नेक शुरुआत… –   प्रीता जैन

डॉक्टर मेघा का ध्यान रह रहकर मेज पर रखी उस सोने की चेन पर जा रहा था जो थोड़ी देर पहले मिसेज जिन्दल पोता होने की खुशी में देकर गई थीं| सब कुछ इतना जल्दबाज़ी व अप्रत्याशित ढंग से हुआ कि मेघा समझ ही ना पाई क्या देकर जा रही हैं और ऐसा क्यों कर रही हैं? उसने तो डॉक्टर होने के नाते बच्चे को जीवन दिया था लड़का या लड़की उसे कोई फर्क नहीं पड़ता, उसके हाथों से तो एक नवजात शिशु दुनिया में आया था शायद मिसेज जिंदल को लगा मेरी वजह से लड़का पैदा हो गया इस ख़ुशी में देकर गई हैं| आज उसका अंतर्मन फिर परेशान तथा बेचैन हो गया कहीं ना कहीं इस लड़के-लड़की का भेद मिटाने की चाहत ने ही उसे गायनोकोलॉजिस्ट बनने को मजबूर किया था याद आने लगे वो दिन, जब कहीं लड़का होने की खुशी मनाई जाती तो घर पर दादी तीनों बहनों को अपनी सोच का निशाना बना जोर-जोर से चिल्लाते हुए मां-पापा को लड़का ना होने की वजह से कोसती| लड़के बिना कैसे तो जीवन कटेगा, कैसे ये जीवन नैय्या पार होगी?
बार-बार यही कह बेचारे होने का उन्हें एहसास दिलाती रहती| जब भी मालुम होता कहीं लड़का हुआ है तो मेघा का बालमन सोचने लगता, दादी फिर अच्छा नहीं बोलेगी हम बहनों को सारा दिन किसी ना किसी बात पर डांटती ही रहेगी वैसे तो किसी के घर बेटा या भाई हुआ तो ख़ुशी की बात है पर हमारे लिए तो दुःख की बात हो जाती है|
मेघा बचपन से यही सब सोचते-विचारते बड़ी हो गई कि भविष्य में ऐसा कुछ ज़रूर करना है जिससे लड़की या लड़का जो भी दुनिया में आये, एक जैसा खुशी का माहौल हो ज़रा भी अलग अहसास ना होने पाए| हाँ! अभी दो-चार दिन पहले भी तो उसका मन आहत हुआ जब रानू मिली और खुश होते हुए बोली मेरे भाई की बहू तो हमारे लिए अच्छी ही रही पिछले साल शादी में अच्छा-खासा सामान लाके घर भर दिया और अब बच्चा हुआ तो वो भी लड़का, जैसा सोचा था उससे अच्छी ही निकली ऐसा सुनते हुए मेघा को लग रहा था मानो घर में कोई बेजान वस्तु खरीदी गई हो और सौदा फायदे का ही रहा| बहुत सी ऐसी बातें थी जो उसके जेहन में बसी हुई थी, वह परेशान होती रहती कि इतनी खुशी इतनी प्रसन्न्ता सिर्फ लड़का पैदा होने पर ही क्यों? हमारे समाज में पूजा-उपवास सिर्फ लड़के की ही लंबी उम्र खुशहाली के लिए रखे जाते हैं लड़की के लिए कुछ भी तो नहीं, आखिर क्यों और कब तक?
खैर! अब तक जो हुआ सो हुआ पर आइंदा से इस लड़के-लड़की के भेद को कम करते हुए अपने साथ के लोगों एवं नई पीढ़ी को इसके लिए जागरूक कर हरसंभव प्रयास करना है| पर कैसे? सोचने लगी वो, आज उसका मन अधिक ही व्याकुल हो रहा था व कुछ न कुछ निर्णय और सही फैसला लेने को अधीर तथा बेचैन भी| थोड़ी देर बाद उसे आशा की एक किरण नजर आई घंटी बजा अपने स्टाफ को बुलाया सबकी तरफ देख आत्मविश्वास के साथ कहना शुरू किया, आज एक
नेक कार्य में आप सबका साथ चाहती हूं उम्मीद है मुझे तहे दिल से सहयोग देंगे| हमारे द्वारा जो भी मासूम इस संसार में आएगा वो हम सब के लिए एक नन्हा प्यारा नवजात शिशु होगा ना कि लड़का या लड़की| हमारे समाज में वर्षों से जो कुप्रथा मानी जा रही है कि लड़का होने पर ही ख़ुशी मनाएंगे मिठाई बाँट गौरान्वित महसूस करेंगे इसे अब मिटाना ही होगा, इसके लिए मिलकर प्रण करना है अब ऐसा नहीं होगा जैसा हमारा बेटा वैसी ही बेटी दोनों ही आँखों के तारे हैं हमारे दुलारे हैं एक समान प्यार करते हुए परवरिश करनी है| हमारे हॉस्पिटल में यदि लड़की होने पर परिवारजन खुश नहीं दिखें तो उन्हें समझाएंगे बेटियां कितनी प्यारी होती हैं प्यार व धैर्य से बताएंगे ज़रा भी भेदभाव ना करते हुए भरपूर प्रेम स्नेह के साथ इन्हें पाल-पोसकर बड़ा करें आत्मनिर्भर बनाएं, हमारी कही बात का अवश्य उन पर असर होना चाहिए|
बहुत सोच-विचार कर मैंने एक फैसला लेते हुए छोटा सा प्रयास सार्थक करने का प्रण
किया है जब भी किसी परिवार में बेटी का जन्म होगा तो हम सब परिवारजन के संग मिलकर ख़ुशी मनाएंगे, हॉस्पिटल में सबका मुँह मीठा होगा इसके लिए मेरी तरफ से मिठाई आएगी| ये कुछ रुपए अलग से इस अलमारी में रख रही हूँ, आप में से जो भी सिस्टर ड्यूटी पर रहे जब भी बेटी हो अपनी जिम्मेदारी से तहे दिल से सभी का मुँह मीठा करवा ख़ुशी मनाएं| अपने जज्बात अपने मन की बात कह मेघा को बहुत ही सुकून मिला लगा, आज पहली बार इंसान होने के नाते किसी अच्छे कार्य की शुरुआत कर अपने फ़र्ज़ जिम्मेदारी को समझ पूरा करने की पहल कर रही थी|
एक-दो दिन ऐसी व्यस्तता में निकल गए आज भी समय नहीं मिलेगा बहुत काम हैं सोच ही रही थी तभी सिस्टर आती दिखीं| हाथ में मिठाई का डिब्बा और चेहरे पर खुशी साफ दिख रही थी बोली, मैडम रूम नंबर 12 में  बिटिया का जन्म हुआ है उसके लिए आपको बधाई! मुँह मीठा करें और सबको भी खिलाकर आती हूँ| हाँ-हाँ क्यों नहीं, मेघा ने जैसे ही खाया उसे महसूस हुआ आज से पहले इतना सुख-ख़ुशी कभी महसूस नहीं हुई आज उसकी अंतरात्मा बहुत खुश थी एक नेक कार्य की शुरूआत जो हो चुकी है|



प्रीता जैन

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