एक बार फिर भाग 1 – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : वो मेरा पहला प्यार था। शायद आखिरी भी जिसे मैंने खुद से ज्यादा चाहा था दी। ये कहते हुए प्रिया का स्वर बुझ गया। निभा ने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया प्यार से उसकी ठोड़ी ऊपर उठाते हुए कहा पगली! तू इतनी खूबसूरत है। कामयाब है पहले की बात अलग थी। अब तू समाज में अपना एक मुकाम बना चुकी है। तेरे लिए तो रिश्तों की लाइन लग जाएगी। तू हां तो कर मैं दुनिया का सबसे अच्छा जीवनसाथी तेरे आगे ला कर खड़ा कर दूंगी।

नहीं दी थर्टी टू कंम्पलीट कर चुकी हूं। अभय के दिए धोखे के बाद अब हिम्मत नहीं होती कि किसी और पर भरोसा कर सकूं।
सॉरी दी मुझे माफ़ कर दीजिए। उसकी खूबसूरत आंखो में एक नमी उभर आई थी।
निभा ने उसके हाथ अपने हाथों में पकड़ते हुए कहा सब लोग एक जैसे नहीं होते। जीवन बहुत लंबा है प्रिया
अकेले काटना आसान नहीं होता।
जरूरी नहीं कि जो बुरा एक बार हुआ वो जिंदगी दोबारा दोहराए।
मैं दी मेरी हिम्मत अब खत्म हो गई है वो सुबक उठी।
देखना प्रिया एक बार तुम्हें फिर से प्यार होगा ???
प्रिया खामोश होकर निभा को देखती रही।
निभा उठ खड़ी हुई अच्छा मैं चलती हूं तेरे जीजा जी आने वाले होंगे।
प्रिया उसे दरवाजे तक छोड़ने आई।
अंदर लौट कर उसने घर लॉक किया तो घर में एक अजीब सा सन्नाटा पसरा गया।
काम वाली आज आई नहीं थी।
उसने अपने लिए दो रोटी बनाई रात की सब्जी फ्रिज में रखी थी उसे गर्म करके प्लेट में डाल कर डायनिंग टेबल पर बैठ गई। एक निवाला तोड़ कर गले में डाला तो ऐसा लगा कि गले में अटक गया हो। थोड़ी देर तक इधर-उधर देखती रही फिर धीरे से सीने पर हाथ मलते हुए सोचने लगी मां तुम इतनी जल्दी क्यों चली गई??? देखो तुम्हारी बेटी कितनी अकेली हो गई है??? आंखों से आंसू निकलते रहे। वाकई इंसान कितना अकेला हो जाता है। जब उसके रिश्ते दूर निकल जाते हैं।
निभा उसकी बड़ी दी है उससे पांच साल बड़ी वो दो ही बहनें हैं पिता की मृत्यु जब प्रिया सात साल की थी तब हो गई थी।
और मां की मौत आठ साल पहले हुई। मां अपनी अफसर बेटी के सुख को ज्यादा जी नहीं पाई। मां ने घर के खर्च को बहुत मुश्किल से चलाया था। निभा दी बेहद खूबसूरत और बहुत शालीन स्वभाव की थी तो उनका रिश्ता अच्छे घर में हो गया था।
वो भी खूबसूरत थी जॉब के लिए तैयारी कर रही थी तभी उसकी जिंदगी में अभय आया। जिसकी मीठी बातें उसके दिल में जगह बना गई। अभय का हर कदम पर उसका साथ देना उसकी परवाह करना उसे अलग ही दुनिया की सैर कराने लगा।
ऐसा नहीं था कि वो बेवकूफ थी पर मोहब्बत में बह कर बेवकूफ बनने लगी थी। अभय का इंटेंशन उसे तब समझ आया जब वो अकेले उसके साथ घूमने ग‌ई। अभय ने जिस तरीके से उसे छुआ था वो समझ गई थी कि उसके इरादे क्या हैं??? बहाना बना कर उसने किसी तरह खुद को बचा लिया था।
एक दिन जब उसने फिर उसके करीब आने की कोशिश की थी तो उसने उसे साफ लफ्जों में कह दिया था कि शादी से पहले मेरी जैसी लड़की से कोई भी उम्मीद मत करना। वो झुंझला उठा था और तेजी से वहां से निकल गया था।
फिर एक दिन वो हुआ जो उसने सपने में भी नहीं सोचा था। उसने उसे किसी को फोन पर कहते हुए सुन लिया था कि बड़ी मुश्किल से चिड़िया को जाल में फांसा है इतनी आसानी से तो जाने नहीं दूंगा।
उस जैसी लड़कियां तो मैं चुटकियों में खरीद सकता हूं।
पर मुझे उसके घमंड को तोड़ना है।
गरीब घर की इस छोकरी को इतना गुरूर पता नहीं किस बात का है कि अपने को छूने भी नहीं देती और कुछ क्या खाक करने देगी??? क्या अब उसे बिस्तर पर लाने के लिए गले में शादी का फंदा पहन लूं।
इसके लिए दूसरा प्लान बनाना पड़ेगा???
‌‌वो उसके पीछे कब आकर खड़ी हुई?? उसे पता ही नहीं चला।
जब वह पीछे मुड़ा तो उसे देख कर दंग रह गया।
उसने बात बदलने की कोशिश की पर तब तक बात खत्म हो चुकी थी।
फिर प्रिया ने अपनी मां को साथ लेकर ये शहर छोड़ दिया।
मोहब्बत शब्द से उसका विश्वास उठ चुका था। अब जद्दोजहद थी तो कुछ करने की जिंदगी में कुछ बनने की पूरी मेहनत लगन से वो एक्जाम की तैयारी में जुट गई।
आखिर कार उसकी मेहनत रंग लाई और उसका चयन इंडियन रेवेन्यू सर्विस में हो गया था।
धीरे धीरे उसने अपनी लाइफ में वो सब हासिल कर लिया जिसकी उसे चाह थी।
क‌ई साल गुजर चुके थे वापसी हुई थी उसके अपने शहर में पर अब वो बिल्कुल अकेली थी।
पर यहां दी का घर था। दी चाहती थी कि वो उसके साथ आकर रहे पर वो अलग रहना चाहती थी। इस शहर को दोबारा से महसूस करना चाहती थी।
इसलिए उसने अलग रहने का फैसला किया।
अपनी पिछली जिंदगी के बारे में सोचते हुए वो अभी तक अपने विचारों के समंदर में डूबी हुई थी कि अचानक उसका फोन बज उठा।
हैलो ! प्रिया कल संडे है तुम कल लंच मेरे साथ कर रही हो।
उसकी बेस्ट फ्रेंड कविता का फोन था।
बुझे हुए स्वर में उसने हां कर दी।
संडे सुबह हल्की बारिश थी उसने नहा धोकर भगवान के आगे दीपक जलाया। फिर नाश्ते में कार्न फ्लैक्स लिया। अलसाई हुई सोचने लगी अभी तो कविता के यहां जाना है।
अलमारी खोली उसमें से अल्ट्रा मरीन ब्लू कलर का सूट निकाला टाइ एंड डाई व्हाइट कलर का मोतियों की लैस जड़ा दुपट्टा ओढ़े कर व्हाइट कलर की बिंदी लगाकर खुद को शीशे में देख कर अपने हल्के सुनहरे बालों को खुला छोड़ दिया।
मानो वो अपनी खूबसूरती से बेपरवाह थी।
उसने अपनी गाड़ी निकाली और चल दी।
वहां पहुंचने के लिए डेढ़ घंटे का रास्ता तय करना था।
ये खूबसूरत टेढ़े मेढे रास्ते हमेशा उसकी पसंद थे।
रास्ते में एक जगह पर उसने गाड़ी रोक दी।
खूबसूरत पिंक कलर के जंगली गुलाब की झाड़ी देख कर वो मंत्रमुग्ध हो गई।‌
ताजी ठंडी हवा उसके गालों को छू रही थी।
तभी एक गुरू गंभीर आवाज ने उसका ध्यान भंग कर दिया।
ऐ मैडम! बीच रास्ते में गाड़ी क्यों रोक दी। वैसे ही इतना संकरा रास्ता है। लगता है कि आप किसी की जान लेकर मानेंगी।
कौन था वो???
ये जानने के लिए पढ़ें अगला भाग
© रचना कंडवाल

 

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