मृत्यु का भय

एक बार की बात है महात्मा गौतम  बुद्ध शाम के समय अपने मठ में बैठे हुए थे.  तभी उनका सबसे प्यारा शिष्य आनंद कहीं से क्रोधित होकर आया और महात्मा गौतम  बुद्ध से बोला, “ गुरु जी आप दिन भर इतने प्यार से सभी लोगों से कैसे मिल लेते हैं आपको क्या किसी पर क्रोध नहीं आता, कोई आप को भला बुरा कहता है फिर भी उसे आप प्यार से ही मिलते हैं गुरु जी क्या आप मुझे अपने अच्छे व्यवहार का रहस्य बता सकते हैं.”

महात्मा गौतम  बुद्ध बोले, “आनंद मुझे अपने रहस्य के बारे में तो पता नहीं लेकिन मैं तुम्हारा रहस्य जरूर बता सकता हूं”  आनंद आश्चर्यचकित होकर बोला मेरा रहस्य क्या है गुरु जी मैं जानना चाहता हूं. 

महात्मा गौतम बुद्ध ने आनंद को बोला तुम अगले 1 सप्ताह के अंदर यह दुनिया छोड़कर जाने वाले हो, मुझे इस बात का दुख है कि तुम मेरे सबसे प्यारे शिष्य हो और 1 सप्ताह बाद तुम मरने वाले हो. 

 अगर यह बात कोई और कहता तो आनंद  शायद उसकी बात पर यकीन नहीं करता कि कोई आदमी किसी का भविष्य कैसे बता सकता है लेकिन जब महात्मा गौतम  बुद्ध ने यह बात बोली तो उस पर तो विश्वास करना ही पड़ा. आनंद उसी समय महात्मा जी से आशीर्वाद लेकर वहां से चला गया. 



 महात्मा जी के मठ से निकलते ही आनंद का स्वभाव बिल्कुल ही बदल गया था वह आया था बहुत क्रोधित लेकिन जाते वक्त बिलकुल शांत हो चुका था वह अब हर किसी से प्रेम से मिलता था यहां तक कि किसी से भी क्रोध नहीं करता था अपना ज्यादातर समय अब लोगों की सेवा करने में गुजारने लगा और बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में लगाने लगा हर एक आदमी से मिलने लगा जिसे उसने कभी दुख पहुंचाया था और उनसे वह माफी भी मांगता था. 

 ऐसा करते करते 1 सप्ताह बीत गया आनंद ने सोचा आज इस दुनिया में मेरा आखिरी दिन है आखिरी बार महात्मा गौतम  बुद्ध का दर्शन करके आता हूं और वह मठ पहुंच गया.महात्मा जी से बोला गुरु जी अब मेरा समय पूरा हो गया है आज आखिरी दिन है मेरा इस दुनिया में इसीलिए मुझे आशीर्वाद दीजिए कि मैं दूसरा जन्म भी लूं तो कभी क्रोध ना करूं सब से प्यार से मिलूं और  और सेवा भाव करते रहूं. 

 महात्मा जी ने कहा मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है  आनंद. लेकिन सबसे पहले मुझे यह बताओ यह पिछले 7 दिन तुम्हारा कैसा गुजरा क्या तुम पहले की तरह अब भी क्रोधित होते हो जो लोग तुम्हारे बारे में कुछ अपशब्द कह देते हैं. 

 आनंद ने कहा नहीं नहीं गुरुजी बिल्कुल नहीं अब तो मेरे पास जीने के लिए सिर्फ एक सप्ताह था मैं इस बेकार की बातों में कहां फंसने वाला था मैं तो सब से हंसकर और मुस्कुरा कर मिलता था जिससे मेरी कभी दुश्मनी भी हो गई थी उनसे भी मैं जाकर मिला आया हूं.



गौतम  बुद्ध मुस्कुराए और आनंद से बोले बस यही तो मेरे अच्छे व्यवहार का रहस्य है आनंद। 

 मैं जानता हूं कि मैं कभी भी मर सकता हूं क्योंकि यह शरीर नश्वर है जो इस दुनिया में आया है उसे एक बार जाना है इसलिए अपना जीवन बेकार की बातों में क्यों खत्म करना क्यों किसी से विरोध करना सबसे प्रेम पूर्ण व्यवहार करना चाहिए और प्रेम से ही सब के साथ मिलना चाहिए। 

 आनंद समझ गया था यह मृत्यु का भय मुझे शिक्षा देने के लिए महात्मा जी ने दिखाया था. 

 उस दिन के बाद से आनंद पूरी तरह से बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में लग गया गौतम  बुद्ध के मरने के बाद बौद्ध धर्म की कमान आनंद ने संभाली और उसे बहुत तेजी से प्रचार-प्रसार किया। 

दोस्तों  कहने का मतलब यह है कि यह जिंदगी वास्तव में 7 दिन की है क्योंकि सप्ताह के दिन 7  होते हैं अब हम पर निर्भर करता है यह 7 दिन हम प्रेम से गुजारते हैं या क्रोध से. 

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