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मां मान तो पत्नी अभिमान – रोनिता कुंडू

घर पूरा लोगों के गहमा गहमी से चहक रहा था… हर कोई ऋषि को बधाई दे रहा था… किसी किसी ने आकर सविता जी को भी बधाई दी… बधाई हो बहन जी..! यह सब आपके मेहनत का ही नतीजा है, जो ऋषि बेटा इतनी कम उम्र में बुलंदियों की सीढ़ियां चढ़ रहा है..

फिर ऋषि की बहन सुनैना अपने पति राघव के साथ आती है और अपनी मां को गले लगा कर कहती है… मां..! आज तो मैं बहुत खुश हूं… भैया के इस दिन का इंतजार तो, कब से था..? आज भैया से डायमंड रिंग मांगूंगी…

सविता जी: हां.. हां… तेरा तो हक बनता है बेटी..! एक बार यह पार्टी खत्म हो जाने दे, फिर कहना उससे…

सुनैना: मां…! भाभी कहां है…?

सविता जी: मुझे क्या पता..? होगी कहीं…? वैसे भी उस गवार का इस पार्टी में क्या काम..? ना उसे यहां किस से कैसे पेश आना है, वह पता है और ना ही उसे बात करने का ढंग ही है… यहां तक के कपड़े पहनने का ढंग भी उसे नहीं है… अरे..! उस वक्त तो तेरे भैया नौकरी तलाश रहे थे, इसलिए यह कमबख्त गले पड़ गई… वरना अगर आज की बात होती तो देखती क्या स्मार्ट बहू लाती मैं अपने ऋषि के लिए..!

सुनैना: सही है मां… भैया सचमुच इस मामले में ठगा गए… कहां भैया और कहां भाभी..? पर वह है कहां..?

इधर ऋषि के कुछ दोस्त उसकी पत्नी माया के बारे में पूछना शुरू कर देते हैं… ऋषि भी माया को ढूंढने के लिए अपनी नजरें इधर-उधर घुमाने लगता है… इस पर सविता जी सुनैना से कहती है… रूक… मैं अभी आती हूं… तेरी भाभी के बारे में सब पूछ रहे हैं ऋषि से, मैं इस बात को जाकर संभालती हूं…

यह कहकर सविता जी ऋषि के पास जा ही रही होती है कि, सबकी नजरें एक ओर चली जाती है… क्योंकि सभी माया को देख रहे होते हैं…

माया इतनी सुंदर आज से पहले कभी नहीं दिखी… वह एक स्लेटी रंग की शिफॉन की साड़ी पहने, हल्का सा मेकअप किए अपने कमरे से निकलती है.. जिसे देख वहां सब ऋषि से कहते हैं… वाह भाभी जी तो बड़ी ही खूबसूरत और स्मार्ट है..!




ऋषि जाकर माया को हाथ थाम कर ले आता है और सब से कहता है.. दोस्तों..! आप लोगों ने एक कहावत तो सुनी ही होगी, कि हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है… मेरी कामयाबी का राज भी वही है… मेरी जिंदगी में पहली औरत मेरी मां है, जिसने मुझे इस काबिल बनाया, जिसकी वजह से आज मैं यहां तक पहुंच पाया… पर आज की कामयाबी के पीछे मेरी पत्नी का हाथ है…

अब आप लोग सोच रहे होंगे, के क्या मां का हाथ कामयाबी के पीछे नहीं होता..? मां तो हमारे हर अच्छे बुरे दिन में हमारा साथ देगी ही… पर जिस औरत के बारे में मैं बताना चाह रहा हूं, उससे मेरा कोई रिश्ता नहीं था, पर जब बांधा, तब मैं कुछ खास भी नहीं करता था…हां पर मेहनत जारी थी… उसने मुझसे कभी कोई ख्वाहिश नहीं कि, उल्टा मेरी मेहनत में अपनी मेहनत मिलाकर मेरा पूरा साथ दिया… अगर उसे मैंने सूखी रोटी खिलाई, तो वह भी खुशी-खुशी खाकर मेरे लिए मेरा साया बनकर चलती रही… आज ना जाने कितने दिनों बाद उसे मैं एक अच्छी साड़ी दे पाया, पर फिर भी उसने कहा इसकी क्या जरूरत थी..? मेरे पास तो कितनी साड़ियां है… जब भी मैं उम्मीद खो कर निराश होने लगता था, उसका मुस्कुराता चेहरा और हौसले भरी बातों ने मेरा हौसला अफजाई किया… और क्या क्या कहूं उसके बारे में..? वह सिर्फ मेरी पत्नी ही नहीं, मेरा अभिमान, मेरा गुरूर है…

तालियों की गड़गड़ाहट के साथ माया का स्वागत होता है, फिर पार्टी खत्म होने के बाद…

सविता जी: वाह बेटा..! आज बीवी के आगे मां को भूल गया..? सच ही कहते हैं लोग, मां तब तक ही प्यारी होती है,जब तक के बीवी ना आ जाए…

सुनैना: और भैया आप मुझे भी भूल गए..? सिर्फ भाभी ही आपके लिए सब कुछ हो गई..?




ऋषि: मां..! आपकी जगह माया तो क्या..? कोई भी नहीं ले सकता… पर मां..! आपने भी तो यह कह कर के, अगर मैं अच्छा कमाता एक अमीर घराने की लड़की से मेरी शादी करवाते, क्योंकि मैं अभी कुछ नहीं करता, इसलिए माया को पसंद करना पड़ा मेरे लिए… मेरी तुलना पैसों से ही की थी ना..? जब की माया तो शुरुआत से मेरे बारे में सब कुछ जानती थी, फिर भी उसने कभी मेरी तुलना किसी से नहीं की और बहना तू..! आज भैया की कमाई अच्छी है तो, तुझे डायमंड रिंग चाहिए, पर जब कमाई नहीं थी, सीधे मुंह भैया से बात करना तो दूर, अपने और राघव के रिश्ते को भी छुपा कर रखा… जबकि मां को सब बताया दिया था.. तुझे लगा, नकारे भैया को बताऊं या ना बताऊं क्या ही फर्क पड़ता है..?

ऋषि के बातों ने आज सविता जी और सुनैना के मुंह पर ताला लगा दिया था… फिर ऋषि कहता है… मां..! जब हम मां या बहन के गुणगान करते हैं, तो पूरी दुनिया के लिए कितने भले हो जाते हैं… पर वही अगर अपनी पत्नी का थोड़ा सा भी बखान कर दे, तो फिर बहुत बुरे हो जाते हैं… ऐसा क्यों मां..? जबकी देखा जाए तो एक अनजान लड़की अपने पति के साथ साथ, उसके परिवार को भी अपना मान, उनकी सेवा में अपनी पूरी जिंदगी बिता देती है… तो क्या उसे इतना सम्मान का भी हक नहीं..?

सविता जी: आज बड़ा गर्व हो रहा है तुझ पर…. पता नहीं जो तू देख गया, वह मैं कभी क्यों देख नहीं पाई…? आज इस उम्र में भी तुझसे बहुत बड़ी बात सीखी बेटा…! अगर मां मान होती है, तो पत्नी अभिमान…

सुनैना: और बहन..? वह क्या कुछ नहीं होती..?

ऋषि हंसते हुए: वह तो शैतान होती है.. शैतान..?

फिर सभी हंसने लगते हैं…धन्यवाद
#अभिमान
स्वरचित/मौलिक/अप्रकाशित
रोनिता कुंडू

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