दिखावा – मधु वशिष्ठ

जब दोनों ड्राइंग रूम में घुसे  तो उन्होंने शानदार करीने से सजा हुआ सोफा, बड़ा सा म्यूजिक सिस्टम वगैरह-वगैरह इत्यादि रखे हुए देखे। उस सरकारी मकान को भी उन लोगों ने बड़ी शिद्दत से सजाया गया था। पूरी रसोई भी आधुनिक साज सामानों से घिरी हुई थी। रीना खुशी खुशी नीता और राघव को अपना घर दिखा रही थी। नीता ने  अपने गहने भी इस तरह से पहने हुए थे मानो वह कोई गहनों की दुकान में सजा हुआ शो पीस हो।

राजेश अपने ही घर में कुछ सिमटा सा पीछे सोफे पर बैठा था। साफ दिखाई दे रहा था कि उसे रीना का इस तरह से घर को दिखाना या ऐसा व्यवहार बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था।        राजेश और राघव दोनों म्युनिसिपालिटी के दफ्तर में क्लर्क की नौकरी करते थे और सरकारी मकान में रहते थे। यूं भी वह बचपन के ही दोस्त थे और उन दोनों का घर राजस्थान के एक गांव में था। दोनों की एक साथ नियुक्ति होने के बाद वह दिल्ली शिफ्ट हो गए थे और उन्हें सरकारी आवास भी मिल गया था। 

राघव की शादी के बाद राजेश  अक्सर शाम को अपना टिफिन ना मंगवा कर नीता के हाथ का बना खाना खाने के लिए उसके घर चला आता था। नीता भाभी का सरल व्यवहार और स्वभाव उसे बहुत अच्छा लगता था। शादी के बाद जब राजेश भी रीना के साथ खाना खाने के लिए नीता के घर आया तो नीता ने दोनों के लिए बहुत से पकवान भी बनाए थे जो कि दोनों को बहुत अच्छे लगे और उन्होंने भी  अगले इतवार को अपने घर आकर खाने का न्योता दिया।




दफ्तर में राजेश ने राघव से हजार रुपए 2 दिन पहले ही यह कहकर उधार लिए थे कि सारे पैसे शादी में खर्च हो गए हैं महीने के 5 दिन और चलाने हैं। हालांकि हंसते हुए राघव ने उससे पूछा भी था कि अभी से ही तुम इतना खर्च करोगे तो कैसे चलेगा? लेकिन राघव को लग भी रहा था कि शादी में खर्चा हो ही गया होगा और इसे जरूरत ही होगी वरना अब से पहले तो ऐसा मौका कभी आया नहीं।

अगले इतवार को जब दोनों राजेश के घर पहुंचे तो राघव को अंदाजा हो रहा था कि राजेश के पैसे कहां जा रहे होंगे। लगातार चलता हुआ ए.सी, बाथरूम, रसोई, हर जगह लगे हुए गीजर, माइक्रोवेव वगैरह, रीना के शाही शौक, अपनी एक अलग ही कहानी कह रहे थे।

रीना ने उन दोनों के लिए चाय भी बहुत अच्छी क्रॉकरी में सर्व की थी। साथ में बहुत सा सामान भी रखा। साथ साथ वह यह भी बताए जा रही थी कि उसके माता पिता कितने अमीर हैं और उन्होंने नीता को यह सारा सामान गिफ्ट किया है। हालांकि राघव उस समय सिर्फ उसके गिफ्ट करे हुए सामान की मेंटेनेंस में राजेश का कितना खर्चा आ सकता है यह अनुमान लगा रहा था।

चाय पीने के बाद जब रीना ने कहा कि खाना खाने के लिए हम चारों लोग इकट्ठे ही गाड़ी में होटल में चलेंगे। मेरे पापा ने मुझे गाड़ी भी गिफ्ट की है। उसका मकसद गाड़ी को भी दिखाना था, लेकिन ऐसा सुनकर राजेश के चेहरे पर आए हुए भावों को देखकर राघव मुस्कुरा उठा और बोला भाभी जी मैं तो सिर्फ आप दोनों से प्रॉमिस करने के कारण आया हूं वरना मेरे तो पेट में रात भर बहुत दर्द रहा है और इस कारण मेरी कुछ खाने की इच्छा ही नहीं है। ऐसा कहने के बाद उसने नीता को भी चलने का इशारा किया और हाथ मिलाते हुए राजेश को हाथ पकड़ कर नई शादी की मुबारकबाद के साथ मानो सांत्वना भी दी हो। नीता हैरान सी राघव की ओर देखती हुई घर से बाहर निकल आई।

रास्ते में अपने स्कूटर पर आते हुए राघव ने नीता को बताया राजेश के पास में तो पैसे हैं ही नहीं। वह जो मैंने इसे उधार रुपए दिए थे उसमें से भी कितने पैसे तो उसने चाय के साथ के नाश्ते में ही उसके खर्च करवा दिया होंगे। शुक्र है तुम्हें इतना दिखावा नहीं आता। वरना तो मेरा भी क्या हाल होता। अब तुम कहो, कहां चलें? कहो तो हम सामने पार्क में घूम भी आते हैं और वहां ही सामने से एक-एक मसाला डोसा भी खा लेंगे। दोनों हंस पड़े।

आखिर दिखावा भी तो एक रोग ही है।                   

   मधु वशिष्ठ फरीदाबाद हरियाणा

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