हम-तुम – सीमा बी

आज काफी दिनों के बाद नहीं दिनों नहीं महीनों के बाद कहीं दूर जाने का मन हुआ है एक लांग ड्राइव पर…. या फिर 2-4 दिनों के लिए इस शोर शराबे से दूर एकांत में जा कर कुछ पल सुकून के गुजार कर फिर से काम में लगा जाए…. अलसाया सा मन, आँखों से नींद कोसो दूर है…. वक्त भी सुबह के 3 दिखा रही है घड़ी।

एक बैग में एक जींस 2-3 टी शर्ट, पाजामा और अंडरगारमैंटस के साथ साथ ब्रश, टूथपेस्ट लिया और गाड़ी की चाभी उठा कर मेन डोर लॉक करके चल दिया हूँ घूमने….. !

दिल्ली से निकलने को मन छटपटा रहा है…. जल्दी से निकलना चाहूँ तब भी 1 घंटा तो लगेगा ही….. हिमाचल की ओर जाने का प्लान बनाया तो गूगल मैप ऑन किया और जा रहा हूँ म्यूजिक सुनता।

एक जगह रूका चाय पीने को फिर भूख भी तो महसूस हो रही है…. आसपास देखा तो अभी खाने की दुकानें खुल ही रही हैं तो चाय के साथ बिस्किट ही खा कर चल दिया हूँ…. अब अकेला चल तो दिया हूँ पर मन कुलबुला रहा है तुमसे बातें करने को…! तुम होती तो मजा ही आ जाता। यूँ रोड ट्रिप की तो तुम दिवानी जो हो।

आजकल तुम बहुत बिजी हो गयी हो यार… नार्मल बातचीत करने का भी वक्त नहीं मिल रहा न। हमें आपस में किसी बात बेबात पर हंसे जमाना हो गया है जैसे…. बहुत कुछ बदल गया है कुछ न बदल कर भी।

सही कहता है आदि ,” तुम लड़कियों को समझना इतना मुश्किल है कि हम लोग तो बस अपनी गलतियाँ ही ढूँढते रह जाते हैं या तुम लोगो को मनाते।”

तुम मुझे समझ नहीं आती कई बार…. जो मना करो वही करती हो! क्या मजा आता है तुम्हें? कितनी बार कहा किसी के साथ इतना मत जुड़ो की वो तुम्हारा फायदा उठाए पर देखो क्या हुआ??? कैसे विक्रम और स्नेहा ने अपना मतलब निकलते ही तुझे अपनी शादी पर भी नहीं बुलाया—- कितनी दुखी और उदास थी तुम।




तुम मेरा कहा मानो तब ना ! अपनी ज्यूलरी तुमने बड़ी भाभी को पहनने को दी और उन्होॆने वो खो दी…. तुम बस कोई बात नहीं कह पायी….. नही कह पायी कि वो तुम्हारी दादी की निशानी थी, जो तुम्हें अपनी जान से भी ज्यादा प्यारी थी।

तुम ने किसी को न कहना सीखा ही नहीं… सिवाय मुझे। कितनी आसानी से तुम लड़कियाँ खुद को अलग कर लेती हो हर रिश्ते से सामने वाले के अच्छे के लिए! तुम क्यों नहीं समझी कभी कि तुम्हारे बिना रहना मुश्किल है मेरा…. बस चल दी माँ के एक बार कहने पर । मेरे लिए तुम जरूरी हो या बच्चे? इतनी सी बात नहीं समझी तुम ।

हम लड़को के सामने बचपन से ही जो आशाएँ और उम्मीदे रख ली जाती हैं न बस उन्हीं को पूरी करने में जिंदगी बिता देते हैं। तुम से मैंने बस साथ माँगा था तुम्हारा पर तुम तो महान बनने के लिए मुझे छोड़ कर इतनी दूर हो गयी कि बस बातें ही होती हैं वो भी दूर से….. अब तो वो भी नहीं हो रहीं।

बहुत नाराज हूँ तुमसे…. आदि भी नाराज है क्योंकि हम तो लड़के है न सबके सामने रो नहीं सकते पर तुम लोगो को कोई परेशानी नहीं है जहाँ मर्जी रो लेती हो कभी खुशी से कभी दुख में…. तुम्हें पता है हमारा भी मन करता है रोने का….. पर मुझे रोता देख तुम हंसने लगती हो।

माना की हम लड़के अपनी फीलिंग्स को एक्सप्रेस करने में कच्चे होते हैं पर तुम लोग तो परफेक्ट हो न…. फिर क्यों नहीं लड़ी तुम मेरे लिए सबसे ? मुझे बिन बताए भाग खड़ी हुई…. तुम लड़कियाँ  ऐसी ही होती हो… झट से झुक जाती हो। हमारे बीच का प्यार झटके से भूला कर चल दी उस बच्चे के लिए जिसका कोई वजूद ही नही था…. मेरे वजूद को अपने पैरों के तले रौंद कर…..।

सॉरी सॉरी यार मैं भी क्या कहता चला जा रहा हूँ। तुम याद ही इतना आ रही हो, शायद जब तुम उठो तो तुम्हेॆ भी मेरी याद आए। चलो गाना सुनता हूँ मैं…  तब तक तुम्हारा ब्रेक है….।

अचानक नजर गाड़ी चलाते हुए शीशे पर गयी तो मुस्कुराहट होठों पर फैल रही है धीरो धीरे….. आखिर क्यों न मुस्कुराऊँ, दिल्ली को काफी दूर छोड़ आया हूँ और तुम्हारे करीब आ रहा हूँ….. मन बदल गया है अब, थोड़ा रास्ता बदलना पड़ेगा, मैं आ रहा हूँ तुम्हारे पास देहरादून…. जहाँ हमारी बहुत सारी यादें हैं और तुम हो।

सुनो कौन सा गाना चला दिया है मैंने फोन पर,” चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ दोनो…….” इस बार तुम से मिल कर फिर से हम होना है। अब वक्त आ गया है हमारे सपने पूरे करने का….. बच्चा क्यों चाहिए? मैं और तुम….. हम बच्चे ही तो हैं। तुम चाहो तो 8-10 बच्चे गोद ले लेंगे और उनको हमारी आँखों से बड़ा होते देखेंगे।

तुम चिंता मत करो मैं 10-12 बच्चे तो पालने लायक कमा लेता हूँ फिर तुम भी तो हो मेरी हर इच्छा पूरी करने को। हम सब संभाल लेंगे तुम देखना….. आज तुम अपनी लड़कियों वाली जिद छोड़ कर हम जैसी आसान बन जाना और जल्दी मान जाना प्लीज…….. आ रहा हूँ मैं तुम्हारे पास सब कुछ सही करने ……… गाड़ी में गानों का  मिजाज बदल गया है…..

समाप्त (सीमा बी.)

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