“खानदानी जेवर” – रणजीत सिंह भाटिया

” अरे भाई मंजू जल्दी करो रास्ते में ट्राफिक भी बहुत होगा”  मिस्टर प्रेम पगारे अपनी पत्नी को पुकार रहे थे…जी बस 5 मिनट में आई अंदर से मंजू की आवाज आई… I

           ड्राइवर कार को अच्छी तरह से चमका कर तैयार खड़ा था, मिस्टर पगारे उनकी पत्नी मंजू और उसका बेटा राकेश कार में बैठकर निकल पड़े अपने बेटे के लिए लड़की देखने जा रहे थे l मंजू कहने लगी “चलो मेरे नकचड़े बेटे को आखिर  शादी के लिए तैयार कर ही लिया मैंने वरना ये तो सारी उम्र कुंवारा ही रहना चाहता था “

              मिस्टर पगारे का बिजनेस बहुत अच्छा चल रहा था, घर में हर तरह की सुख सुविधाएं थीं, नौकर चाकर थे, माँ लक्ष्मी के उन पर अपार कृपा थी, पत्नी मंजू भी बहुत संस्कारी और दयालु स्वभाव की थी,उन्हें किसी बात का कोई घमंड l नहीं था, बस वो इतना चाहती थी, कि उनकी इकलौती  बहू भले ही साधारण परिवार से हो, पर अच्छे संस्कारों वाली हो, जो उनके बेटे और घर को अच्छी तरह से संभाल सके l

               इसी सिलसिले में वह अपने होने वाली बहू को देखने जा रहे थे, जो कि एक मध्यम परिवार से है l लड़की का नाम रेनू है और मां का नाम सरिता और लड़की के पिता का नाम सुभाष है l

                जब यह सब लड़की वालों के घर पहुंचे तो उनका बहुत शानदार स्वागत हुआ, घर के सामने एक बहुत ही सुंदर महंगी कार खड़ी थी, सब लोग अंदर जाकर बैठ कर गपशप मारने लगे, तभी सुभाष ने सरिता को इशारा किया सरिता उठकर अंदर चली गई, और कुछ ही देर में अपनी बेटी रेनू को लेकर आ गई, रेनू बहुत सुंदर लग रही थी,  रेनू ने चाय नाश्ता टेबल पर रख कर सबका अभिवादन किया,  राकेश रेनू को एकटक देखते ही जा रहा था…,मंजू ने राकेश की ओर देखा और फिर अपने पति की ओर देखा मुस्कुराकर आंखों ही आंखों में कुछ कहा मि. पगारे भी समझ गए कि राकेश को लड़की पसंद आ गई है l

                 अचानक मंजू की नजर रेनू के पहने हुए ज़ेवरो पर पड़ी, तो उसने उन्होंने सरिता से पूछा यह तो बहुत कीमती और खूबसूरत ज़ेवर हैं कहां से बनवाएं ? तब सरिता ने कहा ” जी..जी.. यह तो हमारे खानदानी जेवर है, आप कुछ लीजिए ना प्लेट आगे बढ़ाते हुए कहा… ” यह सब कुछ हमारी बेटी रेनू ने खुद बनाया है l बहुत अच्छी कुकिंग  करती है l अब मंजू का माथा ठनका.. और कुछ ही देर बाद वह जाने को उठ खड़े हुए l तब लड़की के पिता सुभाष ने पूछा आपको हमारी बिटिया पसंद तो आ गई ना..?  इस पर मंजू ने उत्तर दिया भाई साहब हम घर जाकर सलाह करके आपको बताएंगे..!”

           कार में बैठकर जब वो कुछ ही दूर कॉलोनी के मोड़ पर पहुंचे तो मंजू की निगाह उनकी पुरानी पड़ोसी बबीता पर पड़ी उसने ड्राइवर को कार रोकने को कहा और कार से उतरकर बबीता को आवाज दी बबीता मंजू को देखकर बहुत खुश हुई और पूछा ” इधर कैसे आना हुआ ” तब मंजू ने कहा ” बस ऐसे ही किसी से मिलने आए थे ” तब मंजू ने पूछा  ” और तुम यहां कैसे…” अपने कुछ सहेलियों की ओर इशारा करके कहा बस सब मिलकर शाम को ऐसे ही टहलने निकल जाते हैं, और मंजू को अपने घर चलने के लिए बहुत आग्रह किया l मंजू बोली ” फिर किसी दिन जरूर आएंगे आज थोड़ा जल्दी में है l और दोनों ने अपना फोन नंबर एक दूसरे को  दिया l

                   दूसरे दिन मंजू ने बबीता को फोन किया और बातों ही बातों में पूछा  ” और हां मुझे याद आया तुम्हारे पास जो वह खूबसूरत जेवर थे, जिन्हें तुम कई अवसरों  पर पहना करती थीं, जिनका डिजाइन मुझे बहुत पसंद था,क्या तुम मुझे उनकी एक फोटो अभी भेज सकती हो ?  मैं ज्वैलर के पास जा ही रही,थी तो सोचा मैं भी  वैसे ही बनवा लूं ” तब बबीता ने कहा  “हां मैं जरूर भेज देती, पर क्या है की, हमारी कॉलोनी में मेरी एक सहेली सरिता है, उसकी बेटी को लड़के वाले देखने आ रहे हैं l तो कुछ दिनों के लिए मांग कर ले गई है l बहुत ही चिपकू है.. I कार और घर का  और सामान भी ले गई है,जैसे ही लोटाएगी मैं तुम्हें फोटो भेज दूंगी…फोटो क्या तुम जेवर ही ले जाना..”

          रात को डिनर टेबल पर मिस्टर पगारे उनका बेटा राकेश और मंजू बैठे थे, तब मंजू ने कहा  “बेटा मुझे पता है तुम्हें रेनू बहुत पसंद आई है, पर उनके घर पर मैंने जो भी देखा वह सब झूठा दिखावा था, जिसे वो अपना खानदानी जेवर बता रहे थे वह भी किसी से मांग हुआ था, और जो नाश्ता वगैरह था, वह भी  भंवरी लाल मिठाई वाले के यहां से लाया गया था, मैंने उसका खाली डब्बा बाहर कचरे के डब्बे में देख लिया था कार भी मांगी हुई थी, घर का और कई सामान ना जाने किस-किस से मांग कर लाए होंगे दिखावा करने के लिए,  यह सब करने की क्या जरूरत थी ? वह लड़की रेनू वैसे ही बहुत सुंदर है बिना ज़ेवरो के भी सादगी में भी सुंदर लगती,जिसके मां-बाप इतने झूठे हो भला उन्होंने अपनी बेटी को क्या संस्कार दिए होंगे बेटा मुझे माफ करना मैं उस घर में तुम्हारी शादी नहीं कर सकती तो तब राकेश ने कहा ” नहीं मां मुझे शर्मिंदा मत करो मैं आपकी  मर्जी के बिना कुछ कर सकता हूं क्या मां-बाप तो सदा अपने बच्चों का भला ही जाते हैं “

               फिर मंजू ने फोन करके रेनू के माता-पिता को सब बता दिया,  ” कि उन्हें उनके झूठे दिखावे का पता चल गया है l और वह अपने बेटे की शादी  उनकी बेटी से नहीं कर सकते l साथ ही हिदायत दी कि जिस रिश्ते  की बुनियाद ही झूठ पर रखी गई हो, तो उसका भविष्य  भला कैसा होगा..? तो कृपया अगली बार झूठा दिखावा करके अपनी बेटी के लिए रिश्ता मत ढूंढना… “

                इस प्रकार मंजू जी ने सब का पर्दा रख लिया बबीता को भी नहीं बताया कि वह सरिता की लड़की को अपने बेटे के लिए देखने गए थे और सुभाष और सविता को भी साफ साफ बता कर  भविष्य के लिए आगाह कर दिया l

 मौलिक एवं स्वरचित

 लेखक : रणजीत सिंह भाटिया

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