चमत्कार

एक गरीब परिवार था,  दिहाड़ी मजदूरी करके घर का गुजारा कैसे भी चल जाता था.  1 दिन उनका बेटा बीमार हो गया. सरकारी अस्पताल में इलाज करने के लिए ले गए डॉक्टर ने बताया कि उसके बेटे को कैंसर है और इसके इलाज के लिए बहुत सारा पैसा चाहिए। 

वह घर आकर अपनी पत्नी से सारी बातें बता रहा था कि हम चाह कर भी अपने बेटे को नहीं बचा सकते हैं क्योंकि हम इतने पैसे कहां से लाएंगे क्योंकि डॉक्टर 5 लाख  खर्चा बताया है, इतना तो लगेगा इलाज कराने में अगर आप इसका इलाज समय पर नहीं करोगे तो आप अपने बच्चे से हाथ धो बैठोगे हमारे पास तो कुछ बेचने को भी नहीं है तुम्हारे पास जो गहने हैं अगर उसको भी बेचें तो एक लाख से ज्यादा कर नहीं हो पाएगा,  समझ नहीं आता है क्या करें अब तो हमारे बेटे को कोई “चमत्कार” ही बचा सकता है. 

 पास में ही उस व्यक्ति की एक 5 साल की बेटी नेहा बैठी थी और वह अपने मम्मी पापा की बात सुन रही थी उसने थोड़ी देर के बाद अपना गुल्लक तोड़ा  और उसमें जितने भी पैसे थे सारे पैसे लेकर मेडिकल की दुकान पर चली गई. वहां साइड में एक अमीर आदमी मेडिकल शॉप पर दवाई लेने के लिए खड़ा था उसने उस बच्ची को देखकर दुकानदार से कहा भाई इस बच्ची को दवाई दे दो फिर हमें दे देना। 



दुकानदार ने उस लड़की से पूछा क्या चाहिए बेटी तुमको लड़की ने कहा अंकल मुझे चमत्कार खरीदना है. दुकानदार ने लड़की से बोला दुबारा से बोलो क्या चाहिए? लड़की ने बोली बोला तो मैंने चमत्कार चाहिए। दुकानदार बोला कि हमारे यहां चमत्कार नहीं मिलता है.

लड़की बोली कि जब सारी दवाइयां आपके यहां मिलती हैं तो चमत्कार क्यों नहीं मिलता है. जो अमीर आदमी बगल में खड़ा था उसने उस लड़की से पूछा बेटी आपसे किसने कहा कि जाओ चमत्कार खरीद के लिए आओ. 

लड़की ने कहा कि मुझसे किसी ने नहीं कहा चमत्कार खरीदने के लिए वह अपने मम्मी पापा की बात उस  आदमी से बता दी पापा मम्मी से कह रहे थे अब हमारे बेटे को कोई नहीं बचा सकता है बहुत बड़ा रोग हो गया है अब तो इसे सिर्फ चमत्कार ही बचा सकता है इसलिए मैं चमत्कार खरीदने के लिए आ गई. 

 अमीर आदमी ने कहा कितने पैसे लेकर आई हो लड़की ने ₹31 लेकर आई थी उसे अमीर आदमी को दे दिया अमीर आदमी ने कहा चलो अपने घर ले चलो मेरे पास चमत्कार है तुम्हारा भाई उससे ठीक हो जाएगा।



 वह आदमी लड़की के घर गया और उस परिवार को अपने पैसे से इलाज कराया और कुछ दिनों के बाद उस गरीब परिवार का लड़का ठीक हो गया. 

 कहानी का आशय यह है कि अगर हम किसी की मदद करने में सक्षम है तो हमें मदद जरूर करनी चाहिए क्योंकि भगवान हम सब ने बैठते हैं हमें यह देखना है कि हम इसके लिए भगवान बन जाते हैं क्योंकि हर आदमी किसी न किसी के लिए भगवान होता है आपको अपने अंदर के भगवान को पहचान करने की जरूरत है तो दोस्तों भगवान बनना बहुत मुश्किल काम नहीं है. 

बहुत ज्यादा बहुत ज्यादा है 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!