“हार गया अहंकार” – कविता भड़ाना

 

“प्रिया” बहुत ही सुंदर, उच्च शिक्षा प्राप्त आधुनिक लड़की हैं।शादी हुए अभी साल भर ही हुआ है, परिवार में पति “राघव”के अलावा, सीधी सरल स्वभाव वाली सासु मां “सुजाता जी” ही है। राघव कल कंपनी के काम की वजह से 6 महीने के लिए दुबई जाने वाला है। कल रात की फ्लाइट है, जाने से पहले उसने प्रिया को मां का और घर का ख्याल रखने को कहा और कुछ जरूरी हिदायते देकर दुबई रवाना हो गया।

 

घर की देखभाल करने के लिए पूरे दिन की कामवाली पहले से ही थी, सो प्रिया का पूरा वक्त बाहर किट्टी पार्टियों और खरीदारी में ही बीत जाता। पति की गैर मौजूदगी में प्रिया को अकेलापन महसूस ना हो, यही सोचकर वो प्रिया को कभी किसी बात के लिए मना भी नही करती थी।

 

सुजाता जी बेहद सुलझी हुई महिला है, जिन्हे पढ़ने और लिखने का बहुत शौक है, रोकटोक की आदत उनकी कभी रही नही तो, प्रिया को भी उनसे कोई शिकायत नहीं थी। पर अभी कुछ दिनों से सुजाता जी को प्रिया में कुछ बदलाव नजर आने लगे थे।

पहले समय से घर आ जाने वाली प्रिया आजकल रात को देरी से आने लगी थी, एक दो बार सुजाता जी ने पूछने की कोशिश भी की पर प्रिया ने कोई उचित जवाब नही दिया।

 

एक दिन रात को बालकनी से उन्होंने देखा कि प्रिया लड़खड़ाते हुए किसी की गाड़ी से निकल रही है, उसको सहारा देकर घर के गेट तक छोड़कर जाने वाला लड़का भी अनजान था।… प्रिया से जब उन्होंने उस अजनबी के बारे में पूछा तो वह भड़क गई और सुजाता जी से बोली की आप जैसी जाहिल गंवार, घर में रहने वाली महिला  को हाई प्रोफाइल सोसायटी का क्या पता होगा। में अपने दोस्तो के साथ अगर पार्टी करती हु और देर से आती हू तो आपको दिक्कत क्या है। आपका बेटा भी बाहर रहता है तो क्या आप उसे भी पूछती और टोकती हों, नही ना, तो फिर मुझ से भी आगे से ना पूछे, आप बाहर की दुनिया के बारे में कुछ नही जानती तो अपने तक ही सीमित रहे, पूजा पाठ करे, मुझे भी शांति से रहने दे।


प्रिया के मुंह से इतनी जहर भरी बाते सुनकर सुजाता जी आवक रह गई , बात बढ़ ना जाए इसलिए वो बिना कुछ कहे अपने कमरे में आ गई, पर आंखों से नींद तो बहुत दूर जा चुकी थी। रात को अचानक प्रिया के कमरे से दर्द भरी आवाज आने लगी तो वह दौड़कर वहा पहुंची और देखा प्रिया दर्द से तड़प रही थी, पेट में भयंकर दर्द की तड़प उसके चेहरे पर साफ दिख रही थी, सुजाता जी को देखते ही प्रिया सिसक उठी की मां मुझे बचा लो और कह कर बेहोश हो गई।

अगले दिन प्रिया की आंख खुली तो खुद को अस्पताल में पाया । सुजाता जी वही उसके पास बैठी हुई थी, प्रिया को होश में आया देखकर पूछा कि अब कैसा लग रहा है?…पर प्रिया ने पूछा, ड्राइवर तो कल छुट्टी पर था फिर आप कैसे मुझे लाई?…सुजाता जी कुछ जवाब देती, उससे पहले डॉक्टर आ गई और सुजाता जी से बात करने लगी। पर प्रिया तब हैरान रह गई, जब उसने अपनी सास को फर्राटेदार अंग्रेजी में डॉक्टर से बात करते हुए सुना, जिन्हे आज तक वह जाहिल, गवार समझती थी,  वो इतनी शिक्षित होंगी ये तो सोचा ही ना था,….और दूसरा झटका तब लगा, जब प्रिया को पता चला कि उसकी सासू मां कल खुद गाड़ी चला कर उसे अस्पताल लाई थी। 

आधुनिकता की आंधी दौड़ और “अहंकार” में डूबी प्रिया को अब खुद पर शर्म आने लगी थी । सास के सादा रहन सहन को देख कर उसे ये कभी लगा ही नहीं की वो इतनी आधुनिक होगी। दोनो हाथ जोड़कर प्रिया ने अपने किए की माफी मांगी और आगे से गलत संगत से दूर रहने की भी कसम खाई। आज प्रिया का अहंकार अपनी सासू मां की सादगी और निश्छल प्यार के आगे घुटने टेक चुका था। सुजाता जी ने प्यार से समझाया की आधुनिक बने लेकिन मर्यादा में रहना भी अति आवश्यक है।

“रंग रूप, अमीर गरीब, सब उस परमात्मा की देन है। अगर आपके पास कुछ खास है तो उसके लिए ईश्वर का धन्यवाद करे नाकि “अहंकार”……..।।।।

#अहंकार

 

स्वरचित काल्पनिक रचना

कविता भड़ाना

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