मतलब – माता प्रसाद दुबे

सीमा बहुत खुश थी..उसके जीवन का सपना आज साकार हो गया था। रवि ने दिन रात मेहनत करके उसे पाश कालोनी में शानदार घर की मालकिन बना दिया था..वह खुशी से झूम रही थी। उसके और रवि के दोनों बच्चे प्रशान्त और परी अपने नए घर में आकर बहुत खुश थे। घर के सामने खुबसूरत ग्राउंड हरियाली से परिपूर्ण था। उनके बगल वाले घर में रहने वाला परिवार के लोग काफी सभ्य और अच्छे स्वभाव के लोग थे। एक बुजुर्ग मां बेटा बहू और उनकी घरेलू नौकरानी जो उन्हीं के साथ रहती थी.. उनके सिवा और कोई नहीं था..उस परिवार में..रहन-सहन से वे लोग काफी धनवान लगते थे।

सुबह के दस बज रहे थे.. रवि आफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था।घर से बाहर निकलते ही उसकी नज़र बगल वाले घर के सामने देखा उस घर में रहने वाली बुजुर्ग महिला की तबीयत बिगड़ी हुई प्रतीत हो रही थी। उनका बेटा और बहू उन्हें सहारा देकर गाड़ी में बैठा रहें थे। रवि उनके पास जाकर बोला “क्या हुआ माताजी! को?” कार में उस बुजुर्ग महिला को बैठाते हुए उनका बेटा बोला “मम्मी! को अस्थमा की प्राब्लम है?”वह चिन्तित होते हुए बोला।”मेरे लायक कोई सेवा हों तो आप निसंकोच कहिएगा?”रवि सहानभूति प्रकट करते हुए बोला।”आपका धन्यवाद..भाई साहब.. आखिर आप हमारे पड़ोसी है..आप की जरूरत होगी तो हम आपको जरुर बताएंगे?”कहते हुए वह महिला उस बुजुर्ग महिला को पकड़कर गाड़ी में बैठ गई। रवि कुछ देर तक गाड़ी को जातें हुए देखता रहा..उसके मन में अपने पड़ोसी परिवार का अपनी मां के प्रति स्नेह भाव देखकर उनके प्रति आदर भाव उत्पन्न कर रहा था।




शाम को घर आकर रवि ने सीमा को अपने पड़ोस में रहने वाली बुजुर्ग महिला की तबीयत खराब होने के बारे में बताया “माता जी तो वापस आ गई है..मैंने देखा था..उन्हें आते हुए?”सीमा रवि से बोली।”सीमा! हमें माता जी का हाल जानने के लिए वहां जाना चाहिए?”रवि सीमा की ओर देखते हुए बोला।”हा मैं भी यही सोच रही थी?”सीमा रवि की बात का समर्थन करते हुए बोली।”ठीक है..थोड़ी देर बाद हम उनके घर चलते हैं?”रवि सोफे पर बैठते हुए बोला। सीमा कमरे के अंदर चली गई..लगभग एक घंटे बाद वे दोनों अपने पड़ोसी के घर जाने के लिए बाहर निकल पड़े।

घर की डोर बेल बजाकर रवि और सीमा दरवाजा खुलने का इंतजार कर रहे थे..कुछ देर बाद उनके घर में रहने वाली नौकरानी ने आकर दरवाज़ा खोला और उन्हें आदरपूर्वक अंदर आने के लिए बोली। सामने कमरे में बुजुर्ग माता जी बेड पर लेटी हुई थी। उनका बेटा व बहू वहीं पर बैठे हुए थे।”नमस्ते माता जी! सीमा और रवि ने एक साथ बेड पर लेटी हुई माता जी का अभिनंदन किया। “आप लोग बैठिए?”उनका बेटा रवि और सीमा को बैठने का आग्रह करते हुए बोला। उन लोगो ने रवि और सीमा को अपना परिचय दिया.. बुजुर्ग माता जी..जिनका नाम गायत्री देवी था.. उन्हीं के नाम पर उनके घर का नाम गायत्री निवास था.. उनका एक ही बेटा था जिसका नाम विकास था..उसकी पत्नी का नाम प्रिया था.. विकास और प्रिया से बात करते हुए एक घंटे से ज्यादा का समय बीत चुका था..उनकी बातों से यह प्रतीत हो रहा था कि वे पति-पत्नी अपनी बुजुर्ग मां गायत्री देवी के प्रति समर्पित है.. गायत्री देवी चुपचाप बेंड पर लेटी हुई थी.. सीमा और रवि ने वापस आते वक्त उनके चरणों को स्पर्श किया.. गायत्री देवी ने उन दोनों को आशीर्वाद देकर विदा किया..उनकी नौकरानी जो लगभग 50, वर्ष की अधेड़ महिला थी..वह खामोश ही रही सीमा और रवि के सामने वह कुछ भी नहीं बोली।




सीमा और रवि की नज़रों में विकास और प्रिया के प्रति काफी सम्मान था..जो कि अपना करोड़ों का काम से ज्यादा अपनी बुजुर्ग मां की देखभाल को महत्व देते थे..वह यह सोचते थे कि ऐसी औलाद हर बुजुर्ग मां को मिले जिन्हें अपनी मां का हर पल ख्याल रहता है..वे उसे कभी अकेला नहीं छोड़ते हरदम उसकी सेवा भाव में लगे रहते थे।

एक महीने बाद विकास और प्रिया कही बाहर जा रहें थे।घर पर गायत्री देवी और उनकी नौकरानी थी.. जातें वक्त विकास और प्रिया रवि और सीमा से मिलकर गये थे.. कुछ ही दिनों में उनके काफी घनिष्ठ संबंध हों गये थे.. रवि और सीमा ने गायत्री देवी को उनकी गैरमौजूदगी में हर सम्भव मदद करने का आश्वासन दिया था। धीरे-धीरे दो महीने से ज्यादा का समय बीत चुका था.. विकास और प्रिया घर वापस नहीं आए वे फोन करके नौकरानी से गायत्री देवी का हाल चाल पूछ लेते थे।

रात के दस बज रहे थे..रवि खाना खाकर सोने के लिए बिस्तर पर लेटा ही था कि डोर बेल बजने लगी”कौन है?”सीमा दरवाजा खोलते हुए बोली।”मेमसाब! माता जी की सांस बहुत फूल रही है..उनकी तबीयत बहुत खराब हो रही है..साहब को बुलाइए?”कहकर वह रोने लगी।”तुम परेशान मत हो..हम लोग चलते हैं.. चिंता मत करो?”सीमा नौकरानी को दिलासा देते हुए बोली।”सुनिए जल्दी चलिए.. माता जी की तबीयत खराब हो गई है?”सीमा तेजी से कमरे में प्रवेश करते हुए बोली।”क्या हुआ माताजी! को?”रवि उठकर बाहर की ओर निकलते हुए बोला। प्रशांत और परी सो रहे थे..उन्हें सोता हुआ छोड़कर रवि और सीमा गायत्री देवी के घर की ओर चल दिए।

गायत्री देवी की हालत खराब होती जा रही थी। रवि बिना देर किए सीमा को घर पर छोड़कर नौकरानी के साथ गायत्री देवी को गाड़ी में बैठाकर हास्पिटल की ओर रवाना हो गया। गायत्री देवी अस्थमा की मरीज़ थी। लगभग चार घंटे बाद आक्सीजन सपोर्ट में रहने और उपचार होने के बाद उनकी हालत सामान्य हो गई थी। एक दिन हास्पिटल में रहने के बाद दूसरे दिन वह अपने घर वापस आ गई। कुछ दिन उन्हें काफी सहूलियत और देखरेख की हिदायत डाक्टर ने रवि को दी थी।




नौकरानी ने फोन द्वारा विकास और प्रिया को गायत्री देवी की तबियत और पूरी घटना की जानकारी दिया.. गायत्री देवी की हास्पिटल से छुट्टी और घर आ जाने की बात सुनकर विकास और प्रिया अपनी मजबूरी बताकर घर नहीं आए।

एक हफ्ता बीत चुके था..गायत्री देवी की तबियत बिल्कुल सामान्य हो चुकी थी। “कैसी है माता जी!आपकी तबियत?”सीमा गायत्री देवी के पास बैठते हुए बोली।”ठीक है बेटी! गायत्री देवी सीमा का हाथ पकड़ते हुए बोली। “भैया!और भाभी!कब आ रहे हैं?”सीमा गायत्री देवी की ओर देखते हुए बोली।”बेटी! तुम लोग कुछ महीने पहले ही यहां आए हों..तुम्हें कुछ नहीं पता है?”गायत्री देवी उदास होते हुए बोली।”क्या हुआ माताजी! ऐसी क्या बात है?”सीमा हैरान होते हुए बोली।

“बेटी वे लोग यहां रहते ही कहा है..वे तो अपने मतलब और स्वार्थ सिद्धि के लिए ही पिछले छः महीने से यहां रह रहे थे.. एक दो महीने में आ जाते एक दिन या कुछ घंटे के लिए?”कहते हुए गायत्री देवी की आंखें नम हो गई।”मैं कुछ समझी नहीं माता जी!आप क्या कहना चाहती है?”सीमा बेचैन होते हुए बोली।” बेटी! तुम और रवि जीवन में हमेशा खुश रहो..तुम लोगों की वजह से ही मैं आज जीवित हूं..अन्यथा कुछ भी हो जाता किसे परवाह है..सिर्फ मेरी सेवा करने वाली मालती के सिवा?”गायत्री देवी नौकरानी (मालती)की ओर इशारा करते हुए बोली।”ऐसी क्या बात है.. माता जी!जो आप इतना दुखी हो रही है?”सीमा अपने मन को नियंत्रित करते हुए बोली।

“बेटी! विकास के पिताजी! उच्च पद पर कार्यरत अधिकारी थे.. जीवित रहते हुए उन्होंने अपनी करोड़ों की पैतृक जमीन..शहर में करोड़ों की संपत्ति अर्जित की थी..वह सब मेरे नाम पर ही थी..विकास उनके जीवित रहते हुए भी अपनी पत्नी प्रिया के साथ दिल्ली में रहता था..जिसकी वजह से उसके पिताजी उससे नाराज़ रहते थे.. विकास को अपने मां बाप से ज्यादा प्रिया की इच्छा पूर्ति में ही लगा रहता था..जिसकी वजह से विकास के पिताजी ने अपनी सारी सम्पत्ति पैसा सब मेरे नाम पर कर दिया था?”गायत्री बोलते-बोलते चुप हो गई।

“फिर क्या हुआ माताजी!”सीमा उत्सुकता से बोली।”बेटी! विकास के पिताजी प्रिया और उसके परिवार के लोग जो सिर्फ विकास की दौलत सम्पत्ति पर नज़र गड़ाए हुए थे..उन्होंने हमें बिना बताए ही विकास और प्रिया की कोर्ट में शादी करा दी..जिससे हमें गहरा आघात पहुंचा था.. कुछ दिन बाद विकास के पापा इस दुनिया को छोड़कर चले गए?”कहते हुए गायत्री देवी की आंखों से आंसू टपकने लगें।”माता जी!आप रोइए नहीं.. फिर कभी बताइएगा..आप आराम करें?”सीमा गायत्री देवी को चुप कराते हुए बोली।”नहीं बेटी! मैं ठीक हूं?”गायत्री देवी सीमा से बोली।




“फिर विकास भैया! और भाभी आपके पास आ गये?”सीमा सवाल करते हुए बोली।”हा आ गये.. पैसा जमीन जो भी मेरे नाम था.. उसे समेटने के लिए..मुझे क्या जरूरत है बेटी! मुझे तो इतनी पेंशन मिलती है जिसमें मैं और मालती आराम से रह सकतें हैं?”गायत्री देवी गहरी सांस लेते हुए बोली।”माता जी! हमने तो भैया भाभी को आपकी सेवा करते ही देखा था.. इसलिए हम कुछ समझ ही नहीं पाए?”सीमा चिन्तित होते हुए बोली।”बेटी!यह सेवा भाव नहीं था..जो तुम लोगों ने देखा..यह सिर्फ एक पाखंड झूठा दिखावा था.. जिससे कि कोई इनका असली चेहरा न देख सके..अपने मतलब को पूरा करने के लिए नकली चेहरा लगाना और दिखावा करके ही बुजुर्ग मां से करोड़ों की सम्पत्ति धन दौलत ज़ेवर मिल सकतें थे..

वे लोग वही कर रहे थे?”कहकर गायत्री देवी खामोश हो गई।”आप परेशान न होइए माता जी!”हम लोग हैं न.. मैं भी आपकी बेटी जैसी हूं?”कहते हुए सीमा भावुक हो गईं।”बेटी! मुझे धन दौलत सम्पत्ति की क्या जरूरत है..वह तो विकास को ही मिलना था.. मेरे मरने के बाद.. लेकिन मैंने उसे अपने जीवित रहते ही सब कुछ देकर मां का फर्ज अदा कर दिया है..मेरी बदकिस्मती है कि मेरा बेटा बेटे होने का फर्ज नहीं निभा सकता?

“कहते हुए गायत्री देवी की आंखें नम होने लगी।”अच्छा माता जी!”मैं चलती हूं..आप हमारे रहते हुए कभी उदास मत होना?”सीमा गायत्री देवी के गले से लिपट कर बोली।”ठीक है बेटी! नहीं रोऊंगी..रोने से क्या होगा..अपना बेटा बहू तो मेरे मरने का ही इंतजार कर रहे होंगे.. जिससे यह घर भी बेच कर मोटी रकम हासिल हो जाएगी.. और तुम मेरे जीवन की सलामती चाहती हों..जाओ बेटी! बच्चे और रवि तुम्हारी राह देख रहे होंगे.. हमेशा खुश रहो?”गायत्री देवी के चेहरे पर मुस्कान छलक रही थी।

“सीमा! बड़ी देर लगा दी माता जी के पास?”रवि हैरान होते हुए बोला। सीमा रवि को गायत्री देवी की दुख भरी कहानी सुनाते हुए रोने लगी।”सीमा! आजकल किसी पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता..जो दिखता है..वह होता नहीं है.. और जो होता है..वह दिखता नहीं है.. सिर्फ दुनिया को धोखा देने के लिए अपने बुजुर्गो की सेवा करने का ढोंग और दिखावा करते हैं लोग.. एक कहावत है..कि हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती?”रवि गुस्साते हुए बोला।”सही कहा आपने..हम जिन्हें सोना समझ रहे थे..वे तो अपनी मां से मतलब निकालकर भी उनके साथी नहीं बन सकें..वह तो पत्थर कहलाने लायक भी नहीं है?”सीमा उदास होते हुए बोली। “मतलब का ही जमाना है सीमा!चलो रात बहुत हो गई है..सो जातें हैं..कल माता जी!की दवाई भी लानी है? कहकर रवि चुपचाप लेट गया। लेकिन उन दोनों की आंखों को बार-बार विकास और प्रिया का मतलबी चेहरा दिखाई पड़ रहा था।

माता प्रसाद दुबे

मौलिक स्वरचित अप्रकाशित कहानी लखनऊ

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