रश्मि के पापा सरकारी अस्पताल में डॉक्टर हैं और मम्मी एक प्रतिष्ठित स्कूल में टीचर,,,
पापा हर रिश्ते के लिए बहुत ही समर्पित स्वभाव वाले व्यक्ति हैं,,चाहे माँ-बाप के लिए किसी वस्तु की आवश्यकता हो,,या बहनों के यहां कोथली पहुँचानी हो,,,या बच्चों को घुमाने ले जाना हो,,
पापा को कभी किसी काम के लिए कहना ही नहीं पड़ा,,सबके लिए सब कुछ समय से पहले ही हाज़िर हो जाता,,
मम्मी बहुत विदुषी और महत्वाकांक्षी महिला हैं,,वो खुद को पापा के लिए एक आर्थिक संबल के रूप में देखतीं हैं,,
स्कूल के बाद tution,,,पठन-पाठन का जुनून है उन्हें,,कोई शौक नहीं,,बस एक ही शौक है पैसा कमा कर लाना और पति के हाथ में रख देना,,
फिर वो पलट कर भी नहीं देखतीं कि वो उस पैसे का क्या कर रहे हैं,,,कहां इन्वेस्ट कर रहे हैं,,इतना विश्वास और प्यार था अपने पति पर उन्हें,,
होता भी क्यों नहीं,,उनमें न तो कोई व्यसन था और न ही फिजूलखर्ची की आदत,,बहुत खुशहाल जीवन था दोनों का,,दो बच्चे,, बेटा बैंक मैनेजर और बेटी मल्टीनेशनल कंपनी में इन्जीनियर,,,
परंतु एक दिन इन खुशियों को किसी की नज़र लग गई,,शाम को दोनों पति-पत्नि घूमकर वापस आ रहे थे कि सड़क पार करते हुए एक बाइक सवार ने उन्हें टक्कर मार दी,,
टक्कर इतनी जोरदार थी कि डॉक्टर साहब उछलकर बहुत दूर जा गिरे,,पत्नी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था,,वो जोर-जोर से मदद की गुहार लगा रही थीं,,,
एक व्यक्ति उनकी मदद के लिए आगे आया,,पर तब तक देर हो चुकी थी,,उनकी आंखों के सामने ही उनकी दुनियां उजड़ गई थी,,
बेटा बार-बार पूछ रहा था,,मम्मी ,,,पैसे कहां रखे हैं,,
पता नहीं,,
कितना कैश है घर में,,
पता नहीं,,
वो तो निस्पृह भाव से निश्चिंत हो कर जी रहीं थीं,,क्योंकि उनके पति हमेशा यही कहते रहे,,मैं हूँ ना,,तुम्हें चिंता करने की क्या जरूरत है,,
बच्चों को भी कुछ पता नहीं था क्यों कि सारे काम वो खुद ही करते थे,,,एटीएम का पासवर्ड,,,EMI,,,गैस का नंबर,,रजिस्ट्री,,बिजली बिल,,,बीमा,,इन्वेस्टमेंट,,की जानकारी न होने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा उन्हें,,
वो कभी कुछ बताने की कोशिश भी करते,,
तो वह कह देतीं,,भाई,,मुझे इन झमेलों से दूर ही रखो,,आप जानो आपका कम जाने,,हम तो ऐसे ही भले,,
घर में यदि एक भी सदस्य को महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जानकारी होती ,,,या उन्होंने एक डायरी बनाई होती ,, जिस में जरूरी नम्बर और जानकारी लिख कर रखे होते तो ऐसी दिक्कतों का सामना न करना पड़ता
कमलेश राणा
ग्वालियर