परोपकार का हीरा

एक  विख्यात  प्राइवेट स्कूल में  जब वहां के सारे बच्चे अपनी 12वीं पास करके घर आने को तैयार हो गए तो स्कूल प्रबंधन ने उन सभी लड़कों को एक फिजिकल टेस्ट में भाग लेने के लिए कहा।  स्कूल का कहना था कि जो इस टेस्ट में पास हो जाएगा सही मायने में वही इस स्कूल से सही तरह से पास हुआ माना जाएगा क्योंकि आपके नंबर चाहे कितने भी आ जाए लेकिन आप इस जिंदगी के परीक्षा में पास नहीं हुए तो सोच लीजिए कि आप अपनी जिंदगी के परीक्षा में फेल हो गए और आपको अपने जीवन मे  सफल होने की संभावना बहुत कम है।

स्कूल प्रबंधन ने सारे लड़कों से कहा कि आपको 1 किलो मीटर का दौड़ लगानी होगी और इस रास्ते में आपको बहुत सारी बाधाएं मिलेगी कहीं पर बीच में पानी वाला रास्ता मिलेगा तो कहीं पर उबड़ खाबड़ रास्ते, लेकिन जो विद्यार्थी सबसे पहले यहां पहुंच जाएगा उसे ही हम इस टेस्ट में पास मानेंगे।

सभी विद्यार्थी एक लाइन में खड़े हो गए थे और अंपायर के 10 बोलने का इंतजार कर रहे थे जैसे ही अंपायर ने 10 बोला सारे लड़के एक साथ दौड़ गए कोई तेज दौड़ रहा था तो कोई धीमी गति से दौड़ रहा था।  दौड़ के आखिरी पॉइंट से पहले उन्होंने देखा कि रास्ता पूरी तरह से बंद है और वहां से जाने के लिए एक पतला सा रास्ता है जिसमें बहुत अंधेरा है। और ऐसा लग रहा था कि उसमें नुकीले पत्थर भी रखे गए हैं इसलिए अब सारे लड़के सोच में पड़ गए इस रास्ते को कैसे पार किया जाए।



लेकिन जैसे तैसे करके सारे लड़कों ने गुफा को पार करके जो दौड़ की आखिरी सीमा था वहां पर पहुंच गए वहां पर स्कूल प्रबंधन के जो जज थे वहां मौजूद थे उन्होंने पूछा कि कुछ देर पहले सब आगे पीछे दौड़ रहे थे लेकिन जैसे ही अंधेरी गुफा का रास्ता आया सारे लड़के वहां पर रुक क्यों गए।  दो लड़कों ने जवाब दिया कि हम जैसे ही दौड़ लगाकर गुफा के पास पहुंचे वहां देखें कि वह बिल्कुल अंधेरा है और उसके अंदर नुकीले पत्थर रखे हुए अब हम सब सोचने लगे कि कैसे इस को पार किया जाए।

तो फिर स्कूल के जज नहीं उनसे पूछा कि आप लोग इस गुफा को पार कैसे किया तो लड़कों ने जवाब दिया कि इस गुफा में पार करने के लिए सब की रणनीति अलग अलग थी कोई एक दूसरे को धक्का देकर आगे निकलने में लगा हुआ था तो कोई संभल संभल कर आगे बढ़ रहा था तो कुछ तो ऐसे भी थे जो पैरों में चुभ रहे पत्थरों को उठाकर अपनी जेब में रख ले रहे थे ताकि बाद में आने वाले लोगों को कोई कष्ट न सहनी पड़े सब लड़कों ने अलग-अलग समय में दौड़ को पूरा किया।

स्कूल के निर्णय  लेने वाले जज ने उन लोगों को बुलाया जिन्होंने अपने जेब में पत्थर को उठाकर रख लिया था।  और उन्होंने बोला कि अपने जेब से उस पत्थर को निकालो लड़कों ने जो अपने जेब में पत्थर रख लिए थे वह निकालकर स्कूल प्रबंधन को देने लगे।   स्कूल प्रबंधन ने लड़कों को बताया कि यह असल में पत्थर नहीं बल्कि कीमती हीरा है और यह हीरा तुम अपने साथ ले जा सकते हो सभी लड़के देखकर आश्चर्य में पड़ गए।



स्कूल प्रबंधन की तरफ से भी जवाब दिया गया कि हम जानते हैं कि आप लोग इन हीरो को देखकर बहुत ही आश्चर्य में पड़ गए होंगे। इसे हमने ही गुफा में डाला था और यह दूसरों के विषय में सोचने वाले विद्यार्थियों के लिए स्कूल की तरफ से इनाम के रूप में दिया जा रहा है।

विद्यार्थियों याद रखिए  यह आपके जीवन की आने वाली  जिंदगी को दर्शाती है जहां हर कोई कुछ न कुछ पाने की  चाह में दौड़ लगा रहा है, पर आखिर में वही विद्यार्थी सफल होता है जो हमेशा अपने जीवन में दूसरों के बारे में सोचता है और उनको जब भी मौका मिले भला करने से पीछे नहीं हटता है।

अतः यहां से जाने के बाद  इस बात को पूरी तरह से अपने दिमाग में भर लीजिए कि आप अपने जीवन में अगर सफल होना चाहते हैं तो जब भी आपको मौका मिले किसी दूसरे की भलाई करने से ना चुके अंत में जो आपके पास बचेगी वही आपकी अपनी जमापूंजी है जिसे आप इस दुनिया को छोड़ के जाने के बाद भी लोगों के दिलों में छोड़ जाएंगे।

 

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