कुछ रिश्ते उम्र से कहीं बड़े होते हैं -मुकेश पटेल

एक महीने बाद ही मेरे 12वीं बोर्ड के एग्जाम होने वाले थे स्कूल की छुट्टियां तो हो गई थी लेकिन एक्जाम की तैयारी के लिए अभी भी ट्यूशन रोजाना जाती थी, 1 दिन मैं  घर आई मुझे बहुत जोर से भूख लगी हुई थी।  घर में घुसते ही मैंने आवाज लगाना शुरू कर दी मां.. मां कहां हो तुम कहीं  भी मां की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी जब कहीं  मां की आवाज नहीं सुनाई देती है तो हम जान जाते थे  कि मां छत  वाले कमरे में जरूर होगी.

जैसे ही मैं छत के ऊपर वाले कमरे में गई मां सिसक सिसक कर रो रही थी। उसके रोने की वजह  मैं समझ गई थी कि आज भी बाबूजी ने फिर मां को मारा-पीटा है। जब से मां की शादी हुई थी ऐसा नहीं हुआ होगा कि वह अपने शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से ना गुजरी होगी माँ को बाबूजी शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते तो वहीं दादी मानसिक रूप से। मैं ठहरी लड़की क्या कर सकती थी सब देखती रहती थी।

देखते देखते इतने साल गुजर गए लेकिन अब मेरे भी सब्र का बांध टूट चुका था मैं मैंने भी मां से कह दिया कि मां कैसे सह लेती हो यह सब मैंने मां से कहा। क्या हम औरतें इतना कमजोर होती हैं पूरे घर को संभालने की जिम्मेदारी हमारे ऊपर होती है लेकिन क्या हम अपनी जिम्मेदारी नहीं संभाल सकते। अपनी रक्षा खुद नहीं कर सकते।  मैंने मां के चेहरे से आंसू पोछा और गले लगा लिया मां ने कहा बेटी जैसा तुम कह रही हो इतना आसान नहीं है।



तुम्हारी भी शादी होगी तो सब समझ जाओगी।  मैंने मां से कहा “मैं बर्दाश्त नहीं करूंगी।  जो हाथ सिल बट्टे से मसाला कुट सकता है वह अगर अपनी पर आ जाए तो किसी का चेहरा भी कूट सकता है।  मां मैं तो कहती हूं चलो यहा से, बहुत हो गया। मां ने कहा “कहां जाएगी बताओ एक लड़की का मायका होता है ना ससुराल।  वह आखिर जाएं भी तो कहां जाए। तुम्हारे छोटे दो भाई बहन और हैं इन को लेकर मैं कहां जा सकती हूं। तुम ही बताओ आधी जिंदगी तो गुजर गई आधी और भी गुजर जाएगी।

बस कैसे भी करके तेरी शादी हो जाए।  मां की बेबसी झलक उठी थी. मां किसी दिन तो इसका विरोध करना ही पड़ेगा।  आज यहां तुम पर हाथ उठ रहे हैं कल यह मुझ पर उठेंगे आखिर हम औरत कब तक सहती रहेंगी।   कब तक पुरुष अपने पत्नी पर हाथ उठाता रहेगा। मां ने कहा बच्ची है तू अभी तुम्हें कुछ नहीं समझ है। . लड़कियों के अंदर के छुपे दर्द को कोई नहीं समझ सकता।  शादी से पहले लड़की मायके की राजकुमारी होती है. शादी के बाद इतना कुछ बदल जाएगा एक लड़की कल्पना भी नहीं कर सकती है.

कुछ दिनों के बाद मैंने बोर्ड के एग्जाम पास कर लिया और मेरा अच्छा नंबर भी आया लेकिन उसके बाद बाबूजी से कॉलेज में पढ़ाई करने की बात कही लेकिन बाबूजी ने यह कह कर मना कर दिया कि मेरी औकात नहीं है कॉलेज में पढ़ाने की और फिर अगर तुम कॉलेज में पढ़ जाओगी तो मैं तुम्हारे जितना पढ़ा हुआ लड़का कहां से ढूंढगा।  मेरी तो बिल्कुल भी हैसियत नहीं है चलो इतना पढ़ लिया काफी है अब घर के काम सीख लो मैं बहुत जल्दी तुम्हारी शादी कर दूंगा.



मैंने इस संबंध में अपनी मां से भी कहा “मां मैं अभी और पढ़ना चाहती हूं लेकिन माँ ने  भी चुप करा दिया अब पढ़ कर क्या करेगी 12 वीं पढ़ लो या कॉलेज पढ़ लो तुम्हें खाना ही बनाना  है संभालना तो तुम्हें रसोई ही है। मैं मां को कैसे समझाऊं कि लडकीयां आजकल खाना ही नहीं बना सकती है बल्कि आजकल लड़कियां एरोप्लेन भी उड़ाती है और आजकल लड़कियां मेट्रो भी चलाती हैं यह सब मैं कैसे समझाऊं.

एक दिन मेरी बुआ आई और उन्होंने मेरे पापा से मेरे शादी की बात कि और उन्होंने बताया कि एक लड़का है।  पिछले साल ही उनकी पत्नी का देहांत हो गया था,  मेरी उम्र के ही उनके दो और बच्चे भी थे जिसमें 1 लड़का और 1 लड़की थी. बुआ ने बाबूजी को बताया पैसा वाला है हमारी मंजू को कोई भी तकलीफ नहीं होगी।

बुआ ने बाबूजी को बताया कि सबसे बड़ी चीज यह है कि हमें एक रुपए भी दहेज नहीं देना है यह बात सुनकर बाबूजी ने एक पल में ही हां कह दिया और बोला कि ठीक है दीदी तुम जाकर बात चलाओ मैं तैयार हूं शादी करने के लिए।  लेकिन जैसे ही मुझे पता चला कि लड़का पहले से शादीशुदा है मैं अपनी मां से जाकर बोली मां मैं कुछ भी हो जाएगा मैं उस लड़के से शादी नहीं करूंगी. जिसका मेरी उम्र का लड़का और लड़की है वह तो पापा के उम्र का होगा और क्या क्या ऐसे लड़के से तुम मेरी शादी करोगी.

माँ कुछ नहीं बोल रही थी बस इतनी बोली।  बेटी हम लड़कियों को कुछ भी चुनने की आजादी नहीं होती है और बुराई क्या है मृत्यु तो हर घर में होती रहती है अब अगर उनकी पत्नी मर गई  तो क्या वह दोबारा शादी नहीं करेंगे। तुम नहीं करोगी कोई और कर लेगा और इतना अच्छा घर है और सबसे बड़ी चीज दहेज भी नहीं देना है मत सोच हां कर दे.

मैंने भी अपने सपने को वहीं पर मार दिया. और कुछ दिनों के बाद ही उस लड़के से मेरी शादी हो गई.



सुहागरात के दिन पति जब मेरे कमरे में आए तो अंदर आते ही उनके मुंह से शराब की बदबू आनी शुरू हो गई और मुझे शराब से सख्त नफरत थी।  मैंने तो साफ-साफ मना कर दिया कि मेरे साथ आज आप नहीं सोएंगे. लेकिन मेरे पति के हैवानियत के आगे मेरी एक भी नहीं चली पति ने अपनी पत्नी का बलात्कार कर दिया था  मेरी इच्छा के विरूद्ध वह सब कुछ हुआ जो नहीं होना चाहिए था। जानती हूँ कि मैं उनकी पत्नी हूं उन्हें सब कुछ करने का अधिकार है मेरे साथ। लेकिन उसका भी एक तरीका होना चाहिए. लेकिन यह बात मैं किसी से कह भी नहीं सकती थी.

कुछ दिन के बाद से मुझे ऐसा लगने लगा कि मेरा भी हश्र  मेरी मां वाला ही होने वाला है लेकिन मैंने भी सोच लिया था अपनी मां जैसी कभी नहीं बनूंगी और अपने साथ मनमानी तो बिल्कुल ही नहीं होने दूंगी.

मेरे पति रेलवे में नौकरी करते थे ड्यूटी से वापस आते थे शुरू-शुरू में तो रोजाना मेरे लिए कुछ न कुछ बाजार से अच्छी-अच्छी चीजें खाने के खरीद कर लाते थे लेकिन वह शराब पीना बिल्कुल ही नहीं भूलते थे और यह बात मुझे पसंद नहीं थी.

मेरे पति के जो लड़का और लड़की थी वह मेरे से उम्र में कोई ज्यादा छोटे नहीं थे बस 2 साल का ही उम्र में फर्क था उनसे धीरे धीरे मेरा दोस्ताना हो गया।  शुरू शुरू में तो वह मुझे नई मां बुलाते थे लेकिन मैंने बोल दिया. तुम लोग मुझे मां मत बुलाओ मुझे अच्छा नहीं लगता है. मेरे पति की लड़की राधा ने बोली मां  को तो माँ ही बुलाएंगे रिश्ते उम्र से कहीं बड़े होते हैं. राधा से मेरी बहुत अच्छी दोस्ती हो गई जब मेरे पति ड्यूटी चले जाते थे तो मैं और राधा दिनभर खूब मस्ती करते थे.

1 दिन राधा और मैं बैठकर बातें कर रहे थे तभी मेरे मन में अचानक से यह आया कि पूछूं कि तुम्हारी मां की मृत्यु कैसे हुई थी. जैसे ही मैंने यह सवाल पूछा राधा फफक फफक कर रोने लगी मैंने बोला क्या हुआ राधा  मैंने कुछ गलत पूछ लिया क्या ? राधा बोली नहीं नई माँ मत पूछो तो अच्छा है. मैंने बोला तुम्हारी मां की मृत्यु तो बीमारी के कारण हुई थी ना क्या हुआ था उनको.



राधा बोली, “आपको किसने बोला कि मेरी मां की मृत्यु बीमारी से हुई है मेरी मां तो अपने ऊपर किरोसिन छिड़ककर जल गई थी. मेरी मां को पापा का शराब पीना बिल्कुल ही पसंद नहीं था वह रोज मना करती थी। पापा मां को रोजाना मारते रहते थे एक दिन उसने गुस्से में केरोसिन डालकर अपने ऊपर  अपने आप को जला लिया. हमें मना किया था यह बात किसी को नहीं बताने का खासकर आपसे तो जरूर नहीं। लेकिन अब मैं आपसे कुछ नहीं छुपा सकती.  मैं अपने पापा से बहुत नफरत करती हूं मेरे पापा अच्छे नहीं हैं. नई मां मैं बहुत पढ़ना चाहती हूं कॉलेज में जाना चाहती हूं लेकिन ऐसा नहीं लगता है मेरे पापा मुझे आगे पढ़ने देंगे.”  मैंने राधा को कहा चिंता मत करो राधा मैं देखती हूं कौन रोकता है. ऐसा लगने लगा था कि जैसी मेरी कहानी थी वैसे ही कहानी राधा की भी है कहो तो हर लड़की की कहानी ऐसी ही होती है पता नहीं घर वाले क्यों लड़कियों को पढ़ने देना नहीं चाहते हैं.

मैं भी थक चुकी थी को समझा-समझा कर मैंने भी  छोड़ दिया था जो उनकी मर्जी होती थी करते रहते थे।  मैंने भी हार मान लिया था। शादी से पहले मैंने भी क्या क्या सोचा था कि मैं कभी भी बर्दाश्त नहीं करूंगी मैं मां जैसी हालत तो अपने आप को कभी नहीं होने दूंगी लेकिन वह सब खोखले बातें थी समय के साथ  मैंने भी बर्दाश्त करना सीख लिया था. मैं भी यही सोचती थी कि आखिर मैं भी यहां से कहां जाऊंगी अगर मायके भी जाऊंगी तो वहां भी इससे भी बदतर हालत है तो कम से कम यही रहूं.

राधा 12वीं पास कर गई थी और कॉलेज  जाने के लिए राधा से मैंने कहा तुम्हारे पापा से मैं बात करूंगी।  मैंने अपने पति से इस संबंध में बात की उन्होने साफ मना कर दिया बोला तुम अपनी औकात में रहो और इस घर के मामले में टांग मत अड़ाओ।  राधा 12वीं तक पढ़ ली वही क्या कम है ज्यादा पढ़ लिख कर क्या करना.



लेकिन मैंने भी ठान लिया था कि राधा को भी कॉलेज में पढ़ाऊंगी जरूर।  मेरी उम्र तो ज्यादा नहीं थी लेकिन इन 2- 3 सालों में ही अनुभव मुझे कहीं ज्यादा हो गया था.

मैंने अपने पति से रात में  दुबारा राधा की पढ़ाई के बारे में बात की उन्होने साफ मना कर दिया बोला इस फिजूल की बातों में क्यों लगी हो. मैंने बोला कुछ भी हो जाए हो जाए राधा आगे पढ़ेगी। . राधा को लेकर मेरे और मेरे पति में लड़ाई हो गया।

मेरे पति ने मुझ पर हाथ उठाना शुरू कर दिया हम दोनों में  लड़ाई शुरू हो गया था। तभी घर के सारे लोग वहां पर जमा हो गए थे मेरे पति ने दोबारा मुझ पर जैसे ही हाथ उठाना चाहा।  राधा ने मेरे पति का हाथ पकड़ लिया और बोली रुक जाओ पापा दुबारा ऐसी गलती मत करना।

बचपन से मैं बर्दाश्त करती आ रही हूं आपने मेरी मां को तो मार मार कर इस दुनिया से विदा कर ही दिया।  उस समय तो हमने कुछ नहीं बोला और मेरी मां दर्द बर्दाश्त नहीं कर सकी लेकिन यह हादसा दोबारा मैं अपनी नई मां के साथ नहीं होने दूंगी।

राधा की हिम्मत देख मेरे अंदर भी ना जाने कहां से हिम्मत आ गई थी ।  मैंने अपने पति से कह दिया था कि अगर तुम अपना सम्मान चाहते हो तो औरतों का सम्मान करना सीखो अपनी  हद में रहा करो अब मैं भी नहीं सहूँगी बहुत हो गया मैं यह सब बर्दाश्त नहीं करूंगी। जो दोगे शुद्ध समेत वापस दूंगी मेरे आंसू पोछते हुए राधा  ने कहा इस पुरुष समाज ने लड़कियों को समझ क्या रखा है.

उस दिन के बाद से मेरे पति ने शराब पीना भी छोड़ दिया था और अब  प्यार से बात करने लगे थे हां कभी कभी लड़ाई जरूर हो जाती थी। दोस्तों आपसे बस इतना ही कहना है जब तक आप किसी भी चीज का विरोध नहीं करोगी वह आपके ऊपर हावी होता रहेगा इसलिए हमें विरोध करना भी आना चाहिए।

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