नौटंकी वाली- पिंकी नारंग

अगर उसका बस चलता तो वो कभी इस बेदिल शहर मे वापिस नहीं आती |कहने को तो बनारस उसका अपना था, पर ये अपनापन तो बरसो पहले किसी ने उससे छीन लिया था |तभी तो वो इस शहर को पराया करके, अपनी यादो तक को यहाँ छोड़ कर दिल्ली बस गयी थी |

पर जब डायरेक्ट नलिन ने कहा सोशल कॉज के लिए पैसे इकट्ठे करने है, और स्पोंसर चाहते है, प्ले बनारस मे हो, तो उसे आना ही पड़ा |फिर भी सारा रास्ता वो यही सोचती रही, ये नामुराद करोना भी, ना जाने क्या क्या दिखाएगा, एक बर्बाद से क्या आबाद कराएगा |

बीस साल पहले वो वाराणसी का जाना पहचाना नाम थी| वो थिएटर करती थी, उसके नाम से शो के टिकट बिकते थे, लाखो दिल उसके नाम से धड़कते, पर उसके दिल के तार तो सिर्फ वीरेन के नाम से ही बजते |

वीरेन और वो एक दूसरे से बेपनाह मोहब्बत करते, दोनों की शामे अक्सर अस्सी घाट पर गंगा आरती, या कभी काशी विश्वनाथ मंदिर मे लोगो से छुपते हुए बीतती |वीरेन बनारस के मशहूर बिस्सनेस मैन का बेटा था और वो थिएटर का बड़ा नाम |

दोनों का इस तरह मिलना जल्द ही शहर मे चर्चा का विषय बन गया |कुछ दिनों से वीरेन नम्रता पर थिएटर छोड़ने का दबाव डाल रहा था |आज भी नम्रता को वो मनहूस दिन याद है, जब वीरेन उसके प्ले के खत्म होने का इंतजार बड़ी बेसब्री से कर रहा था |प्ले खत्म होते ही

, वो उसके ड्रेसिंग रूम मे आ कर बड़े गुस्से से कहने लगा “आज तुम्हे फैसला करना ही पड़ेगा मै या थिएटर? पापा भी कह रहे है, उन्हे खानदान के लिए बहु चाहिए, कोई खेल तमाशे करने वाली नौटंकी वाली नहीं |

“अपनी कला का ऐसा अपमान होता देख नम्रता को गुस्सा तो बहोत आया फिर भी वो अपनी आवाज़ को सयंत करते हुए बोली “तुम जानते हो मै तुमसे कितना प्यार करती हूँ, तुम अगर मेरी सांसे हो तो अभिनय मेरी रूह है, किसी एक के बिना भी मेरा जीना नामुमकिन है |”लेकिन फैसला तो तुम्हे करना ही होगा, जो भी तुम्हारा फैसला हो वो जल्दी बता देना,

ये कहते हुए वीरेन तेजी से ड्रेसिंग रूम से बाहर निकल गया |वो बहुत देर तक वैसे ही बैठी आंसू बहाती रही |उसके बाद ना कभी वीरेन का फ़ोन आया ना ही नम्रता ने करने की कोशिश की, वैसे भी नम्रता का मानना था, शर्तों से तो सिर्फ जुआ होता है प्यार नहीं |

कुछ दिनों बाद खबर मिली वीरेन ने किसी अमीर बाप की बेटी से शादी कर ली |जो सिरा उस शहर से उलझाहुआ था, वीरेन की शादी से वो भी सुलझ गया था |अब कुछ बाकी रहा नहीं वहां इसलिए नम्रता बनारस छोड़ दिल्ली आ गयी |बेहतरीन अभिनेत्रीतो वो थी ही, जल्द ही मंडी हाउस मे होने वाले प्ले मे उसके नाम और अभिनय का डंका बजने लगा |

पुरानी यादों को दिल की फिर उसी क़ब्र मे दफना कर प्ले की रिहर्सलकरने लगी, प्ले उम्मीदों से भी अच्छा हुआ था |शायद उसके बनारस ने अपनी नम्रता को पहचान लिया था, सबका बहुत प्यार मिला |

प्ले ख़तम होते ही प्ले के डायरेक्ट नलिन के साथ एक लड़का उसके पास आया, नलिन उससे मिलवाते उससे पहले ही उसने बोलना शुरू कर दिया, मैम आई ऍम अ ग्रेट फैन ऑफ़ योर्स, क्या अभिनय करती है आप, गॉड स्वेअर आप जितनी खूबसूरत है उतनी ही……

नम्रता मंत्र मुग्धउसे देखती जा रही थी उसका मासूम चेहरा उसे किसी की याद दिला रहा था |मै भी दिल्ली मे N.S.D का स्टूडेंट हूँ और आपका बड़ा फैन भी, आपके सब प्ले देखता हूँ |

वैसे मेरा परिवार पहले मेरे इस पैशन के खिलाफ था पर मैंने उन्हें मना लिया है, तभी तो मेरे पापा इस प्ले को स्पोंसर भी कर रहे है |वो मेरे पापा भी यही आ रहे है, आपको मिलवाता हूँ उनसे, सामने से आते वीरेने को देख नम्रता के दिल की धड़कने तेज हो गयी थी,

जिस वीरेन ने नौटंकी वाली कह कर उसे अपनी ज़िन्दगी से बाहर कर दिया था, एक नाजुक से पौधे को कुचल दिया था, आज उसका अपना खून वही नौटंकी करते हुए अमरबेल की तरह उसके पूरे वजूद से लिपटे हुए वो देख रही थी |

मन ही मन हंसते हुए सोच रही थी, अब इसके सपनो से कैसे पीछा छुडायेगा? वीरेन भी सिर झुका कर नीचे ही देख रहा था, उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी नम्रता से आंख मिलाने की |

पिंकी नारंग

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