काश आप एक बार कर देती कि मैं भी तुम्हारी मां हूं.

रितु की शादी हाल ही में मयंक से तय हुई थी.  रितु की सारी सहेलियां रितु को चिढ़ाती रहती थी और कहती  थी रितु यार तुम बहुत किस्मत वाली हो जो इतना छोटा परिवार मिला और घर में भी इकलौती हो अपने ससुराल में तो राज करोगी बिल्कुल रानी की तरह ना कोई जेठानी है ना देवरानी ना कोई ननंद । रितु की एक सहेली रमिता शादीशुदा थी और वह रितु को कह रही थी कि देख रितु ससुराल में बिल्कुल ही टाइट रहना नहीं तो जहां थोड़ा सा भी ढीला पड़ी तुम्हारी सास तुम्हारे ऊपर चढ़ जाएगी मैं तो अपने ससुराल में किसी की सुनती ही नहीं बस अपना बनाती हूं और खा लेती हूं बाकी जाए भाड़ में।

रितु ने कहा रमिता  कैसी बात कर रही हो सास ससुर भी तो आखिर हमारे मां-बाप की तरह है।  मेरे मम्मी पापा ने हमेशा से यही सिखाया है। सास ससुर भी शादी के बाद दूसरे मां बाप बन जाते हैं।  और फिर मेरा भी तो एक भाई है अगर कल को मेरी भाभी आएगी अगर वह भी मेरे जैसे सोचने लगे कि मैं तो अपने सास-ससुर पर राज करूंगी।  

नहीं नहीं मैं तो ऐसा बिल्कुल ही नहीं करूंगी मैं तो अपने ससुर को बिल्कुल अपने पापा की तरह मान-सम्मान दूंगी और अपनी सासू मां को अपनी मां की तरह।  इसी सोच के साथ रितु ब्याह कर अपने ससुराल चली गई।



ससुराल जाते ही दो-चार दिनों के बाद सारे मेहमान अपने-अपने घर को चले गए अब बस घर में 4 सदस्य बच गए थे रितु उसके हस्बैंड और उसके सास-ससुर।  रीतू के मां-बाप ने तो रितु के सास ससुर से कह दिया था कि उनकी बेटी बहुत अच्छा खाना बनाती है लेकिन सच्चाई यह था कि रितु अपने मायके में चाय के अलावा कुछ नहीं बनाती थी।

सारे मेहमान के जाने के बाद रितु के सास ने कहा बहू आज से खाना तुम बनाओगी। अब तो रितु के तोते उड़ गए कि उसने तो आज तक खाना बनाया नहीं लेकिन वह करें तो क्या करें।  बस हां मां जी कह कर किचन में चली गई।

जैसे तैसे कर दाल, चावल और सब्जी बनाई दाल में रितु हल्दी डालना भूल गई थी तो दाल बिल्कुल ही बेरंग लग रहा था देखने में।  और सब्जी में नमक ज्यादा। रितु के सास ने कहा बहु खाना लेकर आओ जल्दी से सब को भूख लगा है। रितु को भी एहसास हो रहा था कि खाना अच्छा नहीं बना है लेकिन वह करें तो क्या करें जो बनाई थी वहीं ले जाकर परोसने लगी।  

रितु ने जब खाना लगाया तो रितु के पति ने बोला यह कैसा दाल है इसमें हल्दी नहीं डाला है क्या तुमने।  रितु ने कहा भूल गई थी। सब हंसते रहे और जैसे तैसे करके खाना तो खा ही गए। नीतू के सास ने कहा बहु चिंता मत करो मैं समझ गई कि तुमने खाना बनाना नहीं आता है लेकिन मैं तुम्हें सब कुछ बनाना सिखा दूंगी।  रितु के हस्बैंड ने भी कहा था कि मां बिल्कुल ही स्वादिष्ट खाना बनाती है मां के हाथों का खाना खाओगी तो रेस्टोरेंट का खाना भूल जाओगी।



रितु की सास ने कहा बहू कल से मंदिर में तुम सुबह सुबह पूजा करोगी।  रितु ने फिर से हां में सिर हिला दिया था लेकिन उसने कभी भी आज तक पूजा नहीं की थी।  अगले दिन सुबह नहाकर कर रितु तैयार तो हो गई थी लेकिन अपने सास से जाकर पूछने लगी कि मां क्या करना होता है पूजा के लिए।  इस बार तो रितु की सास झल्ला उठी। तुम्हें तो पूजा पाठ भी करना नहीं आता तुम्हारे मां-बाप ने क्या सिखाया है। लड़की देखने गए थे तब तो सब बोल रहे थे रितु हमारी लाखों में एक है और यहां तो कुछ तुम्हें आता ही नहीं है।  रितु अपनी सास की बातों को बुरा नहीं मानती थी। मन ही मन सोचती थी क्या हो गया डांट दिया तो मां भी तो कभी कभार डांट दिया करती थी। सास हैं इतना तो डांटने का हक इन्हें भी है।

 

धीरे धीरे रितु ने अपने आप को ससुराल के अनुसार ढाल  दिया था अब सब कुछ सीख गई थी मायके में तो पढ़ाई के अलावा उसने कुछ किया ही नहीं था लेकिन ससुराल में एक अच्छा कुक भी बन गई थी और एक अच्छा मेड भी सब कुछ कितना अच्छा से कर देती थी उसने कभी सोचा भी नहीं था कि वह एक हाउसवाइफ की जिंदगी जिएगी वह हमेशा से नौकरी करना चाहती थी।  उसने एमबीए की पढ़ाई इसीलिए की थी वह नौकरी करेगी। लेकिन यहां ससुराल में किसी को भी रितु को नौकरी करना पसंद नहीं था।

एक दिन अचानक से  रितु की सास सीढ़ियों से गिर गई  और उनका बाया पैर फ्रैक्चर हो गया था।  दो-तीन महीने तक डॉक्टर ने बेड से उठने को मना कर दिया था।  रितु उस दौरान अपने सास’ की खूब सेवा की। सास की एक आवाज पर रितु दौड़ी चली आती समय पर दवा समय पर खाना उसका नतीजा यह था कि उसकी सास  बहुत जल्दी ही चलने फिरने लगी।



रात को नीतू और उसके हस्बैंड जब सोते थे तो वे लोग अपना मोबाइल साइलेंट करके सो जाते थे।  रितु की पापा ने कई बार रितु को फोन लगाया लेकिन फोन साइलेंट होने की वजह से वह उठा नहीं रहे थे तो उन्होंने रितु के ससुर के फोन पर फोन लगाया।   नीतू के ससुर को फोन उठाते ही बोला भाई साहब रितु फोन क्यों नहीं उठा रही है एक उसे जगा कर बोल दीजिए उसकी मां की तबीयत बहुत खराब है मां रितु को देखना चाह रही है।

रितु के ससुर बोले  भाई साहब आप लाइन पर ही रहिए अभी मैं रितु को जगाता हूं। रितु  के ससुर ने रितु को आवाज लगाई।

 रितुअपने कमरे से निकल कर बाहर आई  और बोली क्या हो गया पापा जी। रितु के ससुर बोले यह लो अपने पापा से बात कर लो तुम्हारी मम्मी की तबीयत ठीक नहीं है।   क्या हो गया मम्मी को अभी शाम को ही तो मैंने मम्मी से बात की थी अच्छी भली तो थी वो।

रितु के पापा रितु  से से बोले बेटी जितना जल्दी हो सके तुम यहां पर आ जाओ।  रितु ने अपने हस्बैंड को जगाया और अपनी मां की तबीयत खराब होने की बात कही और बताया कि उसके पापा ने उसे जल्द से जल्द अपने घर बुलाया है।

रितु का हस्बैंड तुरंत तैयार होकर बाइक निकाला और नीतू को लेकर उसके मायके पहुंच गया।  रितु जब अपने मायके पहुंची तो देखी थी घर में आस-पड़ोस के सब लोग जुटे हुए हैं और उसके मां का पार्थिव शरीर जमीन पर रखा हुआ है।



उसके पिता और भाई दोनों फूट फूट कर रो रहे थे। पता चला कि शाम को वह पार्क घूमने गई थी और पाक से आने के बाद अचानक से उनका सांस फूलने लगा और फिर हार्ट फेल हो गया।  रितु को तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसकी मां इस दुनिया से चली गई है क्योंकि वह अभी शाम को ही तो इतनी अच्छी से अपने मां से बात की थी।

सारे रिश्तेदार इस मुश्किल घड़ी में उसके परिवार से मिलने आए हुए थे।   सुबह सुबह ससुर भी उसके घर मिलने आए थे लेकिन रितु की सास नहीं आई। रितु ने अपने ससुर से कहा पापा जी मम्मी जी  नहीं आई। तो रितु के ससुर बोले बेटा पंडित जी ने बोला है कि तुम्हारी सास को शादी के 1 साल तक किसी मरे हुए इंसान के घर में नहीं जाना चाहिए।

रितु जिसे दिल से अपनी मां मानती थी और अपनी मां की जगह दे चुकी थी अब वह बार-बार यही सोचती थी काश एक बार मेरी सासू मां यहां आ जाती और मेरे सर पर हाथ रखकर यह कह देती की बेटी क्या हो गया तुम्हारी मां नहीं रही तो मैं भी तो तुम्हारी मां जैसी हूं।  बेटी मैं तुम्हारी मां की जगह तो नहीं ले सकती लेकिन तुम्हें कभी मां की कमी महसूस नहीं होने दूंगी इतने से सास का स्थान मेरी नजरों में कई गुना ऊपर हो जाता। क्या यह शगुन अपशगुन इंसानी रिश्तो से बढ़कर है। क्या केवल एक बहू की जिम्मेदारी है कि वह अपने सास-ससुर को माता पिता की तरह मान-सम्मान दे।  क्या सास ससुर का कोई फर्ज नहीं बनता है कि वह भी अपने बहु को बेटी की तरह समझे।

दोस्तों रिश्ता दोनों तरफ से निभाना पड़ता है।  कहा जाता है कि रिश्ते वही कामयाब होते हैं जो दोनों तरफ से निभाए जाते हैं एक तरफ सेंक कर मेरे तो रोटी भी नहीं बनाई जा सकती।

Writer:Mukesh Kumar

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