्थना किया सब कुछ मुझे मिला।  लेकिन उनके प्रार्थना का कोई फल नहीं मिला ऐसे पापी आदमी को राज्य में ले जाने से क्या फायदा। 

 तब आकाशवाणी पूछता है क्या तुम्हें पता भी है तुम्हारे पिता ने प्रार्थना में क्या मांगा है राजा का पुत्र बोला नहीं तो आकाशवाणी बोला तुम्हारे पिता ने  यही मांगा है मेरा बेटा तुमसे जो जो मांगे उसको दे देना।

 राजा के पुत्र को अपने आप पर बहुत पछतावा हुआ वह अपने पिता को कितना गलत समझ रहा था।  उसने तुरंत पिता को अपने साथ लेकर अपने राज्य वापस लौट आया। 

 माता पिता हमारे लिए बहुत कुछ करते हैं आज हम जो कुछ भी हैं उन्हीं की मेहनत और प्रार्थना के बल पर हैं फिर भी कई लोगों को ऐसा लगता है कि हमारे माता-पिता ने हमारे लिए कुछ नहीं किया लेकिन भूल जाते हैं कि आप जिस जगह पर खड़े हो उनकी मेहनत का ही नतीजा है।  प्लीज आप अपनी मां-बाप की इज्जत करो और उनको कभी भी मत रुलाओ । 

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