जैसी करनी वैसी भरनी

आज आपको एक पौराणिक कहानी सुनाने जा रहा हूँ। बहुत समय पहले एक नगर मे एक व्यापारी रहता था। एक दिन उसकी पत्नी एक सुंदर सा बच्चे को जन्म देकर स्वर्ग सिधार गई। घर मे खाना बनाने का दिक्कत होने लगा तो बचपन मे ही व्यापारी ने अपने बड़े लड़के की शादी कर दिया।

फिर व्यापारी की मृत्यु कुछ समय बाद हो गई। लेकिन व्यापारी ने मरते-मरते अपने बड़े बेटे को छोटे बेटे की ज़िम्मेदारी निभाने का वादा दिया था। शुरू मे तो कुछ साल व्यापारी के बड़े बेटे और बहू ने उसके छोटे बेटे की बहुत अच्छे से सेवा किया।

कुछ टाईम बाद व्यापारी के छोटे लड़के की तबीयत खराब रहने लगी। बड़े भाई ने कुछ आस पास के वैद्यों से ईलाज करवाया पर कुछ आराम नहीं मिला मिली। छोटे भाई की दिन पर दिन तबीयत बिगड़ी जा रही थी और बहुत खर्च भी हो रहा था। एक दिन बड़े भाई ने अपनी पत्नी से सलाह की, यदि ये छोटा भाई मर जाऐ तो हमें इसके ईलाज के लिऐ पैसा खर्च ना करना पड़ेगा।

तब उसकी पत्नी ने कहा: कि क्यों न किसी वैद्य से बात करके इसे जहर दे दिया जाऐ किसी को पता भी ना चलेगा और  रिश्तेदारी में भी कोई शक ना करेगा कि बिमार था बिमारी से मृत्यु हो गई।



बड़ा भाई ने कई वैद्य से बात किया लेकिन कोई भी जहर देने को तैयार नहीं हुआ। लेकिन एक वैद्य 100 सोने के मोहरे देने के एवज मे जहर देने को तैयार हो गया। और इसके छोटे भाई की मृत्यु हो गई। उसके भाई-भाभी ने खुशी मनाई की रास्ते का काँटा निकल गया अब सारी सम्पति अपनी हो गई । उसका अतिँम संस्कार कर दिया।

कुछ महीनो के बाद उस व्यापारी के बड़े लड़के की पत्नी को लड़का हुआ। दोनों पति पत्नी ने खुब खुशी मनाई, बड़े ही लाड प्यार से लड़के की परवरिश की थोड़े दिनो में लड़का जवान हो गया। उन्होंने अपने लड़के की शादी कर दी।

शादी के कुछ समय बाद अचानक लड़का बीमार रहने लगा। माँ बाप ने उसके ईलाज के लिऐ बहुत वैद्यों से ईलाज करवाया। जिसने जितना पैसा माँगा दिया कि लड़का ठीक हो जाऐ। अपने लड़के के ईलाज में अपनी आधी सम्पति तक बेच दी पर लड़का बिमारी के कारण मरने की कगार पर आ गया।

शरीर इतना ज्यादा कमजोर हो गया कि कंकाल जैसा दिखने  लगा था। एक दिन लड़के को चारपाई पर लेटा रखा था और उसका पिता साथ में बैठा अपने पुत्र की ये दयनीय हालत देख कर दुःखी होकर उसकी और देख रहा था।

तभी लड़का अपने पिता से बोला: “कि भाई! अपना सब हिसाब हो गया बस अब कफन और लकड़ी का हिसाब बाकी है उसकी तैयारी कर लो।”



ये सुनकर उसके पिता ने सोचा कि लड़के का दिमाग भी काम ना कर रहा बीमारी के कारण और बोला बेटा मैं तेरा बाप हुँ, भाई नहीं। तब लड़का बोला मै आपका वही भाई हुँ जिसे आप ने जहर खिलाकर मरवाया था जिस सम्पति के लिऐ आप ने मरवाया था मुझे अब वो मेरे ईलाज के लिऐ आधी बिक चुकी है आपकी की शेष है हमारा हिसाब हो गया।

तब उसका पिता फूट-फूट कर रोते हुवे बोला, कि मेरा तो कुल नाश हो गया जो किया मेरे आगे आ गया पर तेरी पत्नी का क्या दोष है जो इस बेचारी को जिन्दा जलाया जायेगा। (उस समय सतीप्रथा थी, जिसमें पति के मरने के बाद पत्नी को पति की चिता के साथ जला दिया जाता था)

तब वो लड़का बोला: कि वो वैद्य कहाँ, जिसने मुझे जहर खिलाया था

पिता ने कहा: कि आपकी मृत्यु के तीन साल बाद वो मर गया था।

तब लड़के ने कहा: कि ये वही दुष्ट वैद्य आज मेरी पत्नी रुप में है मेरे मरने पर इसे जिन्दा जलाया जायेगा।

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