बिखरते सपने-मुकेश कुमार

आरती दिल्ली के एक कॉलेज में हिंदी के सहायक प्रोफेसर थी। रंग रूप से भी सांवली थी और देखने में भी ज्यादा सुंदर नहीं थी लेकिन  आंतरिक सुंदरता की बात की जाए तो बहुत सुंदर थी, बड़ों का आदर करना, सबसे प्यार से मिलकर रहना, गरीब बच्चों को घर में ट्यूशन पढ़ाना, यह सब उसके आंतरिक सुंदरता में शामिल था।  लेकिन जब हम लड़की की शादी करने चलते हैं तो आज लड़के वाले पहले यह देखते हैं कि लड़की सुंदर है या नहीं सबसे पहले उसका फोटो मंगाया जाता है उसके बाद ही उसके क्या गुण है या नहीं है वह बाद की चीज होती है।

आरती के पिता मोहन दास को यह शुरू से पता था कि मेरी बेटी देखने में सुंदर नहीं है बड़े होने पर शादी करने में दिक्कत होगी।  इसलिए उन्होंने अपनी बेटी को बहुत पढ़ाया, वे खुद भी हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक थे और अपनी बेटी को भी उच्च शिक्षा दिलाकर सहायक प्रोफेसर बना दिया था।

दो-तीन सालों से मोहन दास जी ने आरती के विवाह के लिए लड़का ढूंढ रहे थे लेकिन कोई भी आरती को पसंद नहीं कर रहा था, आरती की  सारा आंतरिक सुंदरता, इस बाहरी सुंदरता के आगे फीका पड़ जाता था।

मोहनदास जी के मित्र रमेश चंद्र ने आरती के लिए एक लड़का बताया जो आरती से शादी करने के लिए तैयार था।  लेकिन उसकी शर्त यह थी कि उसे दहेज में दिल्ली में फ्लैट खरीद कर देना पड़ेगा और साथ में कैश 10 लाख अलग से।

 आरती के पिता मोहन दास बेटी का रिश्ता ढूंढ के थक चुके थे उन्होंने सोचा चलो लड़का तैयार तो है करने के लिए आखिर जो मेरे पास धन है, वह सब मेरी बेटी का ही तो है।  उन्होंने यह बात स्वीकार कर ली और आरती की शादी विनीत से तय कर दी गई। विनीत देखने में बिल्कुल ही मॉडल लगता था। शादी वाले दिन स्टेज पर जो भी देखते सब इस जोड़ी को देखकर हैरान हो जाते, आरती ने क्या किस्मत पाई है कितना सुंदर राजकुमार जैसा लड़का आरती को मिला है।



शादी होने के बाद आरती अपने ससुराल चली गई, ससुराल मे आरती  को सब लोग बहुत इज्जत करते थे चाहे सास-ससुर हो या देवर ननद।  ससुराल वाले आरती को सोने की अंडा देने वाली मुर्गी समझते थे। कॉलेज में सहायक प्रोफेसर थी तो तनख्वाह भी अच्छा खासा मिलता था।  महीने के आखिरी दिन आते-आते पूरे परिवार की जरूरत के सामान की लिस्ट एक-एक करके आरती के पास पहुंच जाते थे।

बाकी बचे पैसा उसका हस्बैंड विनीत अपने पास रख लेता था।  आरती को इन सब चीजों से एतराज नहीं था वह सोचती थी कि आखिर वह पैसे अपने परिवार के लिए ही तो कमाती  थी और उसकी नजर में परिवार ही धन था।

आरती एक  साधारण लड़की थी, उसे इससे फर्क नहीं पड़ता था कि विनीत उसको कहीं घुमाने ले जाता है या नहीं वह अपनी दुनिया में मस्त रहती थी घर और फिर कॉलेज और जो बाकी समय मिलता था उसने वह कविताएं लिखने का उसे बहुत शौक था तो वह कविताएं लिखा करती थी, विनीत क्या करता है क्या नहीं करता है कितना कमाता है उसने आज तक कभी नहीं पूछा।

विनीत भी शादी के 1 साल गुजर गए लेकिन आरती को अपने साथ घर से एक कदम भी बाहर लेकर नहीं गया कभी आरती कहती भी थी कि बाहर चलो कुछ सामान खरीदना है तो विनीत  बहाना बना देता था कि आज समय नहीं है तुम सिम्मी (आरती की ननद) के साथ चले जाओ।

समय चक्र चलता रहा अगले साल आरती मां भी बन गई धीरे-धीरे बच्चा 1 साल से भी ज्यादा  का हो गया।

एक दिन अचानक आरती की दोस्त संध्या का फोन आया।   सॉरी यार,आरती में तुम्हारी शादी में तो नहीं आ सकी।  लेकिन मैं दिल्ली आ रही हूं, तेरे जीजू के साथ घूमने के लिए मैं चाहती हूं तुम और तुम्हारे हस्बैंड के साथ  1 दिन मिलते हैं डिनर पर।



आरती ने विनीत से  कहा कि मेरी सहेली आ रही है फ्राइडे को शाम को उसे मिलने चलना है।  विनीत ने यह कह कर टाल दिया कि फ्राइडे को तो मुझे बिल्कुल भी समय नहीं है और फिर वह तुम्हारी सहेली है मैं तो उसे जानता भी नहीं हूं, तुम जाओ खुद ही मिल लो फिर मैं कभी मिल लूंगा।   आरती इतनी सीधी थी कि वह कभी भी विनीत की बातों को दिल से नहीं लेती थी और वही उसकी सबसे बड़ी कमी भी थी।

आरती अपङ्कि सहेली  संध्या से मिलने साउथ दिल्ली के एक रेस्टोरेंट में गई।  वहां पर संध्या के हस्बैंड भी मौजूद थे काफी देर तीनों बात करते रहे तभी अचानक से संध्या के हस्बैंड का फोन आया और वह कुछ देर के लिए वहां से हट के बाहर चले गए।  संध्या ने आरती को बोला कि तुम्हारे हस्बैंड क्यों नहीं आए। आरती ने बतया उनके ऑफिस मे जरूरी काम था इसलिए नहीं आ पाये।

संध्या ने  आरती से कहा तू मेरी बचपन की सहेली है, मैं तुम्हें बचपन से जानती हूं तू इतनी सीधी है कि  तुम्हें कोई भी इस्तेमाल कर लेता है। लेकिन मेरी दोस्त एक चीज मैं तुझे बताना चाहती हूं। पता नहीं क्यों मेरे मन में ऐसा ख्याल आता है भगवान करे या झूठ हो।  आरती तू खुद सोच तू देखने में कैसी है और तेरा हसबैंड विनीत बिल्कुल ही मॉडल जैसा लगता है, वह एक बार में ही तुमसे शादी करने के लिए तैयार हो गया आखिर कुछ तो बात रहा होगा।  आरती ने संध्या की बातों को काटते हुए कहा, “अरे संध्या तुम कैसी बात करती हो विनीत मुझे बहुत प्यार करते हैं उन लोगों को पैसे का लालच था तो पापा ने उन्हें दे दिया, अगर पैसे देने से ही खुश थे तो हमें क्या दिक्कत है बाद में भी अगर किसी दूसरे लड़के से भी शादी होता तो मेरे सारे पैसे उसी के होते क्योंकि मेरा भाई तो कोई है नहीं।

संध्या बोली  नहीं यार तुम समझ नहीं रही हो कोई पैसे के लिए अचानक से शादी नहीं कर लेता है, कोई और बात है।  आखिर तू ही सोच शादी के 3 साल से भी ज्यादा हो गए, आज तक तुम्हें विनीत कहीं भी घुमाने नहीं ले गया और ना ही अपने फेसबुक प्रोफाइल में तुम्हारा कभी फोटो लगाया है।  आरती बोली, तो क्या हो गया, मैं भी फेसबुक नहीं चलाती हूं मेरे फेसबुक पर भी देखोगे तो विनीत और मेरी सिर्फ एक शादी का ही फोटो है। मेरी बहन तुम्हारे प्रोफाइल पर शादी का तो फोटो है ना कम से कम लेकिन विनीत की प्रोफाइल देख लो उस पर तो बिल्कुल भी फोटो नहीं है कोई प्रोफाइल देखकर उसका नहीं कह सकता है कि वह शादीशुदा है यहां तक कि उसने अपनी स्टेटस भी अभी तक सिंगल ही रखा है।



संध्या ने आरती को सोचने पर मजबूर कर दिया।  हां सही कह रही हो संध्या मैं तो यह कभी ध्यान ही नहीं दिया, मैं अपना स्टेटस अपडेट उसी समय कर दिया था।  संध्या बोली बहन तुम बहुत सीधी हो तुम अपने पति पर थोड़ा तो ख्याल रखा करो।

एक बात और हमारी सहेली मालती बताती है कि तुम अपने जितने भी तनख्वाह मिलता है वह सारे ससुराल में खर्च कर देती हो और बाकी बचे पैसे तुम्हारा पति ले लेता है क्या यह सही है।  आरती बोली हां इससे क्या हो गया आखिर मैं कमाती तो अपने परिवार के लिए ही हूं। संध्या बोली, “मेरी बहन तू सच में बहुत भोली है ठीक है तेरा परिवार है खर्चा कर, लेकिन अपने भविष्य के लिए कुछ रकम  सेविंग करके रखा कर।

मेरी बहन जीवन का कोई भरोसा नहीं कब क्या हो जाए फिर तुम किस के आगे हाथ फैलाने जाओगी।  इसलिए अपने जीवन में बचत करना भी जरूरी है। आरती ने बोला हां सही कह रही है मैं अगले महीने से कम से कम 10 हजार  तो सेविंग जरूर करूंगी।

मेरी बहन मैं तो कहती हूं कि तुम्हें अपने पति पर नजर रखनी चाहिए।  बाकी तेरी जिंदगी है जैसा जीना चाहे मैं क्या कर सकती हूं। कुछ देर के बाद संध्या का हस्बैंड आया और आरती से सॉरी बोला और कहा बहुत अर्जेंट कॉल आ गया था।  आरती ने बोला कोई बात नहीं जीजु, वह भी जरूरी है। आरती संध्या और उसके हस्बैंड तीनों मिलकर काफी देर तक बात करते रहे फिर आरती अपने घर चले आई और संध्या और उसके हस्बैंड अपने होटल चले गए।

आरती रास्ते में घर की ओर आ रही थी लेकिन अब उसके मन में विनीत के प्रति शक की सुई घूमने लगी थी वह भी सोचने लगी थी कि यह बात  संध्या सही कह रही है। यदि मैं विनीत को कहती हूं कहीं बाहर घूमने के लिए कोई ना कोई बहाना कह कर टाल देते हैं। महीने के आखिर में मेरे सारे पैसे भी ले लेते हैं आखिर वह भी तो पैसे कमाते हैं फिर मेरे पैसे लेने की क्या जरूरत है।



घर आने के बाद पता चला कि विनीत अभी तक घर नहीं आए हैं।  आरती ने फोन लगाया तो विनीत ने कहा बस आधे घंटे में आने वाला हूं वह ऑफिस में कुछ क्लाइंट आए थे तो देर तक मीटिंग चलती रही।

विनीत थोड़ी देर बाद घर आया उसके बाद जैसे ही फ्रेश हुआ आरती ने बोला खाना लगा दूँ ना।  विनीत बोला नहीं मैं खा कर आया हूं। तुम बताओ, तुम्हारी दोस्त से मुलाकात हुई आज, आरती ने बोला हां मैं भी बाहर से ही खा कर आई हूं।

विनीत बोला तो चलो फिर सोते हैं। दोनों बेड पर सो रहे थे तो आरती ने विनीत से पूछा विनीत एक बात पूछूं आज तक मैंने आपसे कभी कुछ नहीं पूछा लेकिन आज ऐसे ही पूछ रही हूं जानकारी के लिए कि आप काम क्या करते हैं और आपकी महीने की कमाई कितनी हो जाती है।  विनीत ने रूखे हुए स्वर में बोला क्यों यह क्यों अचानक से तुम पूछने लगी। आरती ने कहा बस ऐसे ही आखिर तुम्हारी पत्नी हूं इतना तो जानने का हक है कि आप क्या करते हैं और कितना महीने का कमा लेते हैं। क्योंकि हर महीने मेरे पैसे भी आप ही रख लेते हैं और उस पैसे का भी पता नहीं चलता है आप क्या करते हैं।  धीरे धीरे बेटा भी बड़ा हो रहा है उसके भी पढ़ाई में खर्चे होंगे सेविंग करना तो जरूरी है ना।

विनीत ने कहा,  “आज हमारी शादी के 3 साल से भी ज्यादा हो गए, 3 साल बाद याद आए मेरे से पूछने का आज तक तो तुमने कभी पूछा नहीं।  लगता है तुम्हारी सहेली ने तुम्हारे कान भरे होंगे। नहीं विनीत ऐसी बात नहीं है वह तो मैं यूं ही पूछ रही हूं।  विनीत ने कहा, “सॉफ्टवेयर का काम है और महीने के यही कोई ₹50000 तक कमा लेता हूं।

आरती बोली आप बता रहे हैं कि महीने के ₹50000 कमाते हैं और मेरी भी महीने के सारे पैसे आप ले लेते हो फिर भी आपके  फोन में मैसेज आया है आपके अकाउंट के लो बैलेंस होने का। आखिर यह पैसे करते क्या हो।

यह सुनकर विनीत आरती पर गुस्सा हो गया बोला अच्छा जी अब तुम हमारा मैसेज भी चेक करती हो। आरती ने कहा मैं तुम्हारा कोई फोन नहीं चेक करती हूं वह तो फोन रखा हुआ था तो मैसेज आया तो ऊपर ही दिख गया तो मैंने ऐसे ही पूछ लिया।



विनीत ने अचानक से कहा, “अरे वह मैं तुम्हें बताना भूल गया था मैंने अभी नोएडा में एक प्लॉट लिया है और वहीं पर सारे पैसे दे दिया है थोड़े दिनों में उसकी रजिस्ट्री भी होनी है।”  आरती को विनीत की बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था और उस दिन से आरती के मन में भी विनीत के प्रति शक की सुई भी घूमने लगी थी। विनीत इस मार्च महीने में भी पसीने से तरबतर हुए जा रहा था क्योंकि उसकी धड़कन बढ़ गई थी।

आरती और कुछ नहीं बोली दोनों चुपचाप सो गए।  आरती के कॉलेज में गर्मी की छुट्टियां पड़ गई थी आरती  ने कहा कि घर में बैठे-बैठे मन नहीं लग रहा है तो सोचती हूं कि मैं भी तुम्हारे साथ ऑफिस चलूँ।  विनीत बोला तुम ऑफिस जाकर क्या करोगी वहां बोर हो जाओगी। आरती में जिद किया तो विनीत को ऑफिस ले ही जाना पड़ा।

अब रोजाना आरती विनीत के साथ ऑफिस जाने लगी थी।  1 दिन आरती ने विनीत के ऑफिस का सीसीटीवी फुटेज चेक किया।  उसने देखा कि एक लड़की 9 बजे विनीत के ऑफिस से बाहर निकलती हुई रोजाना दिखती है और ऑफिस बंद होने के टाइम 6:00 अंदर आती है क्योंकि विनीत के ऑफिस में कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा था इसलिए वह कमरे  के अंदर का कुछ नहीं देख सकती थी।

आरती ने उस फुटेज का फोटो खींच लिया और बाहर जाकर गार्ड से पूछा आप इस लड़की को जानते हैं।   गार्ड ने कहा हां मैडम यह तो प्रीति मैडम है। इनको कौन नहीं जानता है सर की वाइफ है। आरती के पैरों तले जमीन खिसक गया।  क्योंकि गार्ड को पता नहीं था की आरती विनीत की पत्नी है। आरती ने कहा कितने साल हो गए सर की शादी हुए। गार्ड ने कहा मैडम 5 साल से मैं यहां पर नौकरी करता हूं और जब से नौकरी करता हूं तब तक से इन मैडम को देखा हूँ यहां आते हुए।  गार्ड ने आरती से पूछा मैडम आप कौन हैं आप क्या सर के यहां नौकरी करती हैं। आरती ने कहा हां अभी नया नया मैंने यहां पर ज्वाइन किया है।

यह सब सून आरती के दिमाग चकराने लगा उसने संध्या की बातों पर यकीन होने लगा अब उसे सारा खेल समझ आने लगा कि विनीत उससे शादी करने को क्यों तैयार हो गया था उसने तो सिर्फ उसके पैसे से शादी किया था वह उसका इस्तेमाल करता है।



अगले दिन आरती ऑफिस नहीं गई।  और उसने विनीत से भी सुबह बात नहीं किया वह बहुत गुस्से में थी विनीत ने भी आरती से कुछ नहीं पूछा क्योंकि विनीत को भी लग रहा था कि आरती को उस पर शक होने लगा है।  रोजाना विनीत काम का बहाना बनाकर ऑफिस से लेट आता था। आरती इस पर ध्यान नहीं दे दी थी। लेकिन आज रात को वह बालकनी में बैठकर विनीत का इंतजार कर रही थी।

9:30 बजते ही  एक कार दूर से ही आती दिखाई दी।  आरती बालकनी से अंदर अपने रूम के दरवाजे पर छिप गई। कार आरती के दरवाजे पर रुकी और उससे विनीत निकला और उसी समय एक लड़की भी निकली,  आरती ने देखा यह तो प्रीति है, प्रीति और विनीत दोनों एक दूसरे को गले लगे और फिर एक दूसरे को किस करने लगे। फिर थोड़ी देर बाद प्रीति उसी कार में वापस चली गई।

आरती को इस बात का यकीन हो गया था,  प्रीति और विनीत के बीच कुछ चल रहा है।  विनीत घर आया आरती ने विनीत को खाना खिलाया और सो गई।  आरती को विनीत के फोन का पासवर्ड पता था उसने उसका फोन से प्रीति का नंबर निकाला।

अगले दिन आरती ने प्रीति को दिन में कॉल मिलाया और वह बोली वह आरती  बोल रही है और वह प्रीति से मिलना चाहती है बहुत जरूरी काम है। प्रीति बोली कि आप कौन हो पहले यह तो बताओ।  आरती ने बोला कि आप आ जाओ मिलने वही सब बता दूंगी आपसे मुझे मिलना बहुत जरूरी है।

प्रीति और आरती एक रेस्टोरेंट में मिले।  आरती ने जब से बताया कि वह विनीत की पत्नी है।    प्रीति के नीचे भी जमीन खिसक गया क्योंकि वह विनीत से प्यार करती थी उसे पता ही नहीं था आज तक की  विनीत शादी कर चुका है हर साल प्रीति को यही कह कर टाल देता था कि अगले साल शादी करेंगे पिछले 5 सालों सेप्रीति  के साथ अपना रिश्ता चला रहा था।



आरती ने अपने फोन से अपने और अपने बेटे का भी फोटो दिखाया जो आरती के गोद में बैठा हुआ था।  प्रीति ने आरती से कहा इसका मतलब विनीत हम दोनों को के साथ खेल रहा है मैं अब अपने साथ विनीत को खेलने नहीं दूंगी उसे आज ही मजा चखाउंगी।  आरती तुम भले शरीफ हो, लेकिन मैं शरीफ नहीं हूं, औरतों के जीवन से खेलने का नतीजा क्या होता है। मै बताती हूँ।

आरती बोली ठीक है बहन मैं जा रही हूं तुम्हें जैसा ठीक लगे करना।  मैं तो अब आज से ही विनीत का घर छोड़ कर जा रही हूं।

आरती अपने घर वापस आई और अपना सामान उठाई और अपने बच्चे के साथ चल दी’।  आरती के ससुराल वालों ने बोला कहां जा रही हो बहू। आरती ने अपने ससुराल वाले को सारी बात बता दी।  असल में ससुराल वालों को भी विनीत के इस हरकत के बारे में पता नहीं था। वह तो सिर्फ पैसे की लालच में आरती से अपने बेटे की शादी करवा दिए थे।  आरती के ससुर ने कहा बेटी रुक जाओ हम विनीत को समझाएंगे।

 आरती ने कहा पापा जी अब बहुत देर हो चुका है अब समझने समझाने का वक्त नहीं है जो इंसान मुझे 3 सालों से धोखे में रखा उसके साथ में जीवन कैसे गुजार सकती हूँ।  मैं तो अपनी सहेली का धन्यवाद करती हूं जिस ने मुझे विनीत के बारे में पता करने के लिए बताया। वरना पूरी जीवन मुझे धोखा देता रहता और उस लड़की प्रीति को भी।

उस दिन शाम को प्रीति जब विनीत के ऑफिस पहुंची तो विनीत उदास बैठा था।  उसे इस बात का पता चल गया था कि आरती उसे छोड़ कर जा चुकी है। लेकिन विनीत को यह बात पता नहीं था की आरती प्रीति से भी मिल चुकी है।

प्रीति ने प्यार से विनीत से  पूछा क्यों उदास बैठे हो। बस ऐसे ही यार।  प्रीति ने कहा ऐसे ही, या आरती तुम्हें छोड़ कर चली गई है इसलिए।  विनीत ने कहा तुम्हें कैसे पता ये सब प्रीति ने कहा मुझसे आरती मिली थी उसी ने मुझे आज तुम्हारी सच्चाई बताई है।  तुम कितने धोखेबाज हो, तुम हम दोनों के साथ खेलते रहे। प्रीति ने अपने हाथ में अपना सेंडिल निकाला और विनीत को मारना शुरू कर दी।  तूमने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी तुमने मुझे कहीं का ना छोड़ा पूरे शहर में सब जानते हैं तुम से ही मेरे पति हो, सिर्फ शादी करना ही बाकी है।  मैं तो अपने परिवार वालों को भी बता चुकी हूं कि बहुत जल्द तुमसे शादी करने वाली हूँ। तुमने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा लेकिन मैं भी तुम्हें बर्बाद कर दूंगी प्रीति उसी समय थाने में गई और विनीत के ऊपर  5 साल से शारीरिक शोषण करने का इल्जाम लगाया।

आज विनीत भले सलाखों के अंदर हैं लेकिन उसने दो-दो जिंदगियां बर्बाद कर दी है जिसकी भरपाई उसकी कैद नहीं कर सकती है।

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