हाँ मै नहीं हूँ परफेक्ट बहु

हां मैं नहीं हूं परफेक्ट बहू जो परफेक्ट है उसी से आप अपने लड़के की शादी कर दीजिए, थक गई हूं मैं यह शब्द सुन सुनकर नहीं रहना चाहती मैं अब इस घर में,  मैं सोच रही थी चलो कोई बात नहीं लेकिन अब मेरे बस की नहीं है. इतना कह कर प्रिया अपने 6 माह के बच्चे को पेट में लिए और अपना बैग लेकर स्टेशन की तरफ चल दी. लेकिन ससुराल के किसी भी सदस्य ने प्रिया को एक बार भी रुकने के लिए नहीं कहा, ना ही उसका पति विनय और ना ही सास-ससुर ने.  शायद वह एक बार रोकते तो वह रुक भी जाती लेकिन जब किसी ने रुकने को नहीं कहा तो गुस्से में स्टेशन पहुंच गई. स्टेशन पर बैठकर अपने मायके जाने वाली ट्रेन का इंतजार करने लगी. इंतजार करते-करते प्रिया अपने पुराने दिनों में खो गई. 

  प्रिया अपने मां-बाप की इकलौती बेटी थी घर में बेटा नहीं होने के कारण प्रिया को बेटा और बेटी दोनों का प्यार मिला.  प्रिया के मां बाप ने शुरू से ही अपनी बेटी को बेटे जैसा प्यार दिया, जो प्रिया को मन करता उसके पापा वह सब कुछ करते थे, प्रिया को बचपन से ही क्रिकेट खेलना पसंद था और वह स्कूल के दिनों से ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दी थी. 

 जैसे जैसे वह बड़ी होती गई क्रिकेट खेलने में भी अच्छी होती गई. प्रिया अपने स्कूल के तरफ से बहुत सारे मेडल जीत चुकी थी.  वह तो जिला स्तरीय महिला क्रिकेट टीम में भी भाग लेती थी. प्रिया का सपना था कि वह अपने देश के राष्ट्रीय महिला क्रिकेट टीम में ऐज ए बैट्समैन खेलें. 



लेकिन कुछ सपने सिर्फ सपने ही रह जाते हैं वह पूरा कभी नहीं हो पाते हैं.  ऐसा ही हुआ प्रिया के साथ वह तो अभी सिर्फ 19 वर्ष की ही थी तभी उसके मामा, प्रिया के लिए एक रिश्ता लेकर आए.  लड़का कानपुर में एक सरकारी बैंक में मैनेजर था. दहेज की मांग भी कुछ ज्यादा नहीं था. 

 प्रिया इतनी सुंदर थी कि उसकी सुंदरता पर प्रिया के ससुराल वाले मोहित हो गए थे. प्रिया के पापा का अभी मन नहीं था कि बेटी कि वह शादी करें क्योंकि अभी इसकी उम्र ही क्या हुई थी 19 वर्ष कोई ज्यादा थोड़ी था, वह अपनी बेटी को बहुत आगे बढ़ते  हुए देखना चाहते थे. 

 लेकिन प्रिया की मां ने  प्रिया के पापा से कहा देखो जी बेटी का हाथ जितना जल्दी पीला  कर दिए जाए उतना ही अच्छा होता है, आखिर बेटियां पराया धन होती है और लड़का इतना अच्छा मिल रहा है, शादी कर प्रिया का जीवन सुरक्षित हो जाएगा और फिर वह ससुराल ही जा रही है जेल थोड़ी जा रही है, क्रिकेट खेलने का मन है तो अपने ससुराल से भी खेल सकती है.  

प्रिया के मायके वालों को क्या पता ससुराल कहने में तो अच्छा लगता है लेकिन एक लड़की के लिए जेल से कम भी नहीं होता है उसकी सारी आजादी छिन जाती है उसके मन का कुछ भी नहीं हो पाता है हर बात के लिए चाहे अपने पति और अपने सास से उसे आज्ञा लेनी होती है. बहुत कम ही ससुराल ऐसा होता होगा जहां पर एक बहू को खुद के फैसले लेने की आजादी होती होगी। 

 प्रिया को जब यह बात पता चला प्रिया  के मां बाप ने प्रिया से बिना पूछे उसकी शादी तय कर दी, प्रिया बहुत गुस्सा हुई और उसने दो-तीन दिन तक तो खाना भी नहीं खाया।  लेकिन वह कब तक रूठी रहती प्रिया को आखिर हार मानना ही पड़ा। 

1 सप्ताह के अंदर ही लड़के वाले प्रिया को देखने के लिए प्रिया के घर आए और उन्होंने साथ के साथ ही प्रिया की और विनय  की सगाई भी कर दी. 



उस दिन के बाद से विनय और प्रिया रोजाना एक घंटा फोन पर बात करते थे.  धीरे धीरे प्रिया को भी विनय से प्यार हो गया और उसे लगने लगा शादी के बाद वह अपने हर सपने को पूरा कर सकती है जो उसने देखा है विनय उसकी हर बात में हां में हां मिलाता था. प्रिया को अब शादी के लिए एतराज नहीं था. आज से 6 महीने के बाद शादी की तारीख का तय हुई. शादी कर प्रिया दुल्हन के लिबास में अपने ससुराल पहुंच चुकी थी. 

शादी के 1 महीने तक तो प्रिया के सास ने उसे  ससुराल में कुछ भी काम नहीं करने देती थी. प्रिया की सास ही खाना बना देती थी प्रिया सिर्फ खाना निकाल कर सब को परोस देती थी, प्रिया मन ही मन सोचती थी कितना अच्छा है उसका ससुराल, भगवान करे हर लड़की को ऐसा ही ससुराल मिले जहां पर उसे मायके की कमी न खले।  विनय भी प्रिया का बहुत ख्याल रखता था. प्रिया को ऐसा महसूस होता था कि उसकी शादी अरेंज मैरिज नहीं बल्कि लव मैरिज हुई है सप्ताह में 1 दिन विनय प्रिया को डिनर के लिए बाहर जरूर लेकर जाता था. 

 लेकिन बकरे की मां कब तक खैर मनाती। किसी ना किसी दिन तो बकरे को कटना ही है  अभी तो सिर्फ एक महीना ही बीता था.

शादी के 1 महीने बाद ही प्रिया के  सास ससुर 15 दिन की तीर्थ यात्रा पर हरिद्वार और वैष्णो देवी के लिए निकल चुके थे अब घर में सिर्फविनय और  प्रिया रह गए थे. पहले तो घर का सारा काम प्रिया की सास करती थी लेकिन अब तो वह थी ही नहीं इसलिए घर का सारा काम प्रिया को ही करना पड़ता था, लेकिन प्रिया को इस बात के लिए कोई एतराज नहीं था क्योंकि प्रिया किसी गैर के घर थोड़ी कर रही थी वह तो उसका खुद का ससुराल था यानी उसका  खुद का घर था. 

सुबह 6:00 बजे प्रिया जब सोकर उठती थी और रात के 11:00 कब बज जाते थे उसे खुद ही पता नहीं चलता था सुबह उठकर सबसे पहले पति के लिए बेड  टी बनाओ फिर उनका नाश्ता तैयार करो. घर की साफ सफाई करो. प्रिया के हस्बैंड का ऑफिस घर से पास ही था तो दोपहर में पहले प्रिया की सास लंच देने भी जाती थी अब वह थी ही नहीं इस वजह से प्रिया को ही लंच भी पहुंचाने जाना पड़ता था. 



विनय  पहले तो  अपना हर काम कर लेता था लेकिन शादी के बाद धीरे-धीरे वह भी आलसी होता गया, वह हर काम प्रिया  से ही करवाने लगा वह पहले अपने कपड़े तक प्रेस कर लेता था लेकिन अब वह सब प्रिया को ही सौंप देता था प्रिया मेरे कपड़े प्रेस कर देना।  यहां तक जूते भी पॉलिश करने के लिए प्रिया को ही कह देता था. लेकिन प्रिया को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था वह यही सोचकर हर काम कर देती थी कि आखिर वह भी तो दिन भर कमाने जाते हैं आखिर वह कमाएंगे  नहीं तो घर का खर्चा कैसे चलेगा। 

1 सप्ताह तो सब कुछ ठीक-ठाक चला 1 सप्ताह के अंदर ही विनय, प्रिया  के हर काम में कमी निकालना शुरू कर दिया, वह कपड़े प्रेस करती विनय उसके लिए भी प्रिया  को डांटने लगता तुम्हे कपड़े प्रेस करने भी नहीं आता है मायके से कुछ सीख़ कर नहीं आई हो क्या ।  ऐसे कोई जूता पॉलिश करता है पता नहीं अक्ल कहां चली जाती है 

इससे अच्छा तो मैं ही पॉलिश कर लूं.  प्रिया कोई भी जवाब नहीं देती थी सिर्फ चुपचाप सुन लेती थी वह मन ही मन सोचती थी वह कोई मोची थोड़ी है जो पॉलिश करने में एक्सपर्ट हो वह तो बस कर देती है आज तक मायके में उसने एक चाय तक नहीं बनाया था.  ससुराल में आकर हर काम करते जा रही हैं. 

15 दिन बाद प्रिया के सास ससुर भी तीर्थ यात्रा कर कर वापस आ गए थे.  प्रिया को अब लगा चलो सास उसकी आ गई है अब तो पहले से थोड़ा आराम हो जाएगा इतना सारा काम नहीं करना पड़ेगा।  पहले उसकी सास थी तो कितना अच्छा था. लेकिन प्रिया को क्या पता था इस बार सब कुछ उल्टा होने वाला है सूरज पूरब से नहीं बल्कि पश्चिम से उगने वाला है. 

प्रिया की सास  तीर्थ यात्रा से आने के बाद ही पैर दर्द का बहाना बनाना शुरू कर दिया और प्रिया से बस यही कहती थी कि उनसे तो अब खड़ा भी नहीं होया जाता है.  प्रिया भी अब कैसे कहती उनको कुछ करने के लिए प्रिया को क्या पता था कि उसकी सास काम नहीं करने के लिए बहाने बना रही हैं. 



 अब प्रिया को ही घर के सारे काम करने पड़ते थे सास  अब घर का कोई काम नहीं करती थी. प्रिया मन ही मन सोचती थी ऐसे तो सासु मां कहती हैं कि मेरे पैरों में बहुत दर्द है चला ही नहीं जाता है और जब बेटी से फोन पर बात करती हैं तो बताती हैं कि वह आज  दो बार पार्क के चक्कर लगाकर आ रही हैं. 

प्रिया उम्र में छोटी जरूर थी लेकिन बेवकूफ नहीं थी वह अब समझ गई थी कि उसकी सास काम नहीं करने के लिए यह सब स्वांग रचा है. प्रिया को समझ आ गया था कि ससुराल कभी भी मायका  नहीं हो सकता है ससुराल तो एक सोने का पिंजरा होता है जहां पर सिर्फ लुभावनी बातें होती हैं. प्रिया ने इसे अपनी नियति मानकर अपना दिन गुजारने लगी. 

 कुछ दिनों के बाद प्रिया गर्भवती हो गई.  प्रिया से पहले जितना अब काम नहीं हो पाता था पेट में भी अक्सर दर्द रहता था लेकिन फिर भी वह जैसे तैसे कर कर घर का काम करती ही थी.  प्रिया के अपने पति से बहुत गुजारिश करने के बाद घर में एक बाई को रख लिया गया था. 

विनय  तो अब प्रिया से बात भी नहीं करता था हमेशा प्रिया में कमी निकालता रहता था, पहले जो प्रिया उसे हूर की परी नजर आती थी अब वह उसकी तरफ देखता भी नहीं था. प्रिया की सासु मां भी हमेशा प्रिया को किसी ना किसी बात पर ताने देते रहती थी  बहु तुम्हे शादी कर के आए 5 महीने से भी ज्यादा हो गए अभी तक तुम्हें खाना बनाने नहीं आया, कभी सब्जी में नमक तेज डाल देती हो तो कभी नमक डालती ही नहीं हो, पता नहीं तुम्हारे मम्मी पापा ने क्या सिखाया हमें तो लगा था कि हम घर में एक परफेक्ट बहू लेकर आए हैं लेकिन मुझे तुममें  कहीं से भी कोई परफेक्ट बहू वाली बात नजर नहीं आता है. 

मेरे पति विनय और मेरी सासू मां दोनों जब एक साथ बैठते  थे तो मेरा मजाक बनाते रहते थे दोनों मिलकर मुझे दिन-रात ताने सुनाते थे मेरी हर छोटी-छोटी बातों पर रोकने टोकने की शुरुआत हो चुकी थी. 



सासु मां हमेशा अपनी बेटी से मेरी तुलना करती थी यानी कि मेरी ननद पुष्पा से मेरी तुलना कि मेरी बेटी ऐसी है और इस तरह खाना बनाती है कि ससुराल वाले सब उंगलियां चाटते रहते हैं.  मेरी बेटी पुष्पा की सास कितनी तारीफ करती है मेरी बेटी की. अगर तुम मेरी बेटी जैसी 10 परसेंट भी अपने आप को बना लो तो मेरा जीवन धन्य हो जाएगा। तुम्हारे मामा ने हमें फंसा दिया तुम्हारे मामा ने तो कहा था कि तुम्हें सब कुछ आता है जैसा हम बहु  खोज रहे हैं वह सारे गुण तुम्हारे अंदर है लेकिन हमें तो नहीं लगता कि तुम्हारे अंदर कोई भी गुण है सिर्फ बड़े-बड़े बातें बोलने आता है. 

गर्मी की छुट्टियों में मेरी ननद  आने वाली थी हमने सोचा चलो जब दीदी आ जाएंगी तो कुछ तो आराम हो जाएगा लेकिन जैसे दीदी आई  आराम क्या और आराम, हराम हो गया और कितने लोगों के काम कैसे भी करके करती थी अब उनके लिए भी करना पड़ रहा था वह भी अपना छू कर भी काम नहीं करती थी.  मैंने कैसे भी कर कर खाना बना ही दे दी थी मैंने सिर्फ शाम को अपनी ननद से कहा कि दीदी मैंने खाना बना दिया है पेट में दर्द हो रहा है आप खाना परोस दीजिए।  मेरा इतना कहना था कि मेरी सासू मां ने कहा बहुत तुम्हें खाना निकालना है तो निकाल दो वरना जाकर आराम करो कुछ दिनों के लिए तो बेटी मायके आती है कि आराम मिलेगा यहां पर भी आकर काम ही करना पड़े तो कोई मायके क्यों आए. 

चुपचाप रसोई में जाकर खाना निकाल कर सब को परोसने लगी मैं समझ गई थी कि कोई मेरा हाथ बताने वाला नहीं है बिना भी चुपचाप देखते रहते थे लेकिन कभी भी मेरी किसी भी काम में मदद नहीं करते थे.  मैं कई बार उन्हें मदद के लिए कहती तो वह अपने मर्द होने का वास्ता देकर चुप करा देते थे यह सब मर्द का काम है क्या यह सब औरतों का काम है दिनभर कमाओ भी मैं और घर का भी काम करो तुम क्या यहां पर सिर्फ रोटी तोड़ने के लिए आई हो. 

 1 दिन दोपहर में हम लोग बैठे हुए थे मैंने सासू मां से कहा सासु मां आप तो कहती थी कि दीदी राजमा बहुत अच्छा बनाती हैं क्यों ना आज दीदी ही बनाएं। विनय भी बोले हां हां प्रिया सही कह रही है दीदी राजमा चावल तुम ही बनाओ। 



प्रिया को सास को यह  बात पता था कि उसकी बेटी पुष्पा को कुछ भी खाना सही से बनाना नहीं आता है वह तो झूठ मूठ की अपनी बेटी की बड़ाई  करती रहती है. खाना नहीं बनाने की वजह से पुष्पा को भी अपने ससुराल में कितना सुनना पड़ता है. लेकिन अब बात इज्जत की हो गई थी पुष्पा किचन में जाकर राजमा चावल बनाने लगी कुछ देर के बाद  पुष्पा ने आवाज दिया भाभी राजमा चावल तैयार हो गया है प्लेट लाइए सबके लिए खाना निकालते हैं. 

 खाना निकालने से पहले प्रिया ने सोचा पहले राजमा थोड़ा चक लेती हूं जब प्रिया ने राजमा चखा देखा इसमें इतना ज्यादा नमक डाला हुआ था कोई उसे खा ही नहीं सकता था और राजमा के अंदर इतना पानी था ऐसा लग रहा था कि राजमा नहीं तालाब में राजमा डाल दिया गया हो सिर्फ पानी पानी ही दिख रहा था मसाले भी सही तरह से भुने हुए नहीं थे.  लेकिन प्रिया ने कुछ नहीं कहा जैसा पुष्पा ने बनाया था वैसे ही सब को परोस दिया था. 

 खाने के टेबल पर जैसे ही राजमा चावल रखा सासु मां और मेरे पति विनय और ससुर सब राजमा चावल खा गए और किसी ने कुछ भी नहीं कहा कि वह खराब है या अच्छा है अगर यही राजमा में बनाई होती फिर तो घर में महाभारत ही होना था.

लेकिन मैं अब मैं भी खुलेआम  विद्रोह के मूड में आ गई थी जब मैं घर के किसी के नजर में परफेक्ट बहू ही नहीं मेरी हर बात पर हर काम पर कमी ही निकालनी है तो मैंने भी सोचा कहीं देती हूं आप सब लोगों को यह राजमा चावल तो बहुत अच्छा लगा होगा ना सही तरीके से मसाला भुना हुआ है और राजमा में इतना सारा नमक डाला हुआ है फिर भी आप लोगों ने किसी ने भी एक बार भी नहीं कहा नमक ज्यादा है.  आप लोगों का दोहरा चरित्र मुझे पसंद नहीं है अगर बेटी वही काम करें तो बिल्कुल अच्छा और बहू कर दे तो गलत हो गया. ये परफेक्ट बहू का नाटक अब मुझसे नहीं होगा थक गई हूं. मैं आखिर क्या क्या सपने लेकर आई थी ससुराल में आने के बाद भी अपना क्रिकेट खेलना जारी रखूंगी, लेकिन जब भी मैं क्रिकेट की बात करती विनय यही कहकर चुप करा देते थे कि अभी रुक जाओ अभी नई-नई तो शादी करके आई होजो पसंद हो सब कुछ करना थोड़ा टाइम तो दो.  लेकिन मुझे नहीं लगता है कि इस घर में मुझे अपने सपने पूरा करने की आजादी मिलेगी जा रही हूं मैं. 



 तभी ट्रेन के माइक में अनाउंस हुआ  यात्रीगण ध्यान दें इटावा जाने वाली ट्रेन कुछ ही देर में आने वाली है प्रिया ने अपना बैग उठाया और ट्रेन में बैठ गई. ट्रेन में जैसे ही बैठी प्रिया का मां का फोन आया, प्रिया के मां को प्रिया के ससुराल वालों ने प्रिया  के बारे में गलत सलत बताकर भड़का दिया था. प्रिया की मां ने फोन पर कहा बेटी शादी के बाद ससुराल ही लड़की का घर हो जाता है और छोटी-छोटी बातों पर घर नहीं छोड़ा जाता है. तुम्हें मुझसे मिलने आना था तो तुम प्यार से आ जाती लेकिन इस तरह से घर छोड़ कर आना सही बात नहीं है. प्रिया के मां ने कहा चलो अब घर से तुम निकाली गई हो तो आ जाओ आकर  बात करते हैं. 

 प्रिया 3 घंटे के बाद अपने  मायके पहुंच चुकी थी प्रिया के ससुराल वालों ने प्रिया के मां के कान भर दिए थे लेकिन प्रिया की मां को अपनी बेटी पर विश्वास था उसे पता था कि उसकी बेटी कभी भी गलत नहीं कर सकती है.  अपनी बेटी को भी समझाया बेटी कुछ भी हो तुम्हें छोड़कर नहीं आना चाहिए था.  

प्रिया ने कहा,” मां अगर मैं तुम्हारे पास नहीं आती तो मैं कुछ दिनों बाद ही तनाव से आत्महत्या कर लेती कितना भी कर लेती थी हर चीज में ताने सुनने का मिलता था.  मेरे से तो अब कोई काम भी नहीं होता था फिर भी मैं हर काम करती थी, मैं तो तुम्हें फोन भी करने वाली थी कि मुझे अपने पास बुला लो जब तक मैं बच्चे को जन्म ना दे दूँ . 

 शाम को प्रिया के पापा जब घर पर आए उन्होंने सुना तो उन्होंने भी अपनी बेटी को ही सपोर्ट किया क्योंकि उन्होंने अपनी बेटी को एक बेटी की तरह नहीं बल्कि बेटा की तरह पाला था और उन्हें अपनी बेटी पर विश्वास था जो मेरी बेटी कह रही है सच है, उन्होंने बोला कोई बात नहीं तुम्हे  जब तक रहना है रहो और जब तक तुम बच्चे को जन्म नहीं दोगी यहां से कहीं नहीं जाओगी। 

अब प्रिया के ससुराल वालों का भी फोन नहीं आता था प्रिया ने कई बार विनय  को फोन लगाया लेकिन विनय हमेशा फोन काट देता था प्रिया ने भी गुस्से में फोन करना छोड़ दिया धीरे-धीरे समय गुजरा और   प्रिया ने एक सुंदर से बच्चे को जन्म दिया। हॉस्पिटल से ही प्रिया ने अपने पति विनय को फोन किया फिर भी विनय ने फोन नहीं उठाया यहां तक कि विनय  के व्हाट्सएप पर भी प्रिया ने फोटो भेजा अपने बेटे का लेकिन फिर भी विनय का कोई रिप्लाई नहीं आया. 



 कुछ दिनों बाद प्रिया के पापा, प्रिया के ससुराल भी जाकर प्रिया के पति विनय  और ससुर से भी कहा कि जो भी प्रिया ने किया उसकी माफी, मैं मांगता हूं प्लीज प्रिया को आप लोग वापस बुला लीजिए।  प्रिया के पति विनय ने कहा देखिए ससुर जी ने प्रिया को हम लोगों ने न यहां से भगाया था और ना ही हम लेने जाएंगे वह खुद अपने आप यहां से गई थी और अपने आप से ही यहां आएगी।  प्रिया के पापा ने कहा दामाद जी बेटी मायके से अपने आप ससुराल जाए क्या यह अच्छा लगता है. 

 विनय ने गुस्से में कहा कि ठीक है फिर आप अपने पास ही रख लीजिए मैं नहीं आने वाला हूं प्रिया को लेने के लिए।  

प्रिया के पापा भी अब गुस्से में हो गए थे. विनय से कहा मुझे नहीं पता था दामाद जी आप इस तरह के इंसान हो अगर पता होता है कि आप ऐसे हो तो मैं अपनी फूल सी बच्ची की शादी कभी भी आपसे नहीं करता। 

 पहले तो मैं आपसे सोचा माफी मांग कर अपनी बेटी को आपके साथ रहने के लिए मना लो लेकिन अब मैं खुद नहीं चाहता हूं कि मेरी बेटी यहां आ कर रहे.  मैं तो अपने घर में किसी को बताकर भी नहीं आया हूं कि आप लोगों से मैं मिलने आया हूं. भले मैं अपनी बेटी की दूसरी शादी कर दूंगा लेकिन आप लोगों के घर कभी नहीं भेजूंगा। 

 समय बीतता गया प्रिया के ससुराल वालों ने कभी भी प्रिया से संपर्क करने की कोशिश नहीं की और धीरे-धीरे प्रिया भी अपने ससुराल के बारे में भूल चुकी थी वह अपने बेटे के साथ इतना व्यस्त रहती थी कि लोगों की चिंता करने कि उसके पास समय ही नहीं था.



  धीरे-धीरे प्रिया का बच्चा 2 साल का हो गया प्रिया भी अब सोच रही थी कि वह भी कुछ जॉब कर ले कब तक घर में बैठी रहेगी प्रिया के बच्चों को देखने के लिए उसकी मां थी ही ।  प्रिया की एक दोस्त ने बताया बगल में जो स्कूल है उसमें क्रिकेट कोच की जरूरत है तुम चाहे तो अप्लाई कर सकती हो. 

 प्रिया ने उसी स्कूल में क्रिकेट कोच के लिए अप्लाई कर दिया इंटरव्यू में प्रिया के पीछे के खेल के परफॉर्मेंस को देखकर सिलेक्शन हो गया था. 

प्रिया अब नौकरी के साथ साथ ही अपने खेल को भी जारी रखा.  प्रिया का सिलेक्शन राज्य के महिला क्रिकेट टीम में हो गया था. प्रिया भले एक परफेक्ट बहु ना बन सकी हो लेकिन एक परफेक्ट मां और परफेक्ट क्रिकेट कोच और परफेक्ट क्रिकेट खिलाड़ी जरूर बन गई थी. 

 दोस्तों इस कहानी से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि हमारे जीवन में बाधाएं आएंगी बाधाओं  का काम है आना लेकिन नदियों का काम रुकना नहीं है वो रो चलती जाती है रास्ते में चाहे कितने भी बड़ा पहाड़ आए पत्थर आए सब को चीर कर आगे बढ़ जाती है वैसे ही होता है एक नारी का जीवन. अगर प्रिया अपनी ससुराल की कठिनाइयों से हार मान जाती तो एक हाउसवाइफ बन कर रह जाती लेकिन उसने उसने का सामना किया और आज अपने आप को आत्मनिर्भर बनाया और अपनी जिंदगी आत्म सम्मान से जी रही है. 

copyright:Mukesh Kumar;

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