सास बहू के रिश्ते – प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’ : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : चित्रा और मृदुल दोनों एक ही कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर थे। इसलिए दोनो की रोज ही मुलाकात होती थी….यह मुलाकात धीरे-धीरे प्यार मे बदल गई।

दोनो ने शादी करने का निर्णय लिया। दोनो के माता पिता ने खुशी-खुशी शादी के लिए सहमति दे दी।

दोनो की शादी धूम धाम से होती है। आज सुहागरात है …..एक दूसरे की बाहों मे दोनो की पूरी रात गुजर जाती है।सुबह देर तक दोनो सोते रह जाते हैं।

दस बज चुके थे मृदुल हड़बड़ा कर उठता है। चित्रा उठो, चित्रा नही उठती…. कहती है….बहुत प्यारी नींद आ रही है…. प्लीज सोने दो। 

मैडम आपको पता है….दस बज गए हैं….मेहरबानी करके उठ जाइए।

क्या दस बज गए, ओ माइ गॉड…तुमने मुझे पहले क्यों नही उठाया।

कैसे उठाता….मैं तो खुद ही अभी-अभी उठा हूं।तुम परेशान नही हो, मैं सब संभाल लूंगा…. तुम जाकर फ्रेश हो जाओ। 

उधर मृदुल की बहन रीटा माॅ॑ से कहती है….देखा मां दस बज गए हैं….मैडम अभी तक नीचे नही आईं। माॅ॑ ज्यादा सिर पर मत चढ़ाना अपनी बहू को नही तो परेशान हो जाओगी।

तभी चित्रा तैयार हो कर नीचे आ जाती है। सासु माॅ॑ को चरण स्पर्श कर प्रणाम करती है। मम्मी मुझे माफ़ कर दिजिए….उठने मे देर हो गई।

सासु माॅ॑ चित्रा के संस्कार और मृदु स्वभाव से बहुत प्रभावित होती है। कहती है ! कोई बात नही बेटा, चलो तुम दोनो जल्दी से नाश्ता कर लो… हम लोग नाश्ता कर चुके है। चित्रा सकुचाती है…. अरे कोई बात नही बेटा, तुम दोनो नाश्ता करो….हम लोग तुम्हारे साथ बैठकर एक कप चाय और पी लेंगे।

सासु माॅ॑ चाय पीने के बाद दोपहर के खाने की तैयारी मे लग जाती हैं। रीटा को सब्जी काटने के लिए दे देती हैं। रीटा चिढ़ते हुए सब्जी काटती है और बुदबुदाने लगती है….माॅ॑ सिर पर चढ़ा रही हो ना देखना एक दिन भैया को लेकर उड़ जाएगी, तुम देखती रह जाओगी।

तभी चित्रा आ जाती है।मम्मी खाने मे क्या बनाना है?

कुछ नही बेटा लगभग सब बन गया है, रोटियाॅ॑ रीटा बना रही है। तुम ये चावल बीन दो….जी मम्मी।

खाना बन कर तैयार हो गया….सब लोगो ने साथ मे खाना खाया। दिन हॅ॑सते बोलते कैसे बीत गया पता ही नही चला।



चित्रा और मृदुल की छुट्टीयाॅ॑ खत्म हो गई थी…. दोनो आफिस जाने लगे।

चित्रा आफिस जाने से पहले नाश्ता बना कर जाती थी। सासु माॅ॑ चित्रा के साथ लगी रहती थी घर के कामों मे उसका पूरा सहयोग करती थी। रात का खाना भी सास बहू  दोनो मिलकर बना लेती थी। रीटा भी कहने पर थोड़ा बहुत सहयोग कर देती थी।

रीटा की भी एक संभ्रांत परिवार मे शादी तय हो जाती है।

घर के सभी लोग शादी की तैयारी मे जुट जाते हैं,शादी बहुत अच्छे से सम्पन्न होती है।

रीटा विदा हो कर ससुराल आ जाती है, लेकिन रीटा का स्वभाव वही रहता है।मायके मे माॅ॑ के कान भरती थी…. ससुराल मे पति के कान भरने लगी।

रीटा के ससुराल के लोग बहुत अच्छे थे।वे रीटा से कभी  कुछ नही कहते थे, न कभी किसी काम के लिए और ना ही कोई रोक टोक। फिर भी रीटा के सिर पर पति के साथ अलग नई दुनिया बसाने की धुन सवार थी।वो अपने मकसद मे कामयाब भी हो गई उसने पति से कहकर अलग घर खरीदवा लिया।सास ससुर ने बहुत समझाया पर वह नही मानी, पति के साथ अलग रहने लगी।

रीटा के सांस ससुर बेटे के अलग हो जाने से बहुत पीड़ा में थे। उनसे यह दुख बर्दाश्त नही हो रहा था, अतः उन्होंने रीटा के माॅ॑ बाप से मिलने का फैसला किया।

रीटा के सांस ससुर ने रीटा के माॅ॑ बाप को सारी बात बताई तो रीटा के घर के सभी लोग बहुत शर्मिन्दा हुए। उन्हे रीटा पर बहुत क्रोध भी आया।

रीटा की माॅ॑ सोचने लगी अगर मै भी रीटा के भड़कावे मे आ गई होती तो मेरा भी हॅ॑सता खिलखिलाता घर बिखर गया होता।



रीटा के माॅ॑ बाप ने कहा…. समधी जी आप परेशान मत होइए।हम आप से वादा करते हैं- सब ठीक हो जाएगा।

एक दिन रीटा अपने पति के साथ अपनी माॅ॑ से मिलने आई। माॅ॑ ने बहुत प्यार से दोनो का स्वागत किया।

“माॅ॑ को तो अपनी बेटी का अहंकार चूर-चूर करना था, जो उसके सिर पर चढ़ कर बोल रहा था।”

माॅ॑ ने अपनी बहू चित्रा को आवाज दी, बेटा चाय नाश्ता लेती आओ।

चित्रा चाय नाश्ता लेकर आ गई।

बेटा सभी के लिए खाना बना लेना…. जी मम्मी जी।

दामाद जी हमारी बहू लाखो मे एक है…. सुंदर…पढ़ी लिखी…. संस्कारी…. साफ्टवेयर इंजीनियर है फिर भी जरा सा भी अहम नही है उसके अंदर। बेटी की तरह रहती है सबका मान सम्मान करती है और घर का भी पूरा ख्याल रखती है। हमारा बेटा भी बहुत अच्छा है अपने माॅ॑ बाप को कभी भी नही छोड़ सकता। भगवान करे ऐसे बेटा बहू हर माॅ॑ बाप को मिलें।

यह सुनते ही रीटा के पति को आत्मग्लानि होती है, वो रीटा की तरफ देखता है। रीटा शर्म से नजरे झुका लेती है। दामाद जी रीटा को घर चलने के लिए कहते हैं।

रीटा चलते वक्त माॅ॑ से माफी मांगती है….माॅ॑ मुझसे गलती हो गई, मुझे माफ़ कर दो …. मै अपनी भूल   

सुधारूंगी। माॅ॑  मेरे सास ससुर बहुत अच्छे हैं परन्तु मैंने अपने अहम मे ऐसी नादानी कर बैठी। उनसे माफी मागूंगी उनका हमेशा सम्मान करूंगी,अब आपको शिकायत का मौका नही दूंगी।

जाते-जाते रीटा माॅ॑ से कहती है….माॅ॑ अच्छा हुआ आप कभी भी मेरी बातों मे नही आईं।आप के जैसे ही समझदारी हर सास दिखाएं तो कभी भी सास बहू के रिश्ते ननदों की वजह से खराब न हो।

प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

प्रयागराज उत्तर प्रदेश 

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