एक बार की बात है एक राजा के 4 पुत्र थे चारों अब 5 साल से ज्यादा के हो चुके थे राजा ने सोचा अब इनको शिक्षा लेने के लिए गुरुकुल में भेज देना चाहिए. राजा ने अपने मंत्री से कहकर राजगुरु को अपने महल में बुलवाया और उनको अपने राजकुमारों को शिक्षा देने के लिए साथ ले जाने के लिए कहा.
राजगुरु राजा की बात मानकर राजा के चारों पुत्रों को अपने साथ ले गए राजा के पुत्रों को 10 सालों तक शिक्षा प्रदान किया जब उनकी शिक्षा समाप्त हो गई तो राजगुरु ने कहा, “अब तुम्हारी आखिरी परीक्षा बची है अगर तुम इस परीक्षा में उत्तीर्ण हो गए तो माना जाएगा कि तुमने शिक्षा पूरी कर ली है। जो इस में फेल हो जाएगा वह अभी हमारे आश्रम में ही रहेगा और जो पास हो जाएगा वह राजमहल वापस लौट जाएगा।
गुरु के आश्रम में जितने छात्र थे सब ने हामी भरी कि ठीक है गुरु जी हम आपकी परीक्षा देने के लिए तैयार हैं.
गुरुदेव ने कहा कि आपको पास के गांव में जाना है और विनम्रता से पूरे गांव वालों की सेवा करना है, गांव की सफाई करनी है गांव में जो भी बीमार लोग हैं, उनकी सेवा और सहायता करना है।
तभी राजा के बड़े लड़के ने जवाब दिया गुरुदेव अगर जीवन में कुछ करना है तो हर समय विनम्र रहने से काम नहीं चलेगा कभी कभी कठोरता का भी प्रयोग करना पड़ता है। वरना लोग हमें कमजोर समझते हैं। गुरुदेव समझ गए कि राजा के बड़े पुत्र में अभिमान का अंश मौजूद है इसे अभी और शिक्षा देने की जरूरत है नहीं तो यह राजकाज सही तरीके से नहीं चला सकता है.
गुरु जी ने राजा के बड़े पुत्र को अपने पास बुलाया और अपना मुंह खोल दिया। गुरुदेव ने कहा, “अब यह बताओ कि मेरे मुंह में कितने दांत हैं” राजा के पुत्र ने कहा, “गुरुदेव आपके मुंह में एक भी दांत नहीं है, आपके सभी दांत टूट चुके हैं”। गुरुदेव ने कहा कि यह बताओ मेरे मुंह में जीभ है कि नहीं, राजा के पुत्र ने कहा, “गुरुदेव यह भी कोई पूछने की चीज है जीभ तो सबके मुंह के अंदर होती ही है.
गुरुदेव ने कहा, “तुमने क्या यह कभी सोचा है कि दांत जीभ के बाद आता है और जीभ से पहले ही चला जाता है जबकि जीभ जन्म के साथ आता है और मरने के समय ही जाता है आखिर ऐसा क्यों होता है।
गुरुकुल के सभी छात्रों ने ना में सिर हिलाया गुरुदेव ने कहा इसका कारण यह है, दांत कठोर होता है उसे अपने कठोरता पर अहंकार होता है, इसीलिए वह टूट जाता है जबकि जीभ विनम्र होती है विनम्रता के कारण वह पूरी जिंदगी हमारे शरीर में विद्यमान रहती है उसके अंदर कोई भी अहंकार नहीं होता है जैसे चाहे जीभ को आप मोड़ सकते हैं।
उसी तरह जीवन में जो इंसान विनम्रता से अपने जीवन का पालन करता है वह पूरे जीवन लोगों के बीच प्रसिद्ध रहता है और लोग उसको चाहते रहते हैं और जो मनुष्य अभिमानी होता है उसे कोई भी पसंद नहीं करता है। इसीलिए अगर तुम सब में किसी को राजा बनना है तो अपने अंदर विनम्रता के गुण बरकरार रखना होगा विनम्रता से ही समाज की सेवा की जा सकती है। तुम्हें जीभ की तरह विनम्र बनना चाहिए न कि दांत की तरह निष्ठुर और कठोर।
राजा का बड़ा पुत्र अब गुरुदेव की बात समझ चुका था उसने उसी समय गांव की तरफ चल दिया और उसने अपने भाइयों के साथ गांव मे जितने भी बीमार लोग थे सब की सेवा किया गांव में जितने भी असहाय लोग थे, सबकी सेवा किया।
यहां के बाद जब वह लोग राजमहल लौटे तो पहले से ही गुरुदेव ने राजा के बड़े लड़के को राजा बनाने के बारे में सलाह भिजवा चुके थे। राजा ने अपने बड़े बेटे को अपने बाद राजा नियुक्त किया और राजा के बड़े बेटे ने विनम्रता से पूरे राज्य का ने अपने शासन कार्य को चलाया और उसके शासनकाल में जनता बिल्कुल ही सुखी और सुशासन जीवन बिता रही थी।