तुम्हारे जैसी बीबी मुझे हजारों मिल जायेंगी – Moral Story In Hindi

स्वाति 28 जनवरी को हमारी शादी को छत्तीस साल हो जायेंगे मेहुल ने बड़े उत्साह और खुशी से स्वाति से कहा… इस सालगिरह सबकुछ तुम्हारे पसंद और आदेशानुसार होगा.. स्वाति के जख्मों पर जैसे मेहुल ने नमक छिड़क दिया हो..घृणा और पीड़ा के मिले जुले भाव स्वाति के चेहरे पर आए पर उसके तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं पाकर मेहुल बाहर लॉन में चला गया..

और स्वाति बालकोनी में धूप सेंकती मेहुल के दिए जख्मों के दर्द से बिलबिलाती हुई अतीत में चली गई..

दो भाईयों की इकलौती बड़ी बहन मां बाप की बड़ी लाड़ली सुशील बिटिया स्वाति..

संस्कारों और आदर्शों के बीच पली बढ़ी स्वाति शादी के समय भी मां बाप के फैसले को सर माथे से लगाया. पीजी के एग्जाम दिसंबर में खत्म हुए और जनवरी मे शादी हो गई.. पीएचडी शादी के बाद कर लेना पापा ने समझाया…

इंद्रधनुषी सपनों के साथ स्वाति ससुराल आई.. सास ससुर ननद देवर और जेठ जेठानी से भरा हुआ परिवार.. जेठ जेठानी अगले दिन वापस नौकरी पर पुणे चले गए.. मेहुल दूसरे शहर में बैंक में नौकरी करता था.. स्वाति को उम्मीद थी कि मेहुल उसे महीने दो महीने बाद अपने साथ ले जाएगा पर… शादी के पहले ये गाना झिलमिल सितारों का आंगन होगा रिमझिम बरसता सावन होगा.. कितना चाव से सुनती थी.. पति के साथ घूमना मूवी देखना बारिश में भीगना और भी न जाने क्या क्या सोचा था..कुंवारे मन की कल्पना …धीरे धीरे उसे समझ में आ रहा था कि पूरे परिवार को 24 घंटे सर्विस देने वाली बहु कम कामवाली की जरूरत थी जो बेटे की शारीरिक आवश्यकता की पूर्ति भी करे..




छोटी छोटी बातों पर सास मायके वालों को कोसने लगती अपशब्द कहने लगी.. स्वाति चुपचाप सुन लेती इस उम्मीद में की मेहुल को पता चलेगा तो मां को जरूर समझाएंगे.. एक दिन मेहुल के सामने हीं मां ने स्वाति को डांटना और कोसना शुरू कर दिया.. मेहुल बिना जाने समझे स्वाति का हाथ पकड़ कर कहा जाओ अपने बाप के घर मेरी मां मेरा सबकुछ है तुम्हारे जैसी बीबी मुझे हजारों मिल जायेंगी पर मां.. स्वाति दंग रह गई.. मां का सीना चौड़ा होजाता ये मेरा श्रवण कुमार है .. और मेहुल फूल के कुप्पा हो जाता..उसके लिए येगर्व और फख्र की बात थी …अब तो छोटा देवर और ननद भी लगे हाथों कुछ ना कुछ कमी निकाल स्वाति को सुना देते.. ससुराल में एक लड़की अपने पति के साथ पहली बार प्रवेश करती है पति का साथ होने पर सारे कष्ट तकलीफ हंसते हंसते बर्दाश्त कर लेती है.. पति के दो मीठे बोल और मैं हूं ना ये एहसास हीं काफी होता है एक नव ब्याहता को नए वातावरण में खुद को स्थापित करने के लिए.. और रिश्तों की यही सुदृढ़ नीव भविष्य में मजबूत अभेद्य दुर्ग बन जाती है.. पर स्वाति का जीवनसाथी भी उसके साथ नही था.. आंसू उसके सच्चे साथी थे..

दो बच्चों की मां बन गई थी स्वाति.. बच्चे भी अपनी मां को अपमानित होते देखते हुए बड़े हो रहे थे.. अपने नन्हे हाथों से मां के आंसू पोंछते .. और मेहुल शनिवार को आता सोमवार की सुबह चला जाता.. बस स्वाति के पास देह की जरूरत उसे खींच लाती..

समय गुजरा ननद अपने घर चली गई शादी करके.. देवर की शादी हो गई.. फिर पत्नी के लिए छोटे भाई की परवाह मां के सामने ढाल बन के खड़ा हो जाना, ये सब मेहुल के लिए आश्चर्य की बात थी.. उसे अपनी करतूतें याद आने लगी जब उसने मां की शिकायत पर स्वाति पर हाथ भी उठा दिया था.. और स्वाति रो कर रह गई थी.. कभी अपने मां बाप से अपना कष्ट साझा नही किया.. किस मिट्टी की बनी थी..




और फिर देवर अलग डेरा लेकर पत्नी के साथ चला गया..

दोनों बच्चे भी आज जॉब और जीवन दोनो में सेटल हो गए हैं.. सास ससुर को गुजरे जमाना हो गया.. पर रिश्तों में ठंडापन अब हिमशिला में परिवर्तित हो गया है.. ना वो मेहुल के लिए कोमल भावनाएं रही ना कोई लगाव ना एहसास.. औरत का मन बहुत कोमल होता है पर परिस्थितियां इसे पत्थर बनने पर मजबूर कर देती हैं.. पति से क्या चाहती है थोड़ा प्यार थोड़ा सम्मान थोड़ी इज्जत और अपने आत्मसम्मान और स्वाभिमान की रक्षा का छोटा सा वादा.. और बदले में समर्पित कर देती हैं अपना पूरा जीवन कभी पत्नी कभी दोस्त कभी मां कभी बहू तो कभी दादी नानी के रूप में .. स्वाति मन ही मन सोच रही थी अब बहुत देर हो चुकी है मेहुल! जिस शादी की नींव इतनी खोखली है उसका क्या सालगिरह मनाना… सालगिरह का नाम तुम्हारे मुंह से सुनकर ऐसा लगता है जैसे तुमने मेरे जख्मों पर नमक छिड़क फिर से दर्द और गम के गहरे समुंदर में ढकेल दिया है..

#जख्म पर नमक छिड़कना।

वीणा सिंह

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