एक बार प्रतिज्ञा करके तो देखो

एक शराबी अपना शराब छोड़ना चाहता था तो किसी ने उसे बताया पास के ही जंगल में एक आश्रम है वहां पर एक संत रहते हैं उनसे जाकर मिलो एक पल में ही वह किसी  का शराब छुड़ा देते हैं. वह शराबी अगले दिन ही संत के आश्रम में पहुंच गया और उनके पैरों में गिर कर विनम्र स्वर में बोला गुरुदेव मैं शराब नहीं पीना चाहता हूं, लेकिन मेरे मन पर मेरा बस नहीं है, शराब पीने की वजह से मेरा घर परिवार सब बर्बाद हो रहा है, मेरे बच्चे भूखे मर रहे हैं मैं कितना भी कोशिश करता हूं लेकिन शराब को छोड़ नहीं पाता हूं।

गुरुदेव कृपया करके मुझे कोई उपाय बताएं. जिससे मैं अपने घर की शांति दोबारा से वापस लौटा सकूं। संत ने उस व्यक्ति से कहा जब तुम शराब पीने से जानते हो कि इतनी तकलीफ है तो फिर इसे छोड़ने में क्यों देरी कर रहे हो छोड़ दो।  आदमी ने जवाब दिया गुरुदेव मैं इसे कई बार छोड़ने की कोशिश किया लेकिन यह मेरे से छूट ही नहीं रहा है मैं शराब के नशे का आदी हो चुका हूं यह मेरे खून में समा चुका है।

संत ने कहा ठीक है तुम कल आना मैं तुम्हें कोई ना कोई उपाय जरूर बताऊंगा, जिससे कि तुम शराब छोड़ सको?

अगले दिन शराबी सुबह सुबह ही संत के आश्रम पहुंच चुका था, महात्मा जी भी उसी व्यक्ति का इंतजार कर रहे थे।  संत के आश्रम में एक बरगद का पेड़ था संत ने उस आदमी को देखते ही बरगद के पेड़ की टहनियों से जाकर लटक गए। महात्मा जी को बरगद  की टहनी से लटके हुए आधे घंटे से भी ज्यादा हो गया पहले तो कुछ देर वह व्यक्ति महात्मा जी को देखता रहा फिर उसके बाद बोला महात्मा जी आप फालतू के उस टहनी से क्यों लटके हुए हैं।  आप अपना समय क्यों बर्बाद कर रहे हैं छोड़ दीजिए थक जाएंगे। संत महात्मा ने उस आदमी को जवाब दिया भाई मैं इस टहनी को नहीं पकड़ रखा हूं बल्कि यह टहनी मुझे पकड़ रखा है, मैं तो चाहता हूं कि यह  टहनी छोड़ के नीचे जमीन पर आ जाऊं, लेकिन यह टहनी मुझे छोड़ ही नहीं रहा है।



उस आदमी ने संत महात्मा से कहा महात्मा आप क्या मुझे बेवकूफ समझते हैं ये ठीक बात है कि मैं शराब पीता हूं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं बेवकूफ  और मूर्ख हूं। आपने जानबूझकर इस टहनी को अपने हाथों से पकड़ा हुआ है भला पेड़ किसी को कैसे पकड़ सकता है अगर आप अभी सोच लें कि टहनी को छोड़ना है तो अभी आप छोड़ सकते हैं एक बार प्रयास करके तो देखिए।

गुरुदेव टहनी से उतर कर नीचे आ गए और उस आदमी से बोले भाई यही बात तो मैं तुझे कल से समझाने की कोशिश कर रहा हूं आदमी किसी भी चीज की प्रतिज्ञा कर ले यदि उस संकल्प कर ले तो वह उस काम को उसी समय कर सकता है।  जिस तरह मैंने टहनी को पकड़ा था ना की टहनी मुझे पकड़ा है उसी तरह से शराब को तुमने आदत बनाया है सिर्फ एक बार प्रतिज्ञा करो कि मुझे शराब छोड़ देनी है देखो अगले दिन से अपने आप छूट जाएगा।

वह आदमी गुरु देव की चरणों में गिर पड़ा और उसने प्रतिज्ञा ली कि आज के बाद वह शराब नहीं पिएगा और उसके साथ उसके बाद से शराब पीना तो दूर कभी देखा भी नहीं और आज अपने परिवार के साथ एक खुशहाल जिंदगी बिता रहा है।

दोस्तों शराब हमारे शरीर को और हमारे परिवार को बर्बाद कर देता है यह ठीक बात है कि खुशी के माहौल में आप थोड़ा सा शराब पी लेते हैं लेकिन इसका मतलब कतई नहीं है कि आप शराब के आदी हो जाएं और इसकी वजह से आप अपने घर परिवार को को बर्बाद कर दें।

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